किसानों के धैर्य का इम्तिहान ना ले सरकार, जल्द माने मांगे- दीपेंद्र सिंह हुड्डा

किसानों को मिल रहा है मजदूर, कर्मचारी, सामाजिक और राजनीतिक संगठनों का भी समर्थन, अब ये बन चुका है जन-जन का आंदोलन- सांसद दीपेंद्र
कानून वापिस लेने से सरकार के खजाने पर नहीं पड़ रहा कोई फर्क, फिर भी कानून क्यों नहीं ले रही वापिस? – सांसद दीपेंद्र
अपनी मांगों से किसी तरह के समझौते के मूड में नहीं हैं किसान, आधे अधूरे वादों में उलझाने की कोशिश ना करे सरकार- सांसद दीपेंद्र

6 दिसम्बर, चंडीगढ़: राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने किसान आंदोलन को लेकर सरकार के रवैये पर सवाल खड़े किए हैं। हुड्डा का कहना है कि सरकार लगातार किसानों के धैर्य का इम्तिहान ले रही है। जबकि किसानों की मांग पूरी तरह स्पष्ट और जायज़ हैं। 3 कानूनों को वापिस लेने से भी सरकार के खाज़ाने पर भी कोई असर नहीं पड़ने वाला। फिर भी सरकार इन कानूनों को वापिस क्यों नहीं ले रही? सरकार का ये अड़ियल रवैया समझ से परे है।

राज्यसभा सांसद का कहना है कि अन्नदाता मुश्किल और निर्णायक दौर से गुज़र रहा है। हरियाणा सरकार की तरफ से लगाई गई तमाम बंदिशों को पार करते हुए, किसान अपना घर छोड़कर कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे बैठा है। इतने बड़े स्तर पर चल रहा आंदोलन पूरी तरह अनुशासित और शांतिपूर्ण है। किसान ही नहीं देशभर के मजदूर, कर्मचारी, समाजिक, राजनीतिक और दूसरे संगठनों का समर्थन भी आंदोलन को मिल रहा है। हरियाणा, पंजाब के बाद यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, झारखंड, महाराष्ट्र समेत सभी प्रदेशों के किसान इस आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं। इसलिए अब ये जन-जन का आंदोलन बन चुका है। आंदोलन जितना लंबा चलेगा, उतना ही बड़ा होता जाएगा।

दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार किसानों को बयानबाज़ी और आधे अधूरे आश्वासनों में उलझाने की कोशिश ना करे। किसान अपनी मांगों से किसी भी तरह के समझौते के मूड में नहीं हैं। इसलिए सरकार को अन्नदाता के दर्द और मांगों की गंभीरता को समझना चाहिए। उसे फौरन किसानों की मांगों को मानना चाहिए।

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