भाजपा-जजपा राज में हरियाणा के किसानों की मेहनत पर डाका डाला जा रहा है और उनके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) महज एक सपना बन कर रह गया है। यदि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर और उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला प्रदेश के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित नहीं करवा सकते, तो उन्हें अपने पदों पर रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है और उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। प्रदेश के सभी इलाकों में धान, नरमा और बाकी फसलों के किसान सरकारी कूप्रबंधन और एमएसपी पर खरीद न होने से पूरी तरह हताश व निराश होकर किसानों के लिए अति व्यस्तम समय होने के बावजूद प्रदेश के विभिन्न इलाकों में जाम, प्रदर्शन, बंद और आंदोलन करने पर मजबूर हैं। नरमा फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,725 रुपए प्रति क्विंटल पर खरीदा जाना चाहिए, लेकिन सरकारी एजेंसियों द्वारा विभिन्न बहानेबाजी और तकनीकी अडचनें डालकर उसे एमएसपी पर नहीं खरीदा जा रहा, जिससे किसानों को केवल 4,900 रुपए से 5,120 रुपए प्रति क्विंटल मूल्य मिल रहा है। किसानों की जेब पर 600 से 800 रुपए प्रति क्विटंल डाके के लिए भाजपा-जजपा सरकार तथा उसकी गलत नीतियां जिम्मेदार हैं। सरकार ने वायदा किया था कि नरमा की खरीद के लिए कोटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा प्रदेश में 40 खरीद केन्द्र खोले जाएंगे, लेकिन पूरे प्रदेश में अभी तक केवल 17 सीसीआई खरीद केन्द्र खोले जाने की सूचना मिली है, जिससे भाजपा-जजपा की किसानों के प्रति बेरुखी और दोगले रवैये का पता चलता है। इसी प्रकार किसानों को धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य से 100 से 300 रुपए प्रति क्विंटल कम भुगतान किये जाने के समाचार लगातार प्रकाशित हो रहे हैं। वास्तव में हरियाणा के धान किसानों पर सरकार की दोहरी मार पड़ी है, एक तरफ तो उन्हें पोर्टल के माध्यम से बिक्री के लिए मनमानेपूर्ण रवैये से परेशान होना पड़ रहा है और अपनी फसल को बेचने के लिए बार-बार मंडियों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। दूसरी और उन्हें पूरा मूल्य नहीं दिया जा रहा। जिन किसानों ने अपनी फसल बेच दी है, उस धान का उठान न होने से प्रदेश की मंडियां अटी पड़ी हैं और स्थान उपलब्ध ना होने के कारण उन्हें फसल बाद में लाने के लिए कहा जा रहा है। किसानों को मैसेज और गेटपास न हाने के नाम पर भी बहुत परेशान किया जा रहा है, सरकार की यह मंशा लगती है की किसान को इतना परेशान किया जाए की वह दुखी होकर धान ही ना बोएं और सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य देना ही ना पड़े। यदि वर्तमान सुस्त गति से धान की खरीद चलती रही तो लगता है की अनेक इलाकों में सरकार अगले 6 महीने तक पूरा धान नहीं खरीद पाएगी। धान और नरमा ही नहीं केन्द्र व प्रदेश की किसान विरोधी सरकार द्वारा किसानों की अन्य फसलों को भी विभिन्न शर्तें लगाकर कटौती के साथ खरीद की जा रही है अथवा नमी व दूसरी तकनीकी अड़चनें डालकर खरीदने से मना किया जा रहा है। यह हाल तो तब है जब तीन कृषि कानूनों को लेकर पूरे देश में किसान आन्दोलित हैं और पूरा विपक्ष भी किसानों के साथ एकजुट होकर खड़ा है। अगर फिर भी सरकार अपनी इन ओच्छी हरकतों से बाज नहीं आ रही है और किसानों को उनकी फसल का पूरा समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा है और ना ही समय पर उनकी फसल की खरीद व उठान हो रहा है। ऐसे में अगर किसानों ने हालात से समझौता कर लिया या भाजपा-जजपा के झाँसे में आ गए, तो यह सरकार किसानों को पूरी तरह से बरबाद कर के ही छोड़ेगी और यह कांग्रेस को कभी स्वीकार नहीं हो सकता। कांग्रेस पार्टी की स्पष्ट मांग है कि भाजपा-जजपा सरकार किसानों को उनकी फसल का पूरा समर्थन मूल्य दे और मंडियों में जल्द से जल्द किसानों की फसल खरीदकर उसका उठान करवाया जाए, अन्यथा मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री को अपनी कुर्सी पर बने रहने को अधिकार नहीं है। Post navigation हरियाणा पुलिस की नशा तस्करों पर बडी कार्रवाई कबूतरबाजी और धोखाधड़ी से विदेश में भेजने वाले लोगों के खिलाफ 370 एफआईआर दर्ज : अनिल विज