हर सुख-दुख में साथ निभाने का वादा करके वोट लेने वाले अब शहादतों पर झूठी संवेदनाएं भी प्रकट नहीं करते- दीपेंद्र हुड्डा

किसानों को नासमझ ना समझे सरकार, उसकी नीयत और तीनों क़ानूनों को पूरी तरह समझकर सड़कों पर उतरे हैं किसान- दीपेंद्र हुड्डा
आंदोलन में जान की क़ुर्बानी देने वाले किसानों को शहीद का दर्ज़ा, आर्थिक मदद और परिवार को नौकरी दे सरकार- दीपेंद्र हुड्डा
अगर मौजूदा सरकार ऐसा नहीं करती है तो हमारी सरकार बनने के बाद करेगी ये काम- दीपेंद्र हुड्डा
किसानों की जीत के साथ ही मनाएंगे नए साल और जन्मदिन का जश्न- दीपेंद्र हुड्डा

2 जनवरी, यमुनानगरः ‘जय जवान, जय किसान’ वाले देश में सरकार ‘मर जवान, मर किसान’ की नीति से काम कर रही है। इसीलिए उसे ना किसान आंदोलन से कोई फर्क पड़ रहा है और ना ही किसानों की शहादतों से। ये कहना है राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का। सांसद दीपेंद्र आज पंचकूला-रुड़की नेशनल हाइवे पर स्थित गधोला मिल्क माजरा टोल प्लाजा पर धरनारत किसानों के बीच अपना समर्थन देने पहुंचे थे। इस मौक़े पर उन्होंने आंदोलन में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि दी और धरने पर बैठे किसानों से बातचीत की। उन्होंने अन्नदाता के प्रति सरकार के असंवेदनशील रवैये पर गहरी चिंता ज़ाहिर की।

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि आज प्रदेश का किसान ठगा हुआ महसूस कर रहा है। क्योंकि हर सुख-दुख में साथ निभाने का वादा करके वोट लेने वाले हुक्मरान अब उनकी शहादतों पर झूठी संवेदनाएं भी प्रकट नहीं करते। किसानों का साथ देने की बजाए सत्ता में बैठे लोग लगातार उनका तिरस्कार कर रहे हैं। अपने बयानों के ज़रिए सत्ताधारी किसानों की भावनाओं को आहत करने का काम कर रहे हैं। ऐसे लोगों को सत्ता का घंमड छोड़कर देश का पेट पालने वाले किसानों की बात माननी चाहिए और जल्द से जल्द इस आंदोलन को ख़त्म करवाना चाहिए।

सांसद दीपेंद्र लगातार तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलनरत किसानों के बीच पहुंच रहे हैं। नए साल का पहला और दूसरा दिन भी उन्होंने किसानों के बीच में बिताया। टीकरी बॉर्डर, मदीना, कितलाना, डीघल, मकड़ौली समेत कई टोल प्लाजा के बाद आज दीपेंद्र गधोला मिल्क माजरा टोल पर पहुंचे थे। उनका कहना है कि देश और प्रदेश का अन्नदाता आज संघर्ष, पीड़ा और क़ुर्बानियों के दौर से गुज़र रहा है। ऐसे में सभी का फर्ज़ बनता है कि वो किसानों के साथ खड़ा हो। निश्चित तौर पर किसान संगठन इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं लेकिन हम कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ खड़े हैं और खड़े रहेंगे। हम नए साल और जन्मदिन का जश्न उसी दिन मनाएंगे, जिस दिन किसानों की जीत होगी। उल्लेखनीय है कि दीपेंद्र हुड्डा ने ऐलान किया है कि वो इस बार 4 जनवरी को आने वाले अपने जन्मदिन का जश्न नहीं मनाएंगे। वो नए साल के पहले दिन की तरह ये दिन भी किसानों की सेवा और समर्थन में उनके साथ बिताएंगे।

यमुनानगर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए सांसद दीपेंद्र ने सरकार से आंदोलन में जान की क़ुर्बानी देने वाले किसानों को शहीद का दर्ज़ा, आर्थिक मदद और परिवार को नौकरी देने की मांग की। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर ये सरकार ऐसा नहीं करती है तो हमारी सरकार बनने के बाद ऐसा किया जाएगा। क्योंकि किसान अपनी मर्ज़ी से सड़कों पर नहीं उतरे हैं। उन्हें सरकार के 3 क़ानूनों और उसकी हठधर्मिता ने सड़कों पर आने के लिए मजबूर किया है। लेकिन सरकार दावा कर रही है कि किसान इन क़ानूनों को समझ नहीं पाए। दीपेंद्र ने कहा कि ये सरकार किसान को नासमझ समझने की ग़लती ना करे। सरकार की नीयत और तीनों क़ानूनों को पूरी तरह समझने के बाद ही उसने आंदोलन का फ़ैसला लिया है।

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