पंचकूला, 9 दिसंबर। चौधरी छोटूराम जाट भवन सैक्टर-6 पंचकूला में जाट सभा पंचकूला व चण्डीगढ़ के प्रधान एवं हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. एम.एस. मलिक, आई.पी.एस (सेवानिवृत) की अध्यक्षता में जाट सभा की कार्यकारिणी की मीटिंग आयोजित की गई जिसमें जाट सभा चंडीगढ़, पंचकूला, अखिल भारतीय शहीद सम्मान संघर्ष समिति व चौधरी छोटूराम सेवा सदन, कटरा-जम्मू की ओर से वर्तमान में चल रहे किसान आन्दोलन को पूर्ण समर्थन सहित आर्थिक योगदान व गर्म वस्त्र, खाद्य सामग्री आदि प्रदान करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया।

डॉ. एमएस मलिक ने कहा कि किसान आन्दोलन शांतिपूर्वक चलाया जा रहा है जिसमें समाज के हर वर्ग से नौजवान, महिलायें, सीनियर राजनीतिज्ञों, खिलाडियÞों, डॉक्टर, विद्यार्थी, भूतपूर्व सैनिक, समाजसेवी संस्थाओं व खाप पंचायतों आदि का भरपूर सहयोग व सहानुभूति किसानों को मिल रही है। पंजाब व हरियाणा बार काऊंसिल के चेयरमेन ने भी सरकार को पत्र लिखकर केन्दी्रय सरकार से पारित किये तीनों कृषि बिलो को वापस लेने का आग्रह किया है। कई सीनियर राजनीतिज्ञ व खिलाड़ी किसानों के समर्थन में अपने सम्मान पदक तक सरकार को वापस कर रहे है।  उन्होंने कहा कि यह आंदोलन एक जनआन्दोलन बन चुका है जिसको देश के कोने-कोने से व विदेशों से भी समर्थन मिल रहा है। यू.के. व कैनेडा के 35 सांसदों व यूनाइटिड संघ द्वारा भी भारत सरकार द्वारा किसानों की समस्या का शीघ्र हल करने का आग्रह किया गया है। यह जन आन्दोलन आम लोगों की भावनाओं से जुड़ा है जो कि अत्यन्त संवेदनशील मुद्दा बन चुका है, इसलिए सरकार को टाल-मटोल व भेदभाव की नीति छोडकÞर तुरन्त सार्वजनिक हित में किसानों की समस्या का समाधान करना चाहिए।

डॉ. मलिक ने किसान यूनियन के प्रधान सरदार गुरनाम सिंह चढुनी को पत्र लिखकर पूर्ण सहयोग, आर्थिक सहायता व खाद्य सामग्री, गर्म वस्त्र आदि सभा की ओर से देने का आश्वासन दिया है। इसके साथ ही जाट सभा द्वारा प्रदेश के सभी चुने हुए जनप्रतिनिधियों को वर्तमान किसान आन्दोलन को शीघ्र बातचीत करके समाधान करने के लिये सरकार पर दबाव बनाने का आग्रह किया है। जन भावनाओं का सम्मान करते हुये किसान समस्याओं का समाधान करवाना हर जन प्रतिनिधि का सवैधानिक कर्तव्य है। यदि वे ऐसा नहीं कर सकते तो उनको जनता का भारी विरोध सहन करना होगा।

डॉ. मलिक ने आगे कहा कि केन्दी्रय सरकार द्वारा जल्दबाजी में पास किये गये तीनों बिल किसान विरोधी हंै जिससे किसान व कृषि-व्यवस्था बर्बाद हो जायेगी। इसलिये किसान के अस्तित्व को बचाने के लिये इन बिलों को तुरन्त रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि समस्त राष्टÑ का किसान इन कृषि बिलों के खिलाफ आन्दोलनरत है और जनहित के खिलाफ पास किये गये ये कानून रद्द किये जाने जरूरी है। इस प्रकार के कृशि विरोधी तीन बिल-दो आब बारी एक्ट, पंजाब लैड कोलोनाईजेसन एक्ट व पंजाब लैड एलीनेशन एक्ट वर्ष 1907 में बिट्रिश सरकार द्वारा पास किये गये थे जिनको भारी जन आक्रोष के कारण सरकार को रद्द करना पड़ा था। किसान आन्दोलन को दिन प्रतिदिन राष्टÑ के हर वर्ग व क्षेत्र से व्यापक समर्थन व सहयोग मिल रहा है और यह अन्तर्राष्टÑीय स्तर का जनआन्दोलन बन गया है जो कि राष्टÑपिता महात्मा गांधी द्वारा चलाये गये चंपारण आन्दोलन व स्वर्गीय जयप्रकाश नारायण द्वारा वर्ष 1976-77 में चलाय गये जन आन्दोलन से भी व्यापक जनहित का मुद्दा बन चुका है।

सिन्धु बार्डर पर धरने पर बैठे किसान लायलपुर में वर्ष 1907 में शहीद भगत सिंह के चाचा द्वारा किसानों की सभा में लगाये गये नारे-पगड़ी संभाल जटाज् को गुनगुनाकर हुंकार भर रहे हंै। यह आन्दोलन राष्टÑ को अन्न उपलब्ध करवाने वाले अन्नदाता-किसान व ग्रामीण समाज के मुख्य व्यवसाय कृषि से जुड़ा है और किसान के हितों को दर किनार करने वाली सरकार ’यादा दिन नहीं टिक सकती। इसलिए सभी खाप पंचायतों, सामाजिक संगठनों को एकजुट होकर किसान आन्दोलन में सहयोग करने व किसान समस्याओं के शीघ्र हल के लिये केन्द्रिय सरकार पर दबाव बनाना चाहिए।

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