भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक आज बरौदा विधानसभा उपचुनाव की वोटिंग हो गई। सर्वे और सट्टा बाजार कांग्रेस को आगे बता रहे हैं। खैर, हमारा विषय यह नहीं। यह निर्णय तो दस तारीख को मतगणना के बाद होगा। अब कल से विधानसभा सत्र आरंभ हो रहा है। विपक्षी दलों में यह चर्चा थी या है कि मुख्यमंत्री ने विधानसभा सत्र 5 तारीख को इसलिए बुलाया था कि चुनाव परिणाम आने के बाद संभव है कि भाजपा बैकफुट पर चली जाए और विपक्ष हावी रहे। परंतु आज के चुनाव को देखकर ऐसा लगता है कि विपक्ष अभी भी सत्ता पक्ष पर सवालों की बौछार करता ही रहेगा, जिनके उत्तर देना शायद सरकार के लिए असंभव नहीं तो कठिन अवश्य होगा। पिछला विधानसभा सत्र केवल एक दिन का कर कोरोना की वजह से स्थगित कर दिया गया था। हालांकि स्थगित करने में मुख्यमंत्री तो कोरोना में थे लेकिन उपमुख्यमंत्री और नेता प्रति पक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा दोनों की राय थी। यह दूसरी बात है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा को यह निर्णय लेने के लिए अपने ही विधायकों के सामने जवाब देने पड़े थे। वर्तमान में तीज-त्यौहारों की वजह से कोरोना बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में संभव है कि सरकार की तरफ से फिर प्रस्ताव आए कि कोरोना के बढऩे के कारण विधानसभा सत्र को एक या दो दिन का कर दिया जाए, जिसमें वह अपने आवश्यक अध्यादेश पास करा सकें लेकिन किसान बिल के कारण और बरौदा उपचुनाव के कारण विपक्ष इस समय जोश में है और वह प्रदेश की जनता को यह दर्शाने के लिए कि हम उनकी आवाज विधानसभा में अवश्य उठाएंगे। आशा नहीं कि सत्र को छोटा करने के लिए मानें। पिछले सत्र में भी शराब घोटाला, रजिस्ट्री घोटाला आदि के बारे में अनेक प्रश्न पूछने थे जो अधूरे रह गए थे तो आशा की जाती है कि वे तो पूछे ही जाएंगे, उनके साथ और अनेक घटनाएं घटित हुई हैं, जिनके बारे में सरकार से पूछा जाए तथा काफी संभव है कि संसद में शांतिपूर्ण कार्यवाही न हो, हंगामा हो। इसके पीछे कारण यह है कि पहले एक दिन के सत्र में भी कांग्रेस वॉकआउट कर गई थी। प्रश्नकाल में बरौदा चुनाव से उत्साहित कांग्रेस विधायक अनेक प्रश्न उठाएंगे सरकार की नाकामियों पर, जिनके जवाब सरकार को देने ही होंगे। इन सभी के अतिरिक्त बरौदा विधानसभा उपचुनाव में आज कुछ व्यक्ति फर्जी वोटिंग कराते पकड़े गए और उनकी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होती रही, जिसमें पकड़े गए व्यक्ति कह रहे थे कि यह मशीन हमें भाजपा से मिली है। इधर, कांग्रेस ने आज मनीष ग्रोवर और रमेश लोहार की शिकायत भी चुनाव आयोग में की है। इसी प्रकार इनेलो की ओर से नफे सिंह राठी ने भी चुनाव आयोग में शिकायत करने की बात कही है। राजकुमार सैनी की ओर से भी कहा गया है कि दलितों को दबाव देकर वोट डलवाए गए हैं। तो यह पूरी-पूरी आशा है कि इस पर प्रश्न विधानसभा में अवश्य पूछे जाएंगे। वर्तमान बरौदा उपचुनाव कांग्रेस की ओर से भूपेंद्र सिंह हुड्डा लड़ रहे थे और भाजपा की ओर से कमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल के हाथ में थी। अत: विपक्ष उनसे प्रश्न कर सकता है कि जिन भाजपाईयों के नाम फर्जी वोटिंग कराने की चर्चा में हैं, क्या उन्हें मुख्यमंत्री पार्टी से निकालने के लिए प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को पत्र लिखेंगे? क्या वह प्रशासन से कहेंगे कि जो व्यक्ति फर्जी वोटिंग कराने में दोषी पाया गया है, उसके ऊपर एफआइआर कराकर उचित कानूनी कार्यवाही की जाए? उपरोक्त स्थितियों को देखते हुए यह स्पष्ट नजर आ रह है कि सदन में मुख्यमंत्री को अनेक सवालों के जवाब देने पड़ेंगे और वर्तमान में बरौदा में बैकफुट में होने के कारण उनकी पार्टी में भी ऐसा नजर आ नहीं रहा कि सारी पार्टी उनके पीछे खड़ी है। इस मामले में सबसे अधिक नाम पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यू का लिया जा रहा है कि जाट बाहुल्य क्षेत्र में वह प्रचार में क्यों नहीं उतरे। इसी प्रकार जगबीर मलिक और किताब सिंह मलिक का मुख्यमंत्री द्वारा भाजपा में शामिल कराना भी भाजपा के वरिष्ठों का समर्थन मिलता नजर नहीं आया। ऐसी अवस्था में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के लिए यह सत्र बड़ी परीक्षा होगा। Post navigation कोरोना की मार के बावजूद आबकारी विभाग का बेहतर प्रदर्शन किसान को भुगतान सात दिनों की निर्धारित अवधि में हर हाल में करना है : मुख्यमन्त्री