राजनीति में हरियाणा में सर्वोच्च पद बेटी के लिए बना चुनौती

फतह सिंह उजाला

पटौदी ।    बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का आगाज देश के प्रधानमंत्री पीएम नरेंद्र मोदी के द्वारा हरियाणा से ही राष्ट्रीय स्तर पर आरंभ किया गया था । इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लिंगानुपात को सुधारना, बेटियों को पढ़ाना और कन्या भू्रण हत्या पर पूरी तरह पाबंदी लगाना रहा है । इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आने लगे हैं । विषय और बात जब बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की है तो कार्यक्रम कोई भी हो, चर्चा होना स्वाभाविक बात है।

शुक्रवार को पाटौदी उपमंडल नागरिक अस्पताल में पटौदी विधानसभा क्षेत्र की सभी आशा वर्कर की एक कार्यशाला का आयोजन किया गया । इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य हरियाणा सरकार और स्वास्थ्य विभाग के द्वारा चलाई जा रही विभिन्न स्वास्थ्य और सामाजिक परियोजनाओं के बारे में अभी तक किए गए कार्यों की फीडबैक लेना था । इस बहू उद्देश्यीय कार्यक्रम की अध्यक्षता पटौदी नागरिक अस्पताल के एसएमओ डॉक्टर नीरू यादव के द्वारा की गई ।

इस मौके पर महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ज्योति डबास, खंड शिक्षा अधिकारी उर्मिला देवी ,बीएसई सुश्री आरती , श्रीमती सरिता देवी, क्षय रोग विभाग के योगेश सहित पटौदी क्षेत्र की सभी आशा वर्कर मौजूद रहे ।

इस मौके पर सबसे अहम चर्चा लिंगानुपात सुधार को लेकर रही कि किस प्रकार से लिंगानुपात को और भी अधिक सुधारा जा सकता है । विभिन्न आशा वर्कर्स के द्वारा उनके अधीन क्षेत्रों में जन्म लेने वाले बच्चे और बच्चियों के आंकड़ों की जानकारी भी मांगी गई। अधिकांश आशा वर्कर्स के द्वारा यही बताया गया कि उनके अधीन के कार्य क्षेत्र के इलाके में जन्म दर लड़कों की अधिक रही है । एक या दो आशा वर्कर्स के द्वारा ही यही बताया जा सका कि उनके कार्यक्षेत्र में लड़कों के मुकाबले लड़कियां अधिक जन्मी है ।

जब यह चर्चा चल रही थी उसी दौरान कार्यशाला में मौजूद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के द्वारा एक प्रकार से सवाल-जवाब भी किए गए । जब यह सवाल सामने आया कि हरियाणा में ऐसा कौन सा क्षेत्र है, जिस क्षेत्र के सर्वोच्च पद पर कोई भी महिला अथवा युवती आज तक नहीं पहुंच सकी है ? तो किसी को भी जवाब देते नहीं सूझा। इस सवाल का जवाब इस प्रकार से निकल कर आया कि हरियाणा में आज तक कोई भी महिला अथवा युवती मुख्यमंत्री के पद तक नहीं पहुंच सकी है । जब कि हरियाणा की ही कल्पना चावला , सुनीता विलियम्स के अलावा खेल के मैदान से लेकर हर क्षेत्र में लड़कियों ने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है ।

केवल मात्र हरियाणा का सीएम पद ही एक ऐसा लक्ष्य है, जहां तक हरियाणा की कोई भी बेटीं का महिला नहीं पहुंच पाई है । इसी मौके पर महिला रोग विशेषज्ञ ज्योति डबास ने कहा की समय और भविष्य की जरूरत है कि कन्या जन्म और संरक्षण को अधिक से अधिक प्रोत्साहन दिया जाए । एक बेटी मायका और ससुराल दो स्थानों का दायित्व बखूबी निभाती है। बच्चियों को सभी अभिभावक अधिक से अधिक उच्च शिक्षा अवश्य दिलवाएं। यदि बच्चियां अथवा युतियां ही नहीं होंगी तो सामाजिक ताना-बाना पूरी तरह से बिखर भी सकता है।

इस महत्वपूर्ण कार्यशाल में हरियाणा सरकार सहित स्वास्थ्य विभाग के तहत विभिन्न प्रकार की 26 परियोजनाओं अथवा कार्य पर विस्तार से चर्चा करते हुए कार्यशाला में मौजूद आशा वर्कर की समस्याओं का समाधान भी किया गया और बेहतर से बेहतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहन भी दिया गया। कार्यशाला में मौजूद सभी आशा वर्कर का विशेष रुप से कोरोना काल के दौरान उनके द्वारा गांव-गांव गली-गली घर-घर किए गए कार्य के लिए सभी को प्रोत्साहन दिया गया।

सएमओ डॉक्टर नीरू यादव ने कहा आशा वर्कर समाज, स्वास्थ्य विभाग और सरकार के बीच की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है । सरकार के द्वारा जनहित में चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं को आम जनमानस तक पहुंचाने में आशा वर्कर का सबसे अधिक योगदान और महत्वपूर्ण सहयोग रहा है।

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