सबसे पहले दंत चिकित्सक द्वारा बेहोशी के लिए किया गया ईथर का इस्तेमाल: डॉ. ममगाईं
पर्दे के पीछे रहकर निभाते हैं जिम्मेदारी बेहोशी रोग विशेषज्ञ: डॉ. शैली

कुरुक्षेत्र, 16 अक्टूबर 2020 (काजल वालिया) I सर्जन नौकायन जहाज का प्रमुख है, लेकिन बेहोशी रोग विशेषज्ञ डूबते जहाज का प्रमुख है।’ यह कहना है लोकनायक जयप्रकाश जिला नागरिक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक और हृदय एवं छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र ममगाईं शैली का । ये उद्गार उन्होंने आज विश्व संज्ञाहरण दिवस अथवा इथर दिवस की पूर्व संध्या पर व्यक्त किए।

उन्होंने बताया कि हर साल 16 अक्टूबर को दुनिया भर में मनाया जाने वाला एक ऐसा वार्षिक कार्यक्रम है जिसके तहत हम ऑपरेशन से पहले रोगियों को बेहोश करने से लेकर ऑपरेशन के बाद वापसी होश में आने तक की प्रक्रिया में लगे बेहोशी रोग विशेषज्ञों के काम को सलाम करते हैं। 1903 समितियों के वर्ल्ड फेडरेशन द्वारा प्रतिवर्ष विश्व संज्ञाहरण दिवस मनाया जाता है, जिसमें 134 से अधिक समाज का प्रतिनिधित्व करने के साथ 150 से अधिक देश भाग लेते हैं। 1839 के उत्तरार्ध में दर्द रहित सर्जरी की अवधारणा को काल्पनिक माना जाता था और नवजात सर्जनों को जल्दी से स्टील दिया जाता था क्योंकि वह मरीजों की चीज और रोने के प्रति उदासीन हो जाते थे क्योंकि वह खुले हुए थे।

173 साल पहले 16 अक्टूबर, 1846 को दंत चिकित्सक विलियम टी. मार्टन द्वारा डाइथाइल इथर एनेस्थीसिया के पहले सफल आधिकारिक प्रदर्शन के उपलक्ष्य में दुनिया भर में मनाया जाने वाला यह एक वार्षिक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य संज्ञाहरण के बारे में जनता में जागरूकता लाना है। उन्होंने बताया कि हार्वर्ड स्कूल ऑफ मेडिसिन के घर मैसाचुसेट्स सामान्य अस्पताल के बुलफिंच एमफीथिएटर में चिकित्सकों और सज्जनों के लाइव दर्शकों के सामने कदम रखा और एक रोगी को ऑपरेशन से जुड़े दर्द के बिना शल्य चिकित्सा के लाभों को इथर के माध्यम से प्राप्त करना संभव बना दिया।

डॉ.शैली के मुताबिक ‘वर्ल्ड फेडरेशन सोसाइटी ऑफ एनासथीसियोलॉजिस्ट’ रिससिटेशन अंतरराष्ट्रीय संपर्क समिति के साथ मिलकर विश्व संज्ञाहरण दिवस के अवसर पर ‘वर्ल्ड रिस्टार्ट ए हार्ट डे ‘अभियान चलाता है जो 2018 में शुरू हुई वैश्विक पहल के माध्यम से सीपीआर दर को पढ़ाने के साथ-साथ अंडरस्टैंडर सीपीआर के बारे में भी जागरूकता बढ़ाती है।

डॉ. ममगाईं ने जनता से अपील कि वे बेहोशी रोग विशेषज्ञों को भी उनको यथा योग्य सम्मान और महत्त्व दें । वे ऐसे चिकित्सक हैं जो पर्दे के पीछे रहकर काम करते हैं और बड़े बड़े ऑपरेशनों को सफल बनाने में इनकी मुख्य भूमिका होती है। वास्तव में इनकी तुलना एक सिनेमा हाल में फिल्म चला रहे कर्मचारियों के बराबर की जाती है ,जो नजर तो नहीं आते लेकिन सिनेमा के रुपहले पर्दे पर चलने वाली फिल्म को दिखाने में इन्हें की भूमिका होती है जिन्हें हम अक्सर भूल जाते हैं।

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