नई कृषि कानूनों को हमारी कमेटी की सिफारिशें बताकर देश को गुमराह कर रही है बीजेपी- हुड्डा
हमारी कमेटी ने मंडियों के विस्तार और स्वामीनाथन आयोग के सी2 फार्मूले पर किसानों को एमएसपी देने की करी थी सिफारिश- हुड्डा
यूपीए सरकार में हर साल एमएसपी में होती थी औसतन 12 से 15% बढ़ोतरी, बीजेपी सरकार में महज़ 4-5% होती है बढ़ोतरी- हुड्डा
हमारी कमेटी की सिफारिश पर पूरे देश में फसली ऋण की दर 12% से कम करके 4% की गई, हरियाणा में की गई 0%- हुड्डा
बार-बार अपने ही बयानों में फंस रही है, बीजेपी इसलिए किसान नहीं कर रहे हैं उसपर भरोसा- हुड्डा

रोहतक 10 दिसंबर : सरकार को कभी भी टकराव की नीति नहीं अपनानी चाहिए। सरकार का कोई अहम नहीं होता है, सरकार की सिर्फ ज़िम्मेदारी होती है कि वो जनता की जायज़ मांगों को बिना देरी किए माने। यह कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा आज रोहतक में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इस मौके पर पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बार फिर किसानों की मांगों और किसान आंदोलन पर खुलकर अपना पक्ष रखा। उन्होंने दोहराया कि किसानों की मांग पूरी तरह जायज है। एमएसपी की गारंटी के बिना नए कृषि कानून किसानों के हक में नहीं हो सकते।

एक सवाल के जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपीए सरकार में उनके नेतृत्व में बनी कमेटी के बारे में बीजेपी भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है। 3 नए कानूनों को हमारी कमेटी की सिफारिश बताकर बीजेपी जनता को गुमराह कर रही है। हमारी कमेटी ने ऐसी कोई सिफारिश नहीं की थी, जिससे किसानों का अहित हो।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि उनके नेतृत्व में बनी मुख्यमंत्रियों की कमेटी ने मंडियों के विस्तार की सिफारिश की थी, ना कि उन्हें ख़त्म करने की। उसमें कहा गया था कि मंडियों पर किसी भी तरह का एकाधिकार नहीं होना चाहिए और मंडियों का विस्तार हर किसान तक होना चाहिए। हमारी सरकार के दौरान मंडियों का इतना विस्तार किया गया कि हरियाणा में हर 8-10 किलोमीटर के दायरे में बड़ी मंडी है। हमारी सरकार के द्वारा ही जिन मंडियों में जगह कम पड़ने लग गई थी, उन्हें बड़ा आकार दिया गया। हमारी सरकार में ही बड़ी मात्रा में सरकारी खरीद केंद्र बनाए गए, एग्रो मॉल स्थापित लिए गए। किसान मंडियों को बढ़ावा दिया ।

हुड्डा ने कहा कि हमारी कमेटी ने स्वामीनाथन आयोग के सी2 फार्मूले के तहत किसानों को उनकी फसल का रेट देने की सिफारिश की थी। लेकिन नए कानूनों में सी2 फार्मूला तो छोड़िए, कहीं एमएसपी का जिक्र तक नहीं है। हुड्डा ने बताया कि यूपीए सरकार के दौरान फसलों के एमएसपी में ऐतिहासिक बढ़ोतरी हुई है। लगभग हर फसल के रेट 3 गुना तक बढ़े हैं। यूपीए सरकार में हर साल फसलों के रेट में 12 से 15% की औसत बढ़ोतरी होती थी। कई फसलों के रेट तो सालाना 20% से ज्यादा बढ़े थे। यह हमारी कमेटी की ही सिफारिश थी कि किसानों पर लोन के ब्याज का बोझ ना पड़े। पूरे देश में फसली लोन की ब्याज दर को 12% से घटाकर 4% किया गया था। हरियाणा में हमारी सरकार ने फसली लोन पर ब्याज दर को जीरो कर दिया था।

नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि साल 2010 में हमारी कमेटी की तरफ से की गई सिफारिशों पर किसी भी किसान या किसान संगठन ने उंगली नहीं उठाई थी। क्योंकि इसमें सभी किसान संगठनों से सुझाव मांगे गए थे और उन्हीं के सुझाव को आधार बनाते हुए कमेटी ने अपनी सिफारिशें की थी। उस कमेटी का मकसद किसानों को सुदृढ़ करना और उन्हें संरक्षण देना था। जब हमारी सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का नियम बनाया तो उसमें भी बाकायदा एमएसपी से ऊपर कॉन्ट्रैक्ट करने की शर्त रखी गई। उसमें कॉन्ट्रैक्ट के रजिस्ट्रेशन से लेकर कांट्रेक्टर से बैंक गारंटी तक लेने का प्रावधान रखा गया। हमने हर कदम पर किसानों के हित का ध्यान रखा। यही वजह है कि हमारे पूरे कार्यकाल में कोई किसान आंदोलन नहीं हुआ।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार जब अध्यादेश के जरिए नए कृषि कानूनों को लेकर आई थी तो वह इसे बीजेपी की तरफ से किसानहित में किए गए बड़े रिफॉर्म बता रही थी। लेकिन जब किसानों ने इसका अध्ययन किया और इनका विरोध शुरू कर दिया तो बीजेपी इसे पिछली सरकार की सिफारिशें बताने लगी। जाहिर है सरकार लगातार अपनी ही बातों और बयानों में फंस रही है। यही वजह है कि किसान अब सरकार पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। उनकी मांग है कि उन्हें ज़ुबानी आश्वासन नहीं, एमएसपी की गारंटी का कानून दिया जाए और जो भी एमएसपी से कम पर खरीद करें उसके खिलाफ सजा का प्रावधान किया जाए।

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