चंडीगढ/कुरुक्षेत्र, 10 अक्टूबर। महान नहीं तो अच्छा पत्रकार बनने  के लिए हमें विश्लेषणात्मक दिमाग के साथ सॉफ्टवेयर स्मार्ट के रूप में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करते हुए स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, कार्रवाई उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी) बनने की आवश्यकता है ह्वये शब्द प्रोफेसर एमएम गोयल पूर्व कुलपति तथा नीडोनॉमिस्ट ने कहे जो कुरुक्षेत्र में रहते है। वे प्ररेणा दिवस के अवसर पर जागरण द्वारा आयोजित वेबिनार ‘पत्रकारिता में सामाजिक दायित्व’ के प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे।

प्रोफेसर गोयल ने कहा कि हमें महानतम पत्रकार संजय से सीखना है जिन्होंने दिव्य दृष्टि के साथ महाभारत युद्ध के वर्णन के रूप में और भगवद गीता को राजा धृतराष्टÑ को बताया था। प्रोफेसर गोयल का मानना है कि खलनायक से नायक बनने के लिए एक पत्रकार को आचार संहिता के साथ हितधारकों और समाज के प्रति अपनी भूमिका को समझना होगा। प्रोफेसर गोयल ने कहा कि कोविद संकट और इसके प्रभाव की डेटा सीमाओं ने पत्रकारों को जनता के लिए सटीक जानकारी प्रदान करने में चुनौतियों के साथ छोड़ दिया है। प्रोफेसर गोयल ने महामारी के दौर में सावधानी बरतने के लिए सार्वजनिक जानकारी के लिए सटीक रिपोर्टिंग हेतु शोधकर्ताओं के साथ संबंध बनाने के लिए पत्रकारों से आग्रह किया। प्रोफेसर गोयल का मानना है कि आरटीआई अधिनियम सहित विभिन्न कानूनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए, नैतिक संयम के साथ पत्रकारों की बिरादरी की एक निश्चित भूमिका है।

प्रोफेसर गोयल ने कहा कि महामारी के डर से बचने के लिए, फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप और लिंक्डइन सहित सोशल मीडिया पर नकली समाचारों की खतरनाक प्रवृत्ति रोकने के लिए हमें निडर होना होगा। प्रोफेसर गोयल का मानना है कि हमें आध्यात्मिक उत्साह के साथ प्रतियोगिता की चुनौती को स्वीकार करने की आवश्यकता है क्योंकि आध्यात्मिक दिवालियापन और व्यावसायीकरण पत्रकारिता में बिगड़ते मानकों के दो प्रमुख कारण हैं। प्रोफेसर गोयल ने कहा कि सभी स्तरों पर मीडिया के कार्य में सुधार करने हेतु, हमें सिर, हृदय, कौशल और ज्ञान की क्षमताओं के साथ नैतिकता, विश्वसनीयता और जवाबदेही की आवश्यकता होती है।

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