उमेश जोशी

आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की माँग संबंधी बीजेपी उम्मीदवार योगेश्वर दत्त का  बयान तूल पकड़ रहा है। काँग्रेस इस बयान पर दलित मतदाताओं को उकसा कर अपने पाले में लाने के लिए जुट गई है। काँगेस के दलित विधायकों ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गुस्से का इजहार किया और एलान किया कि बीजेपी की दलित विरोधी नीतियों से बरोदा के दलितों को वाकिफ कराएँगे और बीजेपी के विरोध में मतदान करने की अपील करेंगे। 

विधायक गीता भुक्कल का कहना था कि योगेश्वर दत्त का ज्ञान बहुत कमजोर है। उन्हें यह जानकारी ही नहीं है कि काँग्रेस सरकार ने हरियाणा में पहले ही आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण दिया हुआ है। अब योगेश्वर दत्त कौन-से आर्थिक आरक्षण की बात कर रहे हैं। काँग्रेस के दलित विधायकों के तेवर देख कर लग रहा है कि काँग्रेस हाथरस मामले को भी भुनाने से नहीं चूकेगी।    

हो सकता है कि बीजेपी दलित नेता और पूर्व प्रदेश काँग्रेस अध्यक्ष का मुद्दा उठा कर पलटवार करे। सभी जानते हैं कि जाट नेताओं ने अशोक तंवर को किस कदर प्रताड़ित किया है। यह मुद्दा काफी समय से गरमाया हुआ है। 6 अक्टूबर को काँग्रेस के जिला कार्यालयों में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के पोस्टर फाड़े गए थे। इस मामले में अशोक तंवर समर्थकों का हाथ बताया जा रहा है। एक दलित नेता को जाट नेताओं ने काम नहीं करने दिया और उसे दूध की मक्खी की तरह बाहर कर दिया। 

उधर, अचानक बैकफुट पर आई बीजेपी अपना जनाधार मजबूत करने और नुकसान की भरपाई करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं।  पिछले दिनों कुछ नेता बीजेपी छोड़ गए थे। एक-दो ने तो काँग्रेस का दामन थाम लिया था। इससे बीजेपी के खिलाफ मनोवैज्ञानिक माहौल बन गया और पार्टी विरोधी हवा बनने से पार्टी नेताओं का मनोबल डगमगाने लगा है। 

 बीजेपी कोशिश कर रही है कि काँग्रेस का कोई नेता टूट कर उनके घर आ जाए ताकि  काँग्रेस के मनोबल को चोट पहुंचे और उसकी छटपटाहट जनता को दिखाई भी दे।सूत्रों से पता चला है कि काँग्रेस टिकट दावेदारों की दौड़ में जिस जाट नेता का नाम था उससे बिजेपी के  नेताओं ने संपर्क साधा है। यह नेता हरियाणा के कद्दावर नेता का बेटा है और उसके पाला बदलने से कई राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। यह ध्रुव सत्य है कि टिकट ना मिलने पर हर कोई असंतुष्ट होता है और विरोधी नेता असंतोष की आग में घी डालने पहुंच जाते हैं। बीजेपी भी उसी मनोविज्ञान पर कुछ करने की दिशा में काम करती दिख रही है। सत्ताधारी पार्टी होने के नाते उसके पास लालच देने को बहुत कुछ है।  

 पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने निगमों के 14 चेयरमैन बनाए थे। यह भी कहा जा रहा है कि पद बांटने का सकारात्मक असर दिखाई दे रहा है इसलिए  एक-दो दिन में ऐसा ही ‘पद वितरण समारोह’ फिर हो सकता है। बरोदा चुनाव में लाभ पहुँचाने की हैसियत रखने वालों को कोई पद दिए जा सकते हैं। दांव पेंच का यह सियासी खेल 3 नवंबर तक बदस्तूर चलेगा।

error: Content is protected !!