हिसार /हांसी , 13 अक्तुबर। मनमोहन शर्मा 

कोरोना महामारी के चलते लगभग सभी उद्योग धंधे चौपट होने की कगार पर थे, जिससे देश की अर्थव्यवस्था डगमगा रही थी। लेकिन इस संकट की घड़ी में केवल किसान की मेहनत ने ही देश की अर्थव्यवस्था को बचाने में अहम भूमिका निभाई। यह बात प्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जे.पी. दलाल ने प्रदेश के पहले वर्चुअल मेले के उद्घाटन अवसर पर कही।

उन्होंने कार्यक्रम के मुख्यातिथि प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल जी के संदेश को किसानों के लिए पढ़ा, क्योंकि मुख्यमंत्री जी कार्यक्रम में किसी कारणवश शामिल नहीं हो पाए थे। मुख्यमंत्री ने कोरोना काल में संकट की घड़ी को अवसर में बदलकर इस विशाल वर्चुअल मेले के आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह व प्रशासन की सराहना की और कहा कि विश्वविद्यालय सदैव किसानों के हित के लिए प्रयासरत रहता है। मेले का मुख्य विषय ‘फसल अवशेष प्रबंधन’ रखा गया है। इस दौरान किसान एप्प का भी उद्घाटन किया गया है, जिसके माध्यम से किसान विश्वविद्यालय में उपलब्ध विभिन्न फसलों व सब्जियों के बीजों की उन्नत किस्मों के बीज बुक कर सकते हैं।

कृषि एवं किसान कल्याण जे.पी. दलाल ने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे किसान को ध्यान में रखकर ऐसी उन्नत किस्मों के बीज व तकनीक को विकसित करें जिससे किसान की आमदनी में बढ़ोतरी हो सके। उन्होंने कहा कि छोटी जोत वाले किसान कई बार आधुनिक तकनीकों व मशीनरियों के खर्च को वहन करने में सक्षम नहीं होते, इसलिए वे किसान समूह बनाकर खेती करें जिससे उन्हें और अधिक लाभ मिल सके। इसके अलावा सरकार की ओर से किसानों के लिए पैकेजिंग, भंडारण व पॉली हाउस आदि पर अनुदान मुहैया करवाया जा रहा है, ताकि किसान की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे परम्परागत खेती की बजाय कृृषि विविधिकरण को अपनाकर खेती करें।

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने मेले के विधिवत शुभारंभ पर मुख्यातिथि मुख्यमंत्री मनोहर लाल एवं कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जे.पी. दलाल का स्वागत करते हुए मेले की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस संकट की घड़ी में फिजिकली मेले का आयोजन बहुत ही कठिन कार्य था, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठापूर्वक कार्य करते हुए किसानों के हित को ध्यान में रखकर इसे वर्चुअल कृषि मेले के रूप में आयोजित करने का फैसला लिया। उनका मुख्य लक्ष्य है कि हर किसान तक विश्वविद्यालय की उन्नत किस्मों व तकनीकों का अधिक से अधिक लाभ पहुंचाना है। उन्होंने इस दौरान मेले के मुख्य थीम ‘फसल अवशेष प्रबंधन’ पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में कृषि अवशेष प्रबंधन हेतु नवाचार केंद्र स्थापित किया गया है, जो जल्द ही शुरू होने वाला है। इसके शुरू होने के बाद बायोगैस व सीएनजी गैस के साथ-साथ कृषि अवशेषों से खाद व बिजली उत्पादन भी शुरू हो जाएगा। दीन दयाल उपाध्याय जैविक खेती उत्कृष्टता केंद्र भी जैविक खेती की दिशा में अहम भूमिका निभा रहा है। 

विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि अब तक विश्वविद्यालय ने फसलों की 255 नई व उन्नत किस्मेें विकसित की हैं जो रोग प्रतिरोधी व अधिक पैदावार देने वाली हैं। अब तक 527 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एमओयू साइन हो चुके हैं। इसके अलावा 43 पेटेंट विश्वविद्यालय की ओर से अप्लाई किए गए हैं, जिसमें 17 की स्वीकृति भी मिल चुकी है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि देश के खाद्यान भंडारण में प्रदेश दूसरे स्थान पर है और अकेला हरियाणा प्रदेश देश का 60 प्रतिशत बासमती का उत्पादन करता है, जो अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक हर समय किसानों की समस्या के समाधान के लिए तत्पर हैं।

वर्चुअल कृषि मेले के शुभारंभ अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेंद्र सिंह, आईएएस, लुवास के कुलपति डॉ. गुरदयाल सिंह, विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. बी.आर. कंबोज, विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. आर.एस. हुड्डा, अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत, डॉ. एम.एस. सिद्धपुरिया, डॉ. आर.के.झोरड़,  विश्वविद्यालय के प्रबंधन मंडल की सदस्य सुदेश चौधरी, डॉ. सीमा रानी, विस्तार शिक्षा निदेशालय के सह-निदेशक (किसान परामर्श केंद्र) डॉ. सुनील ढांडा सहित सभी कृषि विज्ञान केंद्रों के इंचार्ज व देश व प्रदेश के किसानों ने ऑनलाइन व ऑफलाइन रूप से शामिल होकर मेले की शोभा बढ़ाई।

विस्तार शिक्षा निदेशालय के सह-निदेशक(किसान परामर्श केंद्र) डॉ. सुनील ढांडा इस वर्चुअल कृषि मेले के लिए करीब 30 हजार किसान अपने मोबाइल नंबर के माध्यम से पंजीकरण करवा चुके हैं। संभावना जताई जा रही है कि इस वर्चुअल मेले में फिजिकली रूप से आयोजित किए जाने वाले मेले से अधिक किसान जुडेंग़े। हालांकि विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर करीब 50 हजार से ज्यादा किसान इस मेले को लेकर अभी तक विजिट कर चुके हैं। वर्चुअल कृषि मेले के दूसरे सत्र में ‘फसल अवशेष प्रबंधन’ विषय सहित पशुओं में बांझपन की समस्या विषय पर वेबिनार आयोजित किए गए।

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