पतिदेव पवन की तरह सामाजिक उत्तरदायित्व निभाने में सक्षम है

धर्मपाल वर्मा

चंडीगढ़ । अंबाला शहर नगर निगम चुनाव के लिए कांग्रेस ने पहली महिला महापौर और सभी वार्डों के लिए पार्षद उम्मीदवार तय करने के लिए अपनी तैयारियां शुरू कर दी है । इसके लिए दोनों उम्मीदवारों मतलब महापौर तथा पार्षद के चुनाव के लिए आवेदन मांग लिए हैं ।

अंबाला शहर नगर निगम का चुनाव यूं तो सभी राजनीतिक दलों और उनके नेताओं के लिए महत्वपूर्ण है परंतु जिस तरह माहौल बदल रहा है , हरियाणा में गठबंधन सरकार बैकफुट पर नजर आने लगी है । उसे देखते हुए विकल्प के रूप में कांग्रेस का उभर कर आना स्वाभाविक है । कांग्रेस के नेता भी इस बात को लेकर उत्साहित भी हैं और संजीदा भी ।

इन्हीं कारणों से कांग्रेस के नेता यह महसूस करने लगे हैं कि यदि उम्मीदवार सही हुए तो पार्टी पंचकूला अंबाला और सोनीपत तीनों नगर निगमों में जीत का परचम लहरा सकती है ।

कुमारी शैलजा के अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार कांग्रेस ने निकाय चुनाव टिकट पर लड़ने का फैसला किया है ।

हम यह कह सकते हैं कि हरियाणा में पूरे देश में सबसे कम छुआछात है लेकिन यहां चुनाव में जातीय समीकरण बहुत प्रभावी रहते हैं और इन्हीं कारणों से राजनीतिक दलों को भी जातीय आधार पर टिकट बांटने या इस तरह से ही उम्मीदवार तय करने को मजबूर होना पड़ जाता है । इसलिए कांग्रेस भी इस पक्ष पर विचार कर सकती है कि शहरों की आबादी और जातीय समायोजन के दृष्टिगत तीन में से एक नगर निगम में पंजाबी एक में अग्रवाल और एक मे किसी तीसरे समुदाय के उम्मीदवार को टिकट देने का फार्मूला तैयार किया जा जाए ।

कांग्रेस पार्टी के पास सोनीपत और पंचकूला में कोई बहुत मजबूत अग्रवाल उम्मीदवार नहीं है । इन दोनों जगह पंजाबी या किसी तीसरे समुदाय को टिकट देने की बड़ी संभावना है । ऐसे में अग्रवाल समाज को उसी तरह प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है जिस तरह 2019 के विधानसभा चुनाव में अंबाला कैंट से कांग्रेस ने अग्रवाल समाज की प्रतिनिधि के रूप में रेनू अग्रवाल को टिकट दी थी।

भारतीय जनता पार्टी भी विधानसभा चुनाव के समय अंबाला कैंट और अंबाला शहर में इसी फार्मूले को अप्लाई करती रही है ।मतलब अंबाला कैंट से पंजाबी और अंबाला शहर से अग्रवाल को टिकट दी गई।

ऐसे में कांग्रेस के पास अंबाला में मीना अग्रवाल को ऐसी उम्मीदवार के रूप में देखा जाने लगा है जो उपयुक्त और जिताऊ साबित हो सकती हैं। एक सर्वेक्षण से यह बात सामने आई है कि मीना अग्रवाल को उनके पति पवन अग्रवाल तथा परिवार की सामाजिक पहचान का लाभ मिलेगा । उन्हें मध्यम वर्ग के मतदाताओं का इसलिए लाभ मिल सकता है कि उनका परिवार परंपरागत कांग्रेस विचारधारा का है और शराफत तथा ईमानदारी के लिए जाना जाता है। संपन्न परिवार है जिनका राजनीति में रहने का मकसद केवल सामाजिक स्टेटस बनाना उसे कायम रखना है। यहां अंबाला में लोगों में यह आम राय है कि पवन अग्रवाल जिनकी पत्नी मीना अग्रवाल मेयर पद के लिए कांग्रेस की टिकट की प्रबल उम्मीदवार मानी जा रही है ,आसानी से चुनाव जीत जाएंगी ।

अंबाला शहर में दो पंजाबी उम्मीदवार आने की संभावना तो बन ही रही है यहां पहले दिन से ही चुनाव तिकोने स्वरूप में नजर आ रहा है ,क्योंकि दो अन्य नगर निगमों में जहां कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में सीधे मुकाबले के आसार बन रहे हैं वहीं अंबाला में कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी के अलावा तीसरा पक्ष और विकल्प हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट तीसरे राजनीतिक दल के रूप में विद्यमान है । फ्रंट के संस्थापक अध्यक्ष पुराने कांग्रेसी नेता और पूर्व मंत्री चौधरी निर्मल सिंह हैं। अंबाला में यह भी संभव है कि एक और पूर्व मंत्री और पुराने कांग्रेसी नेता विनोद शर्मा अपनी पत्नी शक्ति शर्मा को भी चुनाव मे उतार दें मतलब अंबाला शहर में चोकोने चुनाव के भी आसार हैं । इस तरह बहुकोणिय मुकाबले में कांग्रेस की जीत आसान हो सकती है बशर्ते उम्मीदवार अग्रवाल समाज का हो । इन परिस्थितियों में मीना अग्रवाल को कांग्रेस की टिकट मिलने में कोई दिक्कत पेश नहीं आनी चाहिए।

आप अनुमान लगा सकते हैं कि उम्मीदवार मीना अग्रवाल के पतिदेव पवन अग्रवाल पिछले 16 वर्ष से नगर निगम इससे पहले नगर परिषद के चुनाव जीतते आ रहे हैं और वह कांग्रेस के ऐसे समर्पित नेता मतलब जनप्रतिनिधि है जो कांग्रेस की जड़े सीचने के फार्मूले को अप्लाई कर के चलते हैं ।गुटबाजी से उन्हें कोई लेना देना इसलिए नहीं रहता की पार्टी जिन्हें संगठन की जिम्मेदारी देकर भेजती है वे भी उसी को पार्टी मानकर उनके कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं और आज कुमारी शैलजा अध्यक्ष के रूप में जो जिम्मेदारी सौंपती हैं , वे उसका समर्पण भाव से अनुसरण करते हैं ।

एक भेंट में उन्होंने बताया कि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो उन पर यह आरोप लगाते हैं कि वे अमुक नेता की खास थे फिर दूसरे नेता के खास हुए और अब कुमारी शैलजा के साथ आ गए हैं ।उन्होंने कहा कि हम आरंभ से सारे बड़े नेताओं के साथ काम करते रहे हैं और पार्टी जिसे भी अध्यक्ष बनाकर भेजती है ,हम उनके साथ पूरी ताकत से जुट जाते हैं ।आज कुमारी शैलजा हमारे लिए कांग्रेस है । क्योंकि वह हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष हैं । वे जो आदेश देंगी हम उसी का अनुसरण करेंगे । टिकट के लिए आवेदन करना सबका अधिकार है और हम भी चुनाव लड़ना चाहते हैं यदि पार्टी मौका देगी तो हम पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेंगे और जीत कर दिखाएंगे। उन्होंने कहा कि हम यह दावा कर सकते हैं कि हमे अंबाला शहर की समस्याओं का पता तो है ही, हमारे पास इन समस्याओं का समाधान भी है।

जब से यह फैसला हुआ है कि कांग्रेस पार्टी निकाय चुनाव अपने चुनाव चिन्ह पर लड़ेगी तब से अंबाला शहर में आम धारणा और मनता हो गई है कि कांग्रेस पार्टी अग्रवाल समाज के इस परिवार को मेयर उम्मीदवार के रूप में अधिमान देगी तो जीत की संभावनाएं बहुत बढ़ जाएंगी । इस समय परिस्थितियां भी इस तरह से बन रही है कि उम्मीदवार सही हुआ तो कॉन्ग्रेस यहां बाजी मार ले जाएगी । कांग्रेस की नेत्री कुमारी शैलजा के लिए अंबाला के चुनाव में जीत इसलिए ही जरूरी नहीं है कि यह पार्टी की अध्यक्ष है बल्कि इसलिए भी है कि वे लोकसभा में अंबाला लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती है मतलब यहां से ही चुनाव लड़ती हैं और दो बार सांसद रही है।

उनके दिमाग में अंबाला नगर निगम मेयर उम्मीदवार के रूप में और भी कई नाम होंगे परंतु पवन अग्रवाल इनमें इसलिए 21 साबित हो सकते हैं कि वे अपने साधनों और टीम के दम पर पहले दिन ही चुनाव को स्पीड अप करके दिखा सकते हैं ।

मीना अग्रवाल स्नातक है ।उनकी शिक्षा-दीक्षा उनके मायके पटियाला में हुई है । वे सामाजिक जिम्मेदारी की अपनी दूसरी पारी बखूबी खेल सकती है, यह इनके पति पवन अग्रवाल ही नहीं मानते बल्कि शहर के अधिसंख्य अग्रणी नागरिक जानते भी हैं ।यहां शहर के लोग भी यही मानकर चल रहे हैं कि कांग्रेस मीना अग्रवाल को ही उम्मीदवार बनाने का फैसला लेगी। कुछ लोग यह जरूर मानते हैं कि हिम्मत सिंह कांग्रेस के पुराने नेता थे जिनकी पत्नी इस चुनाव में भी उम्मीदवार हो सकती थी वह इसलिए की हिम्मत सिंह कुमारी शैलजा को छोड़कर चौधरी निर्मल सिंह के साथ हरियाणा डेमोक्रेटिक पार्टी में शामिल हो गए थे ।परंतु बहुत लोग यह कहते हैं कि उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ी नहीं है और वे किसी और पार्टी में शामिल हुए नही है । ऐसे में कांग्रेस या कुमारी शैलजा उनके मतलब उनकी पत्नी के नाम पर कैसे विचार कर सकती हैं । यह जरूर कहा जा सकता है कि हिम्मत सिंह पार्टी नहीं छोड़ते तो आज वे टिकट के सबसे प्रबल उम्मीदवार होते क्योंकि पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने का भी मौका दिया था । यह भी सब जानते हैं कि राजनीति में आर पार की बात करने वाले व्यक्ति को फायदा होता है और दो नाव में सवारी करने वाले नेता को नुकसान ।

यहां एक बात जरूर देनी पड़ेगी की अंबाला में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार निश्चित तौर पर बिट्टू चावला की पत्नी अमीषा चावला होगी वह पहले पार्षद रह चुकी हैं और शहर में असर रसूख रखती हैं । कुछ लोग यह चर्चा करने में भी लगे हुए हैं कि चुनाव के अंतिम दौर में चौधरी निर्मल सिंह और पंडित विनोद शर्मा परस्पर कोई सहमति बना सकते हैं ‌। ऐसा हुआ तो यह चुनाव का टर्निंग प्वाइंट होगा । परंतु इसकी व्यवहारिक संभावनाएं कम है।

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