चंडीगढ़/कुरुक्षेत्र, 08 अक्टूबर। भगवद गीता प्रबंधन और कल्याणकारी अर्थशास्त्र पर पवित्र-धर्मनिरपेक्ष ग्रंथ है’ ये शब्द कुरुक्षेत्र  निवासी प्रोफेसर एम.एम. गोयल पूर्व कुलपति तथा नीडोनॉमिस्ट ने कहें। वह गुरूवार को सनशाइन ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस, राजकोट (गुजरात) द्वारा आयोजित अभिवादन 2020 के अवसर पर गीता में मैनेजमेंट के मंत्र‘ विषय पर आॅनलाइन संबोधित कर रहे थे। डॉ. विकास अरोड़ा निदेशक एकीकृत परिसर ने स्वागत सम्बोधन और प्रो. एमएम गोयल की उपलब्धियों का प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत किया।

प्रोफेसर गोयल ने कहा कि हमें स्वयं में विश्वास के लिए सकारात्मक परीक्षण करना चाहिए, संदेह  और कोविद संकट के भय से दूरी बनाए रखना चाहिए जिसने सकारात्मक परीक्षण 2020 का सबसे नकारात्मक शब्द बन गया है। प्रोफेसर गोयल का मानना है कि नैतिकता, अस्पष्टता, जीत और सशक्तीकरण के साथ सफलता की सीढ़ी पर आगे बढ़ने के लिए, हमें यह विश्वास करना होगा कि भगवान कृष्ण और अर्जुन एक स्लोकी गीता  (अध्याय 18 स्लोक नं 78) के संदेश के रूप में हमारे साथ हैं।

प्रोफेसर गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि कोविद संकट सहित समाज में हर बीमार के लिए वैदिक गोलियां हैं और भगवद गीता पवित्र संस्कृति में अवकाश संस्कृति को परिवर्तित करके कार्य संस्कृति बनाने के लिए रामबाण है। गोयल ने कहा कि सॉफ्टवेयर स्मार्ट के रूप में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का शिकार बनने से बचने के लिए, हमें दृष्टिकोण और व्यवहार में सड़क स्मार्ट (सरल, नैतिक, कार्रवाई उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी) बनने की आवश्यकता हैं।

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