जेेजेपी के सामने अपने वोट भाजपा को दिलाना बड़ी चुनौती, जाट बाहुल्य क्षेत्र में गैर-जाट मतदाता तय करेंगे जीत-हार, चौटाला के व्यक्तित्व का चला जादू, हुड्डा पिता-पुत्र का बना उप चुनाव

ईश्वर धामु

चंडीगढ़।  बरोदा क्षेत्र को सुरक्षा की दृृष्टी से पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने अपने घेरे में ले लिया है। ताकि कल मंगलवार को होने वाला उप चुनाव शांतिपूर्वक करवाया जा सके।

विधानसभा क्षेत्र में 23 नाकें लगाए गए हैं। यंहा के 54 गांवों में से 20 गांवों को अति संवेदनशील घोषित किया गया है। कल मंगलवार 178250 मतदाता 14 प्रम्याशियों के राजनैतिक भविष्य  का फैसला करेंगे। जाट बाहूल्य इस क्षेत्र में करीब 92 हजार जाट मतदाता हैं। पर इसबार गैर-जाट मतदाता उप चुनाव  में निर्णायक भूमिका अदा करेंगे।

हालांकि भाजपा और कांग्रेस के पास पिछड़ा वर्ग का कोई बड़ा चेहरा नहीं है। परन्तु सभी दल पिछड़ा वर्ग को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं। इस उप चुनाव में तिकोने मुकाबले में भाजपा और कांग्रेस की सीधी टक्कर होनी है। हालांकि भाजपा और कांग्रेस के साथ इनेलो भी जीत का दावा कर रही है। लेकिन यह इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला की मेहनत रही कि चुनाव में पार्टी को चर्चाओं में ला खड़ा कर दिया। खुद ओम प्रकाश चौटाला चुनाव प्रचार के दौरान सुर्खियों में रहे।

कांग्रेस के चुनाव प्रचार की डोर हुड्डा पिता-पुत्र ने सम्भाल रखी थी। यह उप चुनाव भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद पुत्र दीपेन्द्र हुड्डा का रहा। हालांकि चुनाव प्रचार करने कांग्रेस की प्रदेश प्रधान कुमारी सैलजा और किरण चौधरी तथा दूसरे दिज्गज नेता भी पहुंचे थे। परन्तु चुनाव के हीरो पिता-पुत्र ही रहे।

दूसरी ओर भाजपा ने पूरी ताकत झौंकी हुई थी। सत्ता में रह कर चुनाव जीतने केे जितने भी फार्मूले हैं, भाजपा ने सभी का उपयोग किया है इस उप चुनाव मेें। परन्तु सट्टा बाजार भाजपा के अनुकूल नहीं बोल रहा है। ऐसे हालातों में अगर कांग्रेस चुनाव जीतती है तो जीत का पूरा श्रेय भूपेन्द्र हुड्डा और उनके सांसद बेटे दीपेन्द्र हुड्डा को जायेगा। इतना ही नहीं हुड्डा का दिल्ली दरबार में कद बढ़ेगा। इसका सीधा असर कांग्रेस की हरियाणा की राजनीति पर पड़ेगा। हालांकि अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि पार्टी का प्रत्याशी इन्दुपाल नरवाल उर्फ भालू कुमारी सैलजा का प्रत्याशी है या भूपेन्द्र सिंह हुड्डा का? कांग्रेस की जीत से हुड्डा दरबार में भीड़ तो बढेगी साथ ही कार्यकर्ताओ का मनोबल भी उंचा होगा।

बरोदा उप चुनाव एक ओर कांग्रेस की परीक्षा है तो दूसरी ओर भाजपा-जेजेपी गठबंधन का भी इम्तिहान है। भाजपा किसी स्थिति में अगर चुनाव हार जाती है तो इसका सीधा प्रभाव नव मनोनीत प्रदेश प्रधान ओम प्रकाश धनखड़ और मुख्यमंत्री मनाोहरलाल की राजनीति पर पड़ेगा। क्योकि इस उप चुनाव में भाजपा ने धनखड़ को जाट नेता का बड़ा चेहरा बनाया हुआ है। मुख्यमंत्री मनोहरलाल की छवि पर पड़ेगा। उनकी विकास पुरूष की छवि धुमिल होती दिखाई देगी। हार से इन दोनो नेताओं की दिल्ली दरबार में पकड़ ढीली करेगी। परन्तु जेजेपी के सामने इस उप चुनाव में अपने वोटों को भाजपा में बदलना बड़ा चुनौती है।

इस उप चुनाव में पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु की गैर-मौजूदगी अवश्य चर्चाओं में है और कई तरह के सवाल भी पैदा कर देती है। अगर जेजेपी का वोट भाजपा को नहीं गया तो इसका बड़ा लाभ कांग्रेस और इनेलो को मिलेगा। किसी भी पार्टी की जीत-हार में वोटों के  अंतर को लोसुपा प्रभावित करेगी। हरियाणा में दस नवम्बर का दिन प्रदेश की राजनीति का एक मौड़ होगा।