-धनंजय कुमार

अधिकांश हमने देखा हैं कि फिल्मों और धारावाहिकों में काल्पनिक यानि कि आभासी दुनिया में ले जाया जाता है। वो ख्वाब जो कभी पूरे नहीं हो सकते वे इनमें डिसक्लेमर के साथ पूरे होते हुए दिखाए जाते है। हम उन्हें खुशी-खुशी देखते भी हैं। क्योंकि हमें इन ख्वाबों को देखना अच्छा ही नहीं लगता वरन् हम उसके साथ एक नई ख्वाबों की दुनिया का समावेश भी अपने अंदर कर लेते हैं। चूॅकि मेहनत के पैसों से इन ख्वाबों को पूरा करना संभव ही नहीं है। कुछ इसी तरह की बात करते हैं आजकल चल रहे ट्रैण्ड्स की। छोटों के लिए कोडिंग और युवा लोगों के लिए ड्रीम-11 रमी खेलने और अपने जीवन को खुषनुमा बनाने की आभासी तस्वीर विज्ञापन की दुनिया में आज अनुभव की जा रही है। कोरोना महामारी का सबसे बड़ा लाभार्थी ऑनलाइन गेमिंग व्यवसाय है। एक ओर, छह और दस वर्ष की आयु के बच्चों को कोडिंग सीखने के लिए विज्ञापित या कहें प्रेरित किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर, युवाओं को ड्रीम-11 की टीमों में खेलने और ऑनलाइन रमी खेलने और बिना कुछ किए करोड़ों रुपये कमाने के लिए आकर्षित या कहें कि गुमराह किया जा रहा है। कोडिंग की नई आभासी छवि ने सचमुच पालकों को पागल कर दिया है। माता-पिता ने दस साल की उम्र तक अपने बच्चों को कोडिंग मास्टर्स बनाने के लिए आगे आ रहे है। ये माना कि अनजान, छोटे बच्चों की बुद्धि विकसित करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक विकल्प प्रदान करना भी आवश्यक है। इसमें मैदानी क्षेत्र के खेल के अलावा, कुछ मस्तिष्क-उत्तेजक खेल भी होने चाहिए। लेकिन अगर कम उम्र में कोई ऐप बनाया जाता है, तो दुनिया भर की कंपनियां, पूंजीपति इसमें निवेश करने के लिए दौड़ पड़ेंगे— वो माता-पिता@अभिभावक या कहें पालक ही क्या जो इन सपनों को साकार करने के पीछे न भागे। उनके सपने तो बाद में भी चलेंगे! कुछ इस तरह की प्रतियोगिता अभी हर जगह चल रही है। 

यह इस सवाल से बाहर नहीं होना चाहिए कि निकट भविष्य में, बच्चों के स्वास्थ्य और सामाजिक सरोकार विस्मयकारी होंगे क्योंकि बच्चों की दुनिया एक तरह से कोमा से गुजर रही है और प्रौद्योगिकी के लिए अवांछित इच्छा के कारण वे समय से पहले बड़े हो रहे हैं। ऑनलाइन गेमिंग के बढ़ते कारोबार से पता चलता है कि लगभग 83 प्रतिशत पुरुष और देश भर में 14 प्रतिशत महिलाएं ऑनलाइन गेम खेलती हैं। उनमें से अस्सी फीसदी 24 साल से कम उम्र के हैं। आभासी पैसे का उपयोग करके गेम खेलने के नए तरीके वर्तमान में विभिन्न कंपनियों के माध्यम से सिखाए जा रहे हैं। एक ओर, जुआ और सट्टेबाजी को अभी-भी अपराध माना जाता है, जबकि दूसरी ओर, समानता वाले ऑनलाइन गेम को बढ़ावा दिया जा रहा है। कई जाने-माने खिलाड़ी और लोकप्रिय कलाकार इसे बढ़ावा दे रहे हैं। स्वाभाविक रूप से, कोरोना अवधि के दौरान घर पर अकेले रहने वालों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है। शायद ऑनलाइन गेमिंग से प्राप्त अरबों रुपए को देखते हुए, केंद्र ने हाल ही में सट्टेबाजी को अधिक आधिकारिक बनाने के लिए कदम उठाने का फैसला किया है। अगर ऐसा हुआ तो यह कहना मज़ाक होगा कि देश भर के युवा पैसा कमाने के लिए कड़ी मेहनत करना चाहते हैं। डिजिटल मार्केटिंग रिसर्च एंड रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020 में, ऑनलाइन गेमिंग में 45 प्रतिषत की वृद्धि हुई। रियल-मनी गेम्स (आरएमजी) खिलाड़ियों की संख्या मार्च 2020 में 365 मिलियन का आंकड़ा पार कर गई। कार्ड आधारित खेलों और फंतासी खेलों की दो श्रेणियां भारतीय युवाओं में बेहद लोकप्रिय हैं। जैसा कि भारत पहला मोबाइल- देश है, 90 प्रतिशत से अधिक ऑनलाइन गेमर्स अपने फोन पर गेम खेलते हैं। ऑनलाइन गेमिंग बाजार, जो अब 500 मिलियन तक पहुंच गया है, 2021 तक 1.1 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। 2019 में, भारत में लगभग 5.6 बिलियन मोबाइल गेमिंग ऐप डाउनलोड किए गए थे। यह संख्या दुनिया में सबसे अधिक है और इसका मतलब है कि दुनिया के 13 फीसदी गेमिंग ऐप अकेले भारत में हैं। अब भारत में, इंटरनेट 31 प्रतिशत आबादी तक पहुंच गया है और विशेषज्ञों को उम्मीद है कि 2021 तक यह 53 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। इसका मतलब है कि देश में 700 मिलियन से अधिक लोगों के पास इंटरनेट का उपयोग होगा, साथ ही साथ गेमिंग विकल्प भी होंगे। इस तीव्र वृद्धि और आरएमजी विज्ञापनों के नकारात्मक प्रभाव ने विज्ञापन के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उपयोगकर्ता वित्तीय और गेमिंग आहार पर जाने के खतरों से अवगत हैं। सूचना और प्रसारण मंत्रालय और उपभोक्ता मामलों के विभाग के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के माध्यम से सरकार इन दिशा-निर्देशों का पूरी तरह से समर्थन कर रही है, जिसका उद्देश्य सेक्टर में भ्रामक और हानिकारक विज्ञापनों के बारे में बढ़ती चिंता को संबोधित करना है। ये दिशा-निर्देश 15 दिसंबर 2020 से जारी किए जाएंगे और कानूनी रूप से अनुमति वाले विज्ञापनों पर लागू होंगे। इसके अनुसार, किसी भी गेमिंग विज्ञापन में 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति को नहीं दिखाना चाहिए या 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति को असली पैसे जीतने के लिए ऑनलाइन गेम खेलना चाहिए या विज्ञापन में कोई संकेत नहीं होना चाहिए कि ऐसा व्यक्ति इन खेलों को खेल सकता है। 

प्रत्येक विज्ञापन में एक निश्चित मात्रा में वित्तीय जोखिम के साथ-साथ गेमिंग आहार पर जाने का जोखिम होता है। कृपया अपने जोखिम पर और इस जोखिम को ध्यान में रखते हुए खेल खेलें। अस्वीकरण अनिवार्य है। रियल मनी विनिंग टाइप गेमिंग के लिए ऑनलाइन गेमिंग को आय के साधन के रूप में या रोजगार के विकल्प के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जाना चाहिए। विज्ञापन को यह संकेत नहीं देना चाहिए कि जो व्यक्ति गेमिंग कर रहा है वह अन्य लोगों की तुलना में अधिक सफल है। इन गेमिंग ऐप्स के लाखों उपयोगकर्ता कम आय वाले परिवारों से आते हैं और इन खेलों में अपनी मेहनत की कमाई को खोने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं। इनमें से कई विज्ञापनों में बड़ी हस्तियों के साथ ही लोकप्रिय कलाकारों का उपयोग करते हैं। जिससे यह विज्ञापनों को ग्राहकों के लिए अधिक आकर्षक बनाता है और ग्राहकों को उनके नायकों और आदर्शों का अंधानुकरण करने के लिए प्रेरित करता है। जबकि हकीकत इससे जुदा होती है। इसके अलावा, तथ्य यह है कि ये गेम नशे की लत है। इन खेलों के अधिकांश विज्ञापन समाज के साथ-साथ व्यक्तियों के लिए भ्रामक और खतरनाक हैं। यही कारण है कि असली पैसे के लिए ऑनलाइन गेम खेले जाते हैं। यह आशा की जाती है कि इन विज्ञापनों के लिए दिशा-निर्देशों की शुरूआत उन्हें अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाएगी, जिससे ऑनलाइन गेमिंग के क्षेत्र में जिम्मेदार और सच्चे विज्ञापन का एक नया दौर प्रारंभ होगा।  

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