खुद ट्रैक्टर चलाते हुए भारी काफिले में केएमपी हाईवे पर पहुंचे कुंडू की केंद्र को नसीहत। . कुंडू बोले, अब भी समय है किसानों से माफी मांगकर तीनों काले कानून रद्द करे सरकार। . इतिहास गवाह है जिस भी सरकार ने किसानों से टकराव किया वह सत्ता से बेदखल हुई।

रोहतक, 7 जनवरी : संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आज महम विधायक बलराज कुंडू ट्रैक्टरों के भारी काफिले में हजारों किसानों के साथ रोहतक से ट्रैक्टर चलाते हुए कुंडली-मानेसर-पलवल हाईवे पर पहुंचे। केएमपी हाईवे पर ट्रैक्टर मार्च में शामिल होकर किसानों में उत्साह भरा और केंद्र सरकार को चेताते हुए कहा कि अब भी वक्त है केंद्र को समझ जाना चाहिए कि देश के अन्नदाता का मिजाज क्या है और किसान क्या चाहता है। कुंडू ने कहा कि आज हजारों ट्रैक्टरों पर लाखों किसान दिल्ली के चारों तरफ ट्रैक्टर मार्च निकाल रहे हैं। ये ट्रैक्टर मार्च हठधर्मिता पर चल रही केंद्र की सरकार को एक और चेतावनी है ताकि सरकार की आंखें व कान खुल सकें। उन्होंने कहा कि आज का यह ट्रैक्टर मार्च तो महज एक ट्रेलर मात्र है और अगर सरकार नहीं मानी तो किसान भाई केंद्र को अपनी असली ताकत 26 जनवरी को दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में ट्रैक्टर शामिल होकर दिखाएंगे।

बलराज कुंडू ने कहा कि अब भी वक्त है केंद्र सरकार को चाहिए कि देश के किसानों से माफी मांगते हुए तुरन्त इनकी सभी मांगें स्वीकार करें वरना किसान आंदोलन की यह क्रांति ऐसा सैलाब लाएगी जो सरकार के अहंकार और तानाशाही को अपने साथ बहा ले जाएगा।

कुंडू ने कहा कि केंद्र के अभी तक के रुख को देखें तो स्थिति एकदम साफ है कि सरकार की नीयत में खोट है और वह बातचीत का सिर्फ ढोंग कर रही है। सरकार किसानों के साथ ऐसा खेल खेल रही है जिसका परिणाम बेहद भयंकर हो सकता है। आज किसान का बेटा पाकिस्तान और चीन के बॉर्डर पर बैठा देश की सरहदों की रक्षा कर रहा है और उनके माता-पिता और भाई अपने हकों के लिए दिन रात यहां दिल्ली के बॉर्डर पर संघर्ष कर रहे हैं।

सरकार से आग्रह है कि हठधर्मिता छोड़कर देश का पेट भरने वाले कर्मयोगी किसान से माफी माँगकर तीनों काले कानूनों को रद्द करते हुए एमएसपी की गारंटी देकर शांति के साथ वापस अपने घरों को भेजे ताकि वह अपने खेत-खलिहान संभालें और देश की तरक्की में अपना योगदान बरकरार रखें। सरकार अपने पूंजीपति मित्रों के व्यवसायिक स्वार्थ देखने की बजाय देश के किसानों एवं आम आदमी की भलाई के बारे में सोचे एवं काम करें। इतिहास गवाह है कि जब-जब अन्नदाता के साथ किसी ने मनमानी करने की कोशिशें की हैं तो उन सरकारों को सत्ता से बेदखल होकर जाना पड़ा है।

कुंडू ने कहा कि अगर सरकार इस मुगालते में हो कि किसान थक हारकर वापस चले जायेंगे तो बता देना चाहता हूं कि ये किसान के पेट एवं बच्चों के भविष्य की लड़ाई है और किसान इस लड़ाई को आखिरी दम तक लड़ेंगे और जीतकर ही वापस घरों को जाएंगे।

error: Content is protected !!