भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक बुधवार प्रात: से ही सरकार की ओर से किसानों के पास जनता में संदेश आने लगे कि सरकार एमएसपी खत्म नहीं होगा, इसके लिए कानून बनाया जाएगा। और भी कई बदलावों की बातें आने लगीं। कहीं यह आस होने लगी कि शायद आज फैसला हो जाए परंतु किसानों ने सरकार के ड्राफ्ट को सिरे से खारिज कर दिया। इसके बाद किसान आंदोलन और तीव्र होने की संभावना है। किसान नेताओं की ओर से कहा जा रहा है कि अब भाजपा के मंत्रियों का घेराव होगा। इसी प्रकार जयपुर-दिल्ली हाइवे को 12 दिसंबर तक रोके जाने की बात भी कही जा रही है। किसान नेताओं कहना है कि पूरे देश में 14 दिसंबर को धरना-प्रदर्शन होंगे। इतना ही नहीं, किसान नेताओं की ओर से यह भी कहा गया कि 12 दिसंबर को सभी टोल प्लाजा फ्री करेंगे अर्थात पूरे देश में आंदोलन और तेज करेंगे। कुछ नेताओं से यह भी सुनने में आया कि दिल्ली की सडक़ों को जाम करेंगे। कहीं यह बात भी सुनी गई कि एमएसपी पर गारंटी का कानून बने और यदि दोबारा प्रस्ताव आया तो हम विचार करेंगे। लेकिन इस बात में संदेह नजर आता है। एक ओर किसान संगठन तीनों कानून रद्द करने पर अड़े हुए हैं तो ऐसे में क्या एमएसपी पर गारंटी का कानून बनाने की बात अलग से, इस पर विचार करनी की बात है। खैर, कुल मिलाकर हमें अभी पूरी स्थितियां स्पष्ट नहीं हो पाई हैं लेकिन एक बात अवश्य है कि आने वाले समय में आंदोलन में तीव्रता आएगी और ऐसे में सिर पर कफन बांधे किसान यदि कहीं आक्रामक हो गए तो यह आंदोलन जो अब तक शांतिपूर्ण चल रहा है, हिंसात्मक भी हो सकता है। जिस बात को बल इस बात से मिलता है कि वे कह रहे हैं कि 12 दिसंबर को सभी टोल फ्री करेंगे तो टोल वाले क्या आराम से टोल फ्री कर देंगे? यह बात तो तय है कि किसान आंदोलन को सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त हो रहा है और जो प्रधानमंत्री मोदी का नाम हर सवाल के जवाब में चलता था, उसमें बहुत कमी आई है। भाजपा के आइटी सेल पर सोशल मीडिया में आम जनता भारी पडऩे लगी है। ऐसे में यह कहना अनुचित नहीं होगा कि जितना भी समय यह आंदोलन चलेगा, वह सरकार के लिए घातक होगा और उसके जनाधार में कमी आती चली जाएगी। Post navigation प्लास्टिक उपयोग के प्रतिबंध के तहत सैक्टर-34 में की गई कार्रवाई असामाजिक संगठनों की भागीदारी, किसानों और सरकार के सामंजस्य के बीच बन रही रोड़ा-वशिष्ठ कुमार गोयल