चंडीगढ़, 29 दिसम्बर- हरियाणा स्वास्थ्य विभाग ने सुशासन दिवस (सुशासन दिवस-2020) पर चार प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त कर एक और उपलब्धि हासिल की है।

विभाग के अधिकारियों के व्यावहारिक दृष्टिकोण, दृढ़ता और व्यापक योजना के कारण विभाग में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) का उपयोग करते हुए विभिन्न कार्यक्रमों को विशेष रूप से कोविड-19 के दौरान ऑनलाइन किया गया।

स्वास्थ्य विभाग को चार ‘अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन पुरस्कार -2020’ यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम के तहत सभी के लिए टीकाकरण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए, ई-संजीवनी ओपीडी, टेलीकंसलटेशन सेवाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए, कोविड-19 सर्वेक्षण के तहत आशा वर्कर्स द्वारा डोर टू डोर सर्वे करने के लिए आशा सर्वेक्षण एप विकसित करने के लिए तथा हरियाणा में आयुष्मान भारत योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए सुशासन पुरस्कार 2020 के मिले हैं।

विभाग द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में जानकारी सांझा करते हुए  स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री राजीव अरोड़ा ने बताया कि डिजिटलीकरण ने टीकाकरण प्रक्रिया की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि जीवित बच्चों, जिनका पूरी तरह से टीकाकरण हुआ है, का डाटा स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) पोर्टल पर है और टीकाकरण के लिए टीकों के रियल टाइम स्टॉक प्रबंधन की जानकारी ईवीन पोर्टल पर उपलब्ध है।  उन्होंने बताया कि इन पोर्टल के सुचारू कामकाज ने टीकों के अपव्यय को काफी हद तक रोक दिया।

श्री अरोड़ा ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, हरियाणा के मिशन निदेशक श्री प्रभजोत सिंह के मार्गदर्शन और  राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, हरियाणा के निदेशक डॉ. वी.के.  बंसल के नेतृत्व में डॉक्टरों की पूरी टीम के साथ  प्रयास करके ऑनलाइन सेवा को बढ़ाने में सफल हुआ है।

श्री अरोड़ा ने बताया कि दूसरा पुरस्कार डॉ. एस.बी.  कम्बोज, महानिदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं, हरियाणा की अगुआई में ई-संजीवनी ओपीडी, टेलीकंसलटेशन के कार्यान्वयन के लिए मिला है।

ई-संजीवनी ओपीडी के कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए किए गए प्रयासों के बारे में डॉ. एस.बी.  कम्बोज ने बताया कि ई-संजीवनी ओपीडी को 1 मई, 2020 से राज्य में लागू किया गया था, जिसमें सी-डैक मोहाली के सहयोग से डॉक्टरों के प्रशिक्षण का आयोजन किया गया था।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में दो ओपीडी जनरल और स्पेशलाइज्ड ओपीडी सोमवार से शनिवार तक सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे और दोपहर 3 बजे से शाम 5 बजे तक संचालित की जा रही हैं। ये ओपीडी कोविड-19 के दौरान एक वरदान के रूप में साबित हुई, क्योंकि लोग अपने घरों में बैठे हुए डॉक्टरों की सलाह ले सकते थे।

आशा वर्कर्स द्वारा कोविड-19 महामारी के दौरान किए गए अथक प्रयासों को भी सम्मानित किया गया। इस संबंध में जानकारी देते हुए श्री प्रभजोत सिंह ने बताया कि आशा वर्कर्स कोविड -19 रोगियों और संभावित रोगियों के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए घर-घर गए और इस जानकारी को आशा सर्वेक्षण ऐप पर अपलोड किया गया था। इससे कोविड -19 के संभावित मामलों और समय पर रेफर किए गए मामलों का जल्द पता लगाने में मदद मिली।

श्री प्रभजोत सिंह ने बताया कि 20,268 आशा वर्कर्स ने आशा सर्वेक्षण मोबाइल एप का उपयोग करके राज्य में शहरी और ग्रामीण स्लम एरिया के साथ साथ कंटेनमेंट ज़ोन की मैपिंग की। इसमें उच्च जोखिम वाली आबादी, आईएलआई (इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी) और निमोनिया के लक्षणों और साँस लेने में हो रही परेशानी जैसे मामलों की लाइन-लिस्टिंग की गई। बाद में प्रयोगशाला परीक्षण, प्रबंधन / उपचार में इस जानकारी का बहुत लाभ हुआ।

श्री प्रभजोत सिंह ने बताया कि समय पर मामलों की पहचान और प्रबंधन तथा उनके रेफरल व गंभीर मामलों के ऑक्सीजन स्तर की कड़ी निगरानी रखने के कारण रिकवरी रेट में वृद्धि हुई है।

हरियाणा में आयुष्मान भारत योजना के कार्यान्वयन के लिए विभाग द्वारा किए गए अभिनव आईईसी अभियानों को भी सम्मानित किया गया।  मुख्य कार्यकारी अधिकारी, आयुष्मान भारत हरियाणा,  सुश्री अमनीत पी. कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के बारे में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से आयुष्मान भारत हरियाणा स्वास्थ्य संरक्षण प्राधिकरण द्वारा ‘चौपाल पे चर्चा- जीवन के रंग आयुष्मान के संग’ शीर्षक के साथ एक अनूठा आईईसी अभियान चलाया गया।        

 उन्होंने बताया कि इस पहल के लिए 600 सक्षम युवाओं को तैनात किया गया और उन्हें आईईसी सामग्री दी गई गाँवों और वार्डों में नुक्कड़ नाटक, ग्राम सभाओं और बैठकों की व्यवस्था की गई थी। इसके अलावा, सक्षम युवाओं द्वारा की जा रही गतिविधियों और कार्ड निर्माण की निगरानी के लिए मुख्यालय स्तर से भी टीमों ने जिलों के  भ्रमण किए।       

  इन प्रयासों की बदौलत पीएमजेएवाई के तहत गोल्डन कार्ड तेज़ी से बनाए गए। लाभार्थियों के लिए गोल्डन कार्ड बनाने के लिए कुल 5.37 लाख आवेदन प्रोसेस किए गए, जिसमें से एबी-पीएमजेएवाई के 4.94 लाख लाभार्थियों के कार्ड केवल 60 दिनों में बनाए गए थे।

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