किसान आंदोलन को बीत गए ठिठुरती रातों में 19 दिन.
पूर्व ,पश्चिम ,उत्तर मजबूत, दक्षिण है अभी कुछ कमजोर.
अन्नदाता किसानों के द्वारा त्यागा गया एक दिन अन्न

फतह सिंह उजाला

एक के बाद एक, किसान आंदोलन को 19 दिन बीत गए । लेकिन लगता है समस्या का समाधान ही अब घमासान बन गया है। जिस शिद्दत-जज्बे के साथ में नए कृषि कानून के विरोध को लेकर देशभर के किसानों के द्वारा अपना आंदोलन चलाते हुए दिल्ली की 3 दिशाओं में लंगर डाल रखा है, उसे देखते हुए यह गाना बिल्कुल उचित लगता है की … तेरे दर पर आया हूं कुछ करके जाऊंगा, झोली भर के जाऊंगा या मर के जाऊंगा ?

आंदोलनकारी किसानों किसानों की झोली भरी हो या न भरी हो , लेकिन करीब एक दर्जन से अधिक किसानों की किसान आंदोलन के दौरान विभिन्न कारणों से जान अवश्य चली गई । यह भरपाई किसी भी कीमत पर और किसी भी हालात में पूरी नहीं की जा सकती है । अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में नए कृषि कानून को रद्द करने अथवा वापस लेने की मांग को लेकर किसानों का आंदोलन पूरी तरह से शांतिप्रिया चल रहा है। हां इस दौरान केंद्र सरकार पर कहीं ना कहीं किसान आंदोलन को लेकर दवाब भी महसूस किया जा सकता है और सवाल यह है कि आंदोलनकारी किसान और किसान संगठनों के प्रतिनिधि दो टूक अपनी बात कहते आ रहे हैं कि तीनों नए कृषि कानून केंद्र सरकार के द्वारा वापस लिए जाएं या फिर रद्द किए जाएं । ऐसा किया जाना केंद्र सरकार के लिए  असंभव प्रतीत हो रहा है । केंद्र सरकार के द्वारा नए कृषि कानून में संशोधन की बात करते हुए कृषि कानून में सुधार किए जाने का लिखित प्रस्ताव-सुझाव सहित आंदोलनकारी किसान संगठनों को दिया भी जा चुका है । लेकिन किसान संगठनों के द्वारा सरकार के इस संशोधन प्रस्ताव को पहली ही नजर में खारिज कर दिया गया ।

अभी तक देशभर के विभिन्न राज्यों के किसान दिल्ली सीमा के पूर्व ,पश्चिम और उत्तर दिशा में प्रवेश मार्ग पर अपना लंगर डाले हुए हैं । बीते 2 दिनों से जिस प्रकार एकदम तापमान मैं गिरावट आई और ठंडक बढ़ी है , इसे देखते हुए इस बात में कोई शक की गुंजाइश नहीं की घटते तापमान सहित खुले आसमान के नीचे धरना स्थल पर मौजूद किसानों को देखते हुए सरकार सहित किसानों में भी कहीं ना कहीं चिंता बढ़ने लगी है । लेकिन कुछ पाने के लिए जो संकल्प लेकर आंदोलनकारी किसान पूरी तैयारी और योजना करके दिल्ली की सीमा पर पहुंचे हैं और लगातार आने का सिलसिला जारी है । लगता है वह पूरा होमवर्क करके ही घर से निकले हुए हैं । किसान तो वैसे भी कड़ाके की ठंड अथवा  बर्फीली हवा और रात में काम करते रहने का अनुभव रखता है ।

इसी बीच एक अलग ही घटनाक्रम में कथित रूप से विभिन्न 10 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के द्वारा केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से मुलाकात कर तीन कृषि कानून पर अपना समर्थन जाहिर किया गया  है। इस समर्थन पत्र पर एसपीओ से जुड़े किसान और प्रगतिशील किसानों का हवाला दिया गया है । जिनके द्वारा केंद्र सरकार के द्वारा  लाए गए तीन कृषि कानून का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार की कृषि नीति पर पूरा भरोसा जाहिर किया गया है । इसके अलावा अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा के पूर्व घोषित कार्यक्रम के मुताबिक 14 दिसंबर सोमवार को आंदोलनकारी किसान संगठनों और किसानों के द्वारा 1 दिन की भूख हड़ताल रख कर केंद्र सरकार के नए कृषि कानून का विरोध जाहिर किया गया । वही किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के मुताबिक दिल्ली की 3 तरफ की सीमाओं पर अपनी मांगों के समर्थन में अपनी जान दांव पर लगा चुके 20 से अधिक किसानों को याद कर 2 मिनट का मौन रख उनके बलिदान को याद कर श्रद्धांजलि भी अर्पित की गई । दिल्ली के तीन तरफ पूर्व ,पश्चिम और उत्तर के अलावा अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा का लक्ष्य दिल्ली में प्रवेश करने वाले सबसे महत्वपूर्ण दक्षिण प्रवेश द्वार को घेरना है या फिर नाकेबंदी करनी है ।

हरियाणा और राजस्थान के बीच दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे पर जयपुर से दिल्ली की तरफ आने वाला मार्ग बैरिकेड लगाकर बंद किया जा चुका है । हरियाणा पुलिस के द्वारा राजस्थान के किसानों को दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे पर प्रवेश करने से रोकने के लिए जयसिंहपुर खेड़ा के नजदीक बैरिकेट्स लगा दिए गए गए हैं । ऐसे में दिल्ली से जयपुर के लिए एक तरफ यातायात खुला हुआ है , लेकिन राजस्थान और हरियाणा सीमा पर किसानों के लंगर डालने के कारण जयपुर से दिल्ली के बीच यातायात अवरुद्ध है। अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में अहम भूमिका निभा रहे स्वराज स्वाभिमान और स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव के द्वारा भी दिल्ली के दक्षिणी प्रवेश सड़क मार्ग पर राजस्थान सीमा पर ही धरनारत किसानों के बीच ही पूर्व घोषणा के मुताबिक भूख हड़ताल में अपनी भागीदारी निभाई गई।

सोमवार को भी केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे राजस्थान के किसानों ने सोमवार को अलवर जिले के ही शाहजहांपुर में दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे को अवरुद्ध किए रखा और पुलिस ने किसानों के दिल्ली की तरफ आने के सभी प्रयासों को नाकाम किया।  जयपुर से दिल्ली आते हुए यातायात को बनसुर और अलवर दिशा की तरफ सड़क मार्गों पर रवाना कर दिया गया। सोमवार को आंदोलनकारी किसानों के द्वारा 1 दिन की सांकेतिक भूख हड़ताल कर किसान नेताओं के दावे के मुताबिक केंद्र सरकार के सामने अपने इरादे को जाहिर कर दिया गया है । वही केंद्र सरकार और सत्ता दल का केंद्रीय नेतृत्व किसान आंदोलन के मसले पर हरियाणा के सांसदों से भी विचार विमर्श कर रहा है । केंद्र सरकार द्वारा लागू नए कृषि कानूनों को वापस लेने अथवा रद्द किए जाने की मांग को लेकर आंदोलनकारी किसानों के किसी भी खेमे में किसी भी किसान के माथे पर अभी तक मामूली से भी चिंता नहीं झलकी दिखाई दी है ।

अब लाख टके का सवाल यही है कि अखिल भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा अपनी सीधी और दो टूक शब्दों में पूरी मांग केंद्र सरकार के सामने कई बार रखी जा चुकी है ।  अब ऐसे में ही जो कुछ भी करना है, वह केंद्र सरकार और केंद्र सरकार के रणनीतिकार विशेषज्ञ अधिकारियों को ही करना है । ऐसे  में हीं जो भी फार्मूला निकाला जाएगा उस पर आंदोलनकारी किसान कितना सहमत होंगे और कितना  असहमत रहेंगे ? यह बात भी भविष्य के गर्भ में ही छिपी है । लेकिन यह बात भी बिल्कुल कटु सत्य है कि… तेरे दर पर आया हूं कुछ करके जाऊंगा झोली भर के जाऊंगा या मर के जाऊंगा ? क्योंकि अन्नदाता अपनी मेहनत से दिन रात मिट्टी में मिट्टी बनकर अन्न उपजाकर पूरे देश का पेट भी भर रहा है।

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