चंडीगढ़। कृषि सुधारों से जुड़े नए कानूनों के खिलाफ युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सेक्टर 34-35 लाइट पॉइंट में प्रदर्शन किया। हाथों में तख्तियां लिए पहुंचे कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बिल और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की व सरकार की अर्थी जलाई। युवा कांग्रेसियों ने सरकार पर इन बिलों को संसद में जबरन, अलोकतांत्रिक और असंसदीय ढंग से पास कराने का आरोप लगाया। अध्यक्ष लव कुमार ने कहा कि यह कानून कांट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने वाला है। सरकार की इस नीति से अन्नदाताओं की परेशानी बढ़ेगी। अन्नदाताओं ने ही कोविड-19 और आर्थिक मंदी के बुरे दौर में देश को सम्भाले रखा। किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा कानून का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इससे किसान अपने ही खेत में सिर्फ मजदूर बनकर रह जाएगा। केंद्र सरकार पश्चिमी देशों के खेती का मॉडल हमारे किसानों पर थोपना चाहती है। कांट्रैक्ट फार्मिंग में कंपनियां किसानों का शोषण करती हैं। उनके उत्पाद को खराब बताकर रिजेक्ट कर देती हैं। दूसरी ओर व्यापारियों को डर है कि जब बड़े मार्केट लीडर उपज खेतों से ही खरीद लेंगे तो आढ़तियों को कौन पूछेगा। मंडी में कौन जाएगा ? ये कानून किसानों के साथ-साथ छोटे व्यापारियों के हितों का भी विरोधी है।

पूर्व चेयरमैन बापूधाम कुलदीप व रामकरण ने आरोप लगाया कि भाजपा के नजदीकी कुछ बड़े व्यापारी घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए यह कानून लाया गया है। कृषि उपज वाणिज्य, व्यापार-संवर्धन एवं सुविधा कानून का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इसके लागू होने के बाद  किसानों के उत्पाद की खरीद मंडी में नहीं हो पाएगी। ऐसे में सरकार यह भी नहीं देख पाएगी कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिल रहा है या नही। न्यूनतम समर्थन मूल्य के अभाव में औने-पौने दाम में बड़ी कम्पनियां उत्पाद खरीदेंगी। यह एक नई तरह की साहूकारी जमींदारी प्रथा होगी। किसान संगठन देश भर में कह रहे हैं कि एमएसपी किसानों का कानूनी अधिकार रहे। ताकि तय रेट से कम पर खरीद करने वाले जेल में डाले जा सकें।  इस कानून से किसानों में एक डर दिख रहा है कि किसान और कंपनी के बीच विवाद होने की स्थिति में कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया जा सकेगा। एसडीएम और डीएम ही समाधान करेंगे जो राज्य सरकार के अधीन काम करते हैं। दूसरी ओर व्यापारियों का कहना है कि सरकार के नए कानून में साफ लिखा है कि मंडी के अंदर फसल आने पर मार्केट फीस लगेगी। मंडी के बाहर अनाज बिकने पर मार्केट फीस नहीं लगेगी। ऐसे में मंडियां तो धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगी।

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