-उच्च न्यायालय ने की टिप्पणी, सरकार देखेगी मामला, एजी ने दिया जवाब कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को भेजी -स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार गए थे कोर्ट

भिवानी, 12 नवंबर। प्रदेश भर के 3200 अस्थायी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को एक वर्ष की एक्सटेंशन दिलाने के लिए हाईकोर्ट की शरण में जाने के बाद भी कोई राहत नहीं मिली।

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायायालय ने निजी स्कूलों की हरियाणा सरकार के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी कर दी कि यह सरकार देखेगी। एजी ने हाईकोर्ट को बताया कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट बनाकर सरकार के पास भेज दी है। दो सप्ताह में रिपोर्ट देंगे। वहीं इस मामले में अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल के माध्यम से स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने भी न्यायालय में पक्ष रखा।

बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन की तरफ से प्रदेश भर के अस्थायी व बिना मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के खिलाफ जनहित याचिका 2017 में डाली हुई है। इसी मामले में 12 जुलाई 2018 को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने सरकार के खिलाफ टिप्पणी दी थी कि ऐसा लगता है कि सरकार शिक्षा लॉबी गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के दबाव है और राज्य सरकार अपनी ड्यूटी का निर्वहन करने में फेल हो गई हैं।

गौरतलब होगा कि वर्ष 2019 में हरियाणा सरकार की ओर से निजी स्कूलों को नियमों में राहत देने के लिए कमेटी के गठन किया था। मगर सरकार द्वारा गठित कमेटी ने कोई काम नहीं किया। इसी को आधार बनाकर निजी स्कूलों ने वर्ष 2020-21 शिक्षा सत्र के लिए एक साल की एक्सटेंशन दिलाने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था, मगर हाईकोर्ट ने इस मामले में निजी स्कूलों को कोई राहत नहीं दी। 

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