दूरदराज के राज्यों व अंतर्राष्टï्रीय स्तर पर पशुधन के एक्सपोर्ट की मिलेगी सुविधा

हांसी, 25 अक्तूबर। मनमोहन शर्मा 

हिसार में बनने वाले कार्गो एयरपोर्ट के निर्माण से हरियाणा राज्य के अच्छी नस्ल के पशुधन को न केवल अंतर्राष्टï्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी बल्कि दूसरे देशों को यहां से पशुधन भेजने में भी सहुलियत होगी। इससे किसानों व पशुपालकों की बल्ले-बल्ले होगी और साथ ही रोजगार के अनेक नए अवसर भी पैदा होंगे। इस बारे में लुवास (लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय) ने हिसार एयरपोर्ट के भावी परिप्रेक्ष्य में एक रिपोर्ट तैयार की है जिसमें इंटरनेशनल एयरपोर्ट के आने से पशुधन को अंतर्राष्टï्रीय पहचान, सेना को मिलने वाले सामरिक लाभ, मुर्राह नस्ल की अन्य देशों में त्वरित पहुंच, नस्ल सुधार से जुड़ी प्रयोगशालाओं के सुदृढ़ीकरण, दूध व दुग्ध उत्पादों की अंतर्राष्टï्रीय पहुंच सुनिश्चित होनेे के संबंध में विस्तृत जानकारी मिलती है।

इस बारे में जानकारी देते हुए लुवास के पशु विशेषज्ञ डॉ. नीलेश सिंधु ने बताया कि हिसार जिला की सड़क व रेलमार्ग के माध्यम से तो देश के विभिन्न हिस्सों से बेहतर कनेक्टिविटी है लेकिन हिसार में कार्गो एयरपोर्ट बनने से हिसार की कनेक्टिीविटी राष्टï्रीय ही नहीं, अंतर्राष्टï्रीय स्तर पर सहज सुलभ हो जाएगी जिसका सीधा फायदा प्रदेश के लोगों विशेषकर पशुपालकों को मिलेगा। उन्होंने बताया कि हरियाणा, कृषि के साथ-साथ पशुपालन में भी विशेष पहचान रखता है और प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता के मामले में भी हरियाणा देश में दूसरे स्थान पर है।

उल्लेखनीय है कि हिसार में भारतीय सेना द्वारा संचालित ब्रीडिंग स्टड फार्म, राष्टï्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान, केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान, ट्रैक्टर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, बीएसएफ यूनिट, राजकीय पशुधन फार्म, फ्रोजन सीमन स्टेशन, वैटर्नरी वैक्सीन इंस्टीट्यूट, हरियाणा वैटर्नरी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट तथा क्षेत्रीय गेहूं अनुसंधान संस्थान जैसे राज्य व राष्टï्रीय स्तर के कृषि तथा पशुपालन से जुड़े संस्थान संचालित हैं। यहां रक्षा क्षेत्र से संबंधित हिसार कैंट भी स्थित है।

उन्होंने बताया कि हिसार में कार्गो एयरपोर्ट की स्थापना से जहां दिल्ली व चंडीगढ़ पर भीड़ का दबाव कम होगा वहीं भारतीय सेना द्वारा संचालित अश्व प्रजनन केंद्र से अच्छी नस्ल के घोड़ों को जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तरपूर्वी जैसे उच्च ऊंचाई वाले सामरिक महत्व के क्षेत्रों तक आसानी से पहुंचाना सुनिश्चित हो सकेगा। इन्हें हवाई मार्ग से दिल्ली-चंडीगढ़ एयरपोर्ट तक पहुंचाकर वहां से एयरलिफ्ट किया जा सकेगा।

उन्होंने बताया कि हिसार व साथ लगते जिले जींद, भिवानी व कैथल भारत का काला सोना कही जाने वाली मुर्राह नस्ल की भैंसों का हब हैं और आंध्रप्रदेश, मध्य प्रदेश व तमिलनाडु जैसे राज्यों से भैंसों के व्यापारी इन जिलों से भैंस खरीदकर अपने राज्यों को ले जाते हैं। पशुधन को सड़क मार्ग से ले जाने के कारण पशुओं को काफी परेशानी होती है और लंबे सफर के चलते कई बार तो पशुओं की मौत भी हो जाती है। हिसार में बनने वाले कार्गो एयरपोर्ट से पशुधन को दूरदराज के राज्यों में पहुंचाना आसान होगा। इसके अलावा अच्छी नस्ल के पशुओं को अंतर्राष्टï्रीय स्तर पर भी एक्सपोर्ट किया जा सकेगा जिसका सीधा लाभ हरियाणा के पशुपालकों को होगा। इससे हरियाणा के पशुधन को न केवल अंतर्राष्टï्रीय पहचान मिलेगी बल्कि पशुपालकों की भी बल्ले-बल्ले होगी।

उन्होंने कहा कि नस्ल सुधार के लिए जहां बेहतर लैब सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी वहीं विदेशों से नस्ल सुधार से जुड़े उपकरणों को हिसार लाने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि मुर्राह भैंस व हरधेनू गाय के कारण हरियाणा में दूध की उपलब्धता बहुत अच्छी है। दूध व दूध से बनने वाले उत्पादों को बनाकर दूरदराज के राज्यों के साथ-साथ अन्य देशों को एक्सपोर्ट करने की भी सुविधा कार्गो एयरपोर्ट के कारण उपलब्ध होगी।

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