नैतिकता की दुहाई देकर सत्ता हाँसिल करने वाली भाजपा की नीतियाँ अनैतिक हो चली हैं , जो पार्टी अपने आंतरिक आंतरिक लोकतंत्र की दुहाई देते नहीं थकती थी उसने न केवल पार्टी के नियमों की धज्जियां उड़ाई हैं बल्कि चुनाव आयोग के नियमों को भी ताक पर रख दिया है बरोदा उपचुनाव में – उसने यहाँ प्रभावशाली जाती के एक गौत्र की राजनीति कर यह सिद्ध कर दिया है कि वही जनक है जातिगत राजनीति करने की

बरोदा उपचुनाव जीतने के लिए वह किसी भी हद से गुजरने से परहेज नहीं करते हुए किताब सिंह मलिक जो पूर्व विधायक रहे हैं दो योजना उन्हें उनके गौत्र के लोगों को प्रभावित करने के लिए छत्तीसगढ़ से उठाकर ले आई और भाजपा का पटका पहना पार्टी में शामिल करने का स्वांग भर दिया जब्कि वास्तविकता यह है कि क़ई वर्षो से उनका ईस हल्के से कोई नाता नहीं रहा है और जमीनी स्तर पर उनकी कोई पकड़ भी नहीं रह गई है !

राजनैतिक जानकारों की माने तो विधायकी समाप्त होते ही उनके पुत्रों से पारिवारिक मतभेद इतने उग्र हो चुके थे कि बात थाने तहसील तक पहुंच गई थी जिसकारण उन्हें अपना पैतृक घर छोड़कर छत्तीसगढ़ जाकर रहना पड़ा अर्थात बहुत समय पहले ही वह यहां से पलायन कर चुके थे और अब उनकी न ही तो लोगों में पकड़ शेष रही है और ना ही सम्मान – अब चूंकि वह मलिक गौत्र से हैं केवल इसलिए उनका उम्र के अंतिम पड़ाव पर भाजपा में पदार्पण कराया गया है ताकि बहुतायत में बसे इनके गौत्र के वोटरों को आकर्षित कर सकें , देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा कितनी सफल हो पाती अपनी ईस योजना में .?

दूसरी ओर चर्चाएं भी चल रही हैं कि भैंसवाल गांव के ही जगबीर मलिक बतौर पीटीआई सरकारी मुलाजिम को भी मुख्यमंत्री जी ने स्वम् पटका पहना पार्टी में शामिल कर लिया है केवल मलिक वोट पाने के लिए जो चुनाव आयोग के नियमों की अवहेलना ही नहीं संवैधानिक व्यवस्थाओं का मख़ौल उड़ाना भी माना जा सकता है , अब चूंकि सत्ताधारी दल ने ऐसा किया है तो कोई कार्यवाही का होना तो स्वप्न में भी नहीं दिखाई देता है मगर हां ईस बात को जरूर कहा जा सकता है कि नैतिकता को सिरे से नकार चुकी है भाजपा !

बकौल तरविंदर सैनी ( माईकल ) लोसुपा – जातिगत राजनीति की परिकाष्ठा को पार कर चुकी सरकार अपने नेताओं को उन्हीं की जातियों की चौपालों में भेज रही है ताकि वह अपने समाज की वोटों को भाजपा में डलवा सकें उदाहरण के तौर पर पटौदी विधायक जरावता को एससीएसटी चौपालों में भेजा जा रहा है ,इधर जांगड़ा समाज के पदाधिकारियों को उनके समाज में और बैरागी समाज के नेताओं को उनकी चौपालों में जाने के दायित्व सौंपे गए हैं !

सांसद नायब सिंह सैनी जी को तो अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है सैनी समाज की वोटों को तोड़ने के लिए क़ई दिनों से वहीं डेरा जमाने के निर्देश दिए गए हैं -कारण है पूर्व सांसद श्री राजकुमार सैनी जी का बरोदा उपचुनाव में खुद प्रत्यासी होना अर्थात उनकी अपने वर्ग – समाज में जो पकड़ बन गई है उन्हें काटने के लिए – आप इससे ही अनुमान लगा सकते हैं कि अपनों से ही अपनों को किस प्रकार जड़ें कटवाने का कार्य करती है भाजपा – खैर यह तो समय आने पर ही ज्ञात हो पाएगा कि कोंन कितनी पकड़ बनाए रख पाता है और कोन कितनी जड़ें काटने में सफल होता है मगर प्रदेश की जनता ने नैतिकता का हनन होते हुए जरूर देख लिया ।