AICC दिल्ली में पत्रकार वार्ता के दौरान दिया बयान
किसानों का भारत बंद पूरी तरह से सफल रहा
हर वर्ग ने जाति, धर्म और इलाका वाद से उठकर भारत बंद का साथ दिया
भारत बंद में ट्रांसपोर्ट, ट्रेड यूनियन, पेट्रोल पंप एसोसिएशन समेत हर संगठन शामिल हुआ
देश का किसान खुशहाल नहीं होगा तो कोई भी खुशहाल नहीं हो सकता
भारत एक कृषि प्रधान देश है, यहां 50 प्रतिशत से ज्यादा रोजगार कृषि क्षेत्र देता है
सरकार अमेरिका की तर्ज पर देश से एमएसपी को खत्म करना चाहती है, लेकिन अमेरिका की पॉलिसी और भारत की पॉलिसी में अंतर है
नए कृषि कानून किसानों के हित में नहीं है
पहले केवल एपीएमसी होती थी, अब दो मार्केट बन गई है
इनमें एक एपीएमपी और एक बिना यार्ड की मंडी बना दी गई है
एपीएमपी में किसान को एमएसपी मिलेगी, लेकिन बिना यार्ड की मंडी में कोई एमएसपी नहीं दी जाएगी
आवश्यक वस्तु अधिनियम में भी स्टोर करने की कोई सीमा नहीं रखी गई है
इससे जब किसान की फसल आएगी तो व्यापारी उसे सस्ते में खरीदकर स्टोर कर लेगा और बाद में डिमांड, सप्लाई बढ़ने पर उसे महंगे दामों पर बेचेगा ।
सरकार को नए कृषि कानूनों को वापस लेकर संसद का सत्र बुलाकर इस पर चर्चा करवानी चाहिए

हरियाणा में 9 अगस्त 2007 को कांट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर नियम बनाए गए थे
लेकिन नए कानूनों में एमएसपी को लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया, जबकि उनके समय में बनाए गए नियमों में एमएसपी से कम की खरीद पर सजा का प्रावधान रखा गया था
कांग्रेस के घोषणा पत्र में एपीएमपी को खत्म करने की बात कहकर बीजेपी जनता को गुमराह कर रही है

कांग्रेस के घोषणा पत्र में मंडियों के विस्तारीकरण की योजना थी, जैसे की हरियाणा में हर 8 से 10 किलोमीटर पर किसान की फसल के लिए परचेज सेंटर बनाया गया है

कांग्रेस के राज में ही किसान के फसली ऋण का ब्याज 12 प्रतिशत से कम कर 4 प्रतिशत किया गया था, जबकि हरियाणा में इसे पूरी तरह से खत्म किया गया था

सरकार को नए कृषि कानून तुरंत वापस लेकर लोकसभा का सत्र बुलाकर देश के सभी किसान संगठनों से इस बारे में बात करनी चाहिए

किसान संगठन चाहे तो फिर सरकार इसे लागू कर सकती है

लेकिन सरकार ने कोरोना के समय में बिना किसी से चर्चा के इन नए कानूनों को पास कर दिया
हरियाणा में कांग्रेस के समय में रोहतक, पानीपत और करनाल में किसानोंके लिए एग्रोम मॉल बनवाए गए, लेकिन बीजेपी सरकार उसे आगे चला नहीं पाई

आज इंटरनेशनल मार्केट में तेल की कीमत कम है, लेकिन देश में डीजल के दाम बढ़ने से किसान की फसल पर लागत बढ़ गई है। इसके साथ की कीटनाशक और खाद के दाम भी लगातार बढ़ रहे है, जबकि एमएसपी उस अनुपात में नहीं बढ़ रही

यूपीए के समय में किसान की फसल में सालाना 13 से 14 प्रतिशत के एमएसपी की बढ़ोतरी होती थी, जबकि बीजेपी के शासन में केवल 4 से 5 प्रतिशत क बढ़ोतरी हो रही है

कांग्रेस पूरी तरह से किसानों की मांगों का समर्थन करती है, ना कि किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रही है

आज के किसान आंदोलन के उग्र रूप लेने के लिए हरियाणा सरकार जिम्मेदार है
हरियाणा सरकार ने शांतिपूर्ण तरीके से अपने देश की राजधानी जा रहे किसानों पर आंसू गैस और पानी की बौछारे की

कोरोना के समय में हो रहे इस आंदोलन को बीजेपी के मुख्यमंत्री मनोहर लाल विदेश फंडिंग से चल रहा आंदोलन बता रहे है

बीजेपी के मंत्री और मुख्यमंत्री की और से ऐसा बयान देकर पूरे देश और देश के किसानों का अपमान किया गया है

आज हरियाणा के दो आजाद विधायक सरकार से समर्थन वापिस ले चुका है और जेजेपी के 6 से सात विधायक किसानों के पक्ष में बोल रहे है

इसलिए कांग्रेस ने राज्यपाल से विधानसभा का आपात सत्र बुलाने की मांग की है, जिससे किसान के पक्ष में बोलकर सरकार को समर्थन दे रहे विधायकों की असलियत जनता के सामने आ सके

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