भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

कृषि संबंधी तीनों बिलों पर किसानों का आंदोलन लगभग पूरे देश में जारी है। हरियाणा और पंजाब इसके इसके सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र हैं। पंजाब का किसान जो दिल्ली पहुंच रहा है, वह हरियाणा के रास्ते ही पहुंच रहा है। सरकार का कहना है कि हरियाणा में तो किसान आंदोलन पर हैं ही नहीं, जबकि विपक्ष का कहना है कि हरियाणा का सारा किसान अपनी रोजी-रोटी की लड़ाई के लिए सडक़ों पर है। अब इनमें सच्चा कौन और झूठा कौन।

आज मुख्यमंत्री ने गुरुग्राम में कहा कि हरियाणा में किसान आंदोलन है ही नहीं और यहां असर भी नहीं है। कल प्रदेश अध्यक्ष ने कहा था कि कैप्टन अमरिंद्र ने जत्थे तो भेज दिए पर एसवाइएल का पानी नहीं भेजा। आज गृहमंत्री अनिल विज ने उसका ठीकरा कैप्टन अमरिंद्र और राहुल गांधी पर फोड़ दिया। इसी प्रकार कृषि मंत्री का कहना भी यही है कि हरियाणा का किसान संतुष्ट है, जबकि इनकी सत्ता में सांझी जजपा के इनसो राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला का कहना है कि सरकार को इनकी बातें सुननी चाहिएं और किसानों का भ्रम दूर करना चाहिए। सर्दी और कोरोना में किसान सडक़ों पर मारे-मारे नहीं फिरने चाहिएं। 3 दिसंबर की बजाय इनसे आज ही बात होनी चाहिए। अब प्रश्न यह है कि दिग्विजय चौटाला क्या पंजाब के किसानों की बात कर रहे हैं?

इधर कल से कांग्रेस की ओर से और आप पार्टी की ओर से अपीलें की जा रही हैं कि किसान आंदोलनकारियों को हर प्रकार की मदद की जाए। आज बहादुरगढ़ में किसान आंदोलनकारियों से दीपेंद्र हुड्डा मिल रहे थे। कल महम के विधायक बलराज कुंडू किसानों के साथ दिल्ली जा रहे थे। गुरुग्राम से भी योगेंद्र यादव को हिरासत में लिया गया था। आज चरखी दादरी बार एसोसिएशन ने किसानों को समर्थन दिया है। उनका कहना है कि तीनों कृषि कानून किसान के हित में नहीं हैं। रोहतक, भिवानी आदि से भी किसान निकल रहे हैं, उन पर एफआइआर भी दर्ज हो रही हैं तो क्या वे किसान पंजाब के हैं? बड़ा प्रश्न यही है कि अगस्त माह से जब अध्यादेश लाया गया था, तभी से भाजपा सरकार और संगठन किसानों को समझाने में लगे हुए हैं। फिर भी किसान आंदोलन पर हैं। क्या समझा जाए?

भाजपा का कहना है कि किसान आंदोलन है नहीं। जो आंदोलन कर रहे हैं, वे कांग्रेस के बहकाए हुए किसान हैं। एक तरफ तो आंदोलन को नकार रहे हैं, दूसरी ओर आंदोलन के जिम्मेदार कांग्रेस को बता रहे हैं। प्रश्न यह खड़ा होता है कि किसान भाजपा की सरकार और संगठन जो उन्हें अगस्त माह से समझा रहे हैं, उनकी बात न समझ कांग्रेस के बहकावे में क्यों आ रहे हैं?

अब तक हरियाणा के भाजपा नेता किसानों को ब्यानों से, अखबारों से और ट्रैक्टर यात्राओं से समझाते रहे हैं लेकिन कभी बैठकर किसान संगठन के प्रतिनिधियों से बात नहीं की। अब भी उनका कहना यही है कि किसानों को समझा दिया जाएगा। संवाद की बात नहीं आ रही। सर्व मान्य सत्य यह है कि संवाद से ही विवाद हल होते हैं।