भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

किसान आंदोलन का प्रभाव पूर्ण रूप से हरियाणा सरकार पर दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री अपने गृह क्षेत्र कैमला में अपनी रैली नहीं कर पाए।  उससे पूर्व भी करनाल में ही उनके तम्बू उखाड़ दिए थे। अंबाला में उनकी कार पर डंडे लगे थे। इन सभी बातों को देखते हुए शायद गृहमंत्री ने इनकी क्लास लगाई।

गृहमंत्री अमित शाह से मुख्यमंत्री और दुष्यंत चौटाला अलग-अलग मिले। मिलने के बाद मुख्यमंत्री का ब्यान तो आया कि सरकार भली प्रकार चल रही है, जबकि उन्होंने यह भी घोषणा की कि अब हम किसान आंदोलन के सामानांतर किसान पंचायत नहीं करेंगे। यह घोषणा अपने आपमें सरकार की मजबूरी को दर्शाती है या यूं कहें कि पूर्व में किया गया निर्णय अनुभवहीनता का उदाहरण है।

उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलकर आए और मिलने के बाद उन्होंने प्रेस में इसके बारे में कोई ब्यान नहीं दिया। यह संशय की स्थिति तो बन ही जाती है।

जजपा के विधायकों पर भी किसानों का दबाव लगातार बढ़ रहा है समर्थन वापसी या त्याग पत्र देने का। यह दबाव शायद अभय चौटाला के इस्तीफे की घोषणा के बाद बना है। इधर सूत्र बता रहे हैं कि भाजपा में भी सब ठीक-ठाक नहीं है लेकिन अभी भाजपा के विधायक मुखर नहीं होने लगे हैं। 

नारनौल रैली में राव इंद्रजीत सिंह ने मुख्यमंत्री से कहा था कि यह रैली तो ठीक है, किंतु तराई क्षेत्र में रैली करें तो और भी अच्छा होगा। और शायद इसी चैलेंज को लेकर मुख्यमंत्री ने कैमला रैली की घोषणा की और कर भी नहीं पाए। अर्थात राव इंद्रजीत का चैलेंज अपने आपमें एक अलग ही मायने रख गया है।

राजनैतिक गलियारे में चर्चा है कि अमित शाह ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से यह जानने का प्रयास किया कि यदि विधानसभा सत्र बुलाया जाए तो क्या वे उसमें अपना बहुमत सिद्ध कर पाएंगे? या विधायक आपके पक्ष में मत नहीं करेंगे? अब यह तो ज्ञात नहीं कि वे गृहमंत्री अमित शाह को संतुष्ट कर पाए या नहीं परंतु जिस प्रकार से मुख्यमंत्री की शैली व बर्ताव बदला है और उप मुख्यमंत्री कुछ बोल नहीं रहे, यह अनेक संदेहों को बल देता है।

इसी प्रकार की चर्चाओं को देख जो कहा जाता था कि हरियाणा में विपक्ष है ही नहीं, वह सरकार पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आज कहा कि गठबंधन सरकार में हलचल साफ, जनता का विश्वास खो चुकी है सरकार। इसी प्रकार अभय चौटाला ने कहा कि जजपा का भाजपा में विलय हो चुका है।  इन परिस्थितियों से लगता है कि गिर सकती है यह सरकार।

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