नूरगढ़ के सोहम आश्रम में 51 हजार दिये रोशन किए गए. श्रद्धालुओं ने ब्रह्मलीन स्वामी सोमदेव के आश्रय स्थल पर किया नमन. ऐसे लगा अमावस्या की काली रात आसमान से तारे आश्रम में समाए

फतह सिंह उजाला
नूरगढ़/पटौदी ।   कोरोना महामारी के चलते और अनलाॅक के बाद सनातन प्रेमियों सहित भगवान श्री राम के भक्तों के साथ-साथ हिंदुत्व के ध्वजवाहको  के लिए सबसे बड़ा दीपावली पर्व के मौके पर तमाम श्रद्धालु अपने मने मनोभाव पर नियंत्रण नहीं रख सके ।

इसी कड़ी में पटौदी विधानसभा क्षेत्र के गांव नूरगढ़ में स्थित सोहम आश्रम में दीपोत्सव का एक अलौकिक श्रृंगार देखने के लिए मिला । एक तरफ तो अयोध्या में 492 वर्ष के बाद भगवान श्री राम की स्मृति में उनकी जन्मस्थली अयोध्या को दीपों से सजाया गया । वही नूरगढ़ स्थित सोहम आश्रम में भी स्थानीय ग्रामीणों, श्रद्धालुओं के द्वारा यहां 51 हजार दिए रोशन कर एक प्रकार से अयोध्या का प्रतिबिंब का साक्षात एहसास करा दिया गया। पशु पक्षियों के उपचार के साथ-साथ पक्षी प्रेमी, जीव कल्याण और सेवा को समर्पित अर्पित ब्रह्मलीन स्वामी सोमदेव महाराज की तपोस्थली  सहित कर्म स्थली सोहम आश्रम के चप्पे-चप्पे पर केवल और केवल रोशन दीपक ही दिखाई दे रहे थे ।

यह नजारा यह दृश्य स्थानीय ग्रामीणों और श्रद्धालुओं के मुताबिक शताब्दियों सहित सदियों तक एक यादगार बना रहेगा । यहां आने वाले श्रद्धालुओं ने स्वामी सोमदेव महाराज के अंतिम आश्रय स्थल पर श्रद्धा पूर्वक नमन कर महान हुतात्मा का आशीर्वाद भी लिया । कई एकड़ परिसर में फैले सोहम आश्रम की हर दीवार और प्रत्येक पत्थर पर केवल और केवल प्रकृति के प्रेम , जीव कल्याण , अध्यात्म के संदेश, गीता के उपदेश सहित जीवन को सार्थक बनाने वाली शिक्षाप्रद ज्ञानवर्धक बातें ही लिखी हुई हैं । यहां आश्रम में असाध्य रोगों के उपचार के लिए भी व्यवस्था है । सोहम आश्रम और यहां किए जा रहे समाज सुधारक  कार्य, पर्यावरण के हित के कार्य , जीव कल्याण के कार्य को लेकर इसकी ख्याति संपूर्ण उत्तर भारत में बनी हुई है । दीपावली की काली अमावस्या रात्रि के मौके पर दिन ढलने के साथ जैसे-जैसे सोहम आश्रम में दीये रोशन होने लगे और विभिन्न प्रकार की रंगीन रोशनी भी जगमगाहट आने लगी तो कई किलोमीटर दूर से ही इसका एहसास ग्रामीणों को होने लगा कि निश्चित ही इस बार सोहम आश्रम का दीपोत्सव श्रृंगार अलौकिक होगा और देर रात तक श्रद्धालु यहां आश्रम में आने से स्वयं को भी नहीं रोक सके ।

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