धक्केशाही से बनाये गए तीनों कृषि कानून किसानों की मौत पर हस्ताक्षर

पंचकूला। आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सांसद डॉ सुशील गुप्ता ने मांग की है की किसानों के मसीहा ताऊ देवीलाल के तथा किसानों के हितैषी होने का दम भरने के नाम पर चुनाव जीत कर सत्ता में भागीदार बने बैठे हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को तुरंत ही उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए तथा बीजेपी से समर्थन वापिस ले लेना चाहिए।

गुप्ता ने कहा की कृषि सबंधी धक्केशाही से बनाये तीनों कानून हमारे किसानों के लिए सीधे सीधे मौत का फरमान हैं। सभी कानून कायदों को ताक पर रख कर जिस तरह इन अध्यादेशों को कानून की सकल दी गई है यह इस बात का सबूत है की देश में लोकतंत्र समाप्त हो गया है। उन्होंने इन तीनों कानूनों के पास होने पर भाजपा की नीयत पर सवाल उठाते हुए हैरानी व्यक्त की तथा उनसे सवाल दाग कर जवाब मांगें है। अगर ये कानून किसान के हक में है तो आखिर सरकार को ऐसी क्या एमरजेंसी थी जिसके लिए उसे ये अध्यादेश कोरोना महामारी के बीचों-बीच चोर दरवाजे से  लाने पड़े।

जब पूरे देश का किसान सड़क पर था तथा इसका घोर विरोध कर रहा था तो आनन फानन में इस बिलों को सदन में क्यों लाया गया।क्या सरकार ने इन कानूनों को पास कराने से पहले एक भी किसान संगठन से राय मसवरा किया। राज्य सभा में बिना बहस के सदन की सभी मर्यादायों को ताक पर रख कर बिलों को ध्वनिमत एवं धक्केशाही से क्यों पास किया गया। देश के 17 विपक्षी राष्टÑीय राजनैतिक दलों ने मिलकर राष्टÑपति को ज्ञापन देकर मांग की गई थी की तीनों बिल अवैध रूप से सदन की मर्यादायों को ताक पर रख कर धक्के से पास किये गए है, इसलिए इन पर हस्ताक्षर न करें। बाबजूद इसके राष्टÑपति महोदय ने इतनी जल्द बाजी में हस्ताक्षर क्यों किये तथा इन्हें कानून की शक्ल प्रदान की जिससे देश अचम्भित है, जबकि राष्टÑपति महोदय इन्हें पुनर्विचार के लिए सदनों में भेज सकते थे। अगर सरकार की नीयत ठीक थी तो इन बिलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य देने तथा उसकी उलंघना करने पर दण्ड का प्रावधान क्यों नहीं है।

हरियाणा एवं पंजाब दोनों ही राज्यों में पिछले सात दशक से मंडी बोर्ड सिस्टम के जरिये खरीद प्रणाली जारी  है और यह सफलता से चल रही है। हरियाणा में रा’य कृषि विपणन मंडल अनाज मंडियों में किसानों की फसल आढ़तियों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की प्रक्रिया  को हैंडल करता है। अकेले हरियाणा प्रदेश में करीब 113 अनाज मंडियां, 168 सब यार्ड एवं 196 खरीद केंद्र हैं। हरियाणा में लगभग 35 हजÞार आढ़ती हैं और 70 हजार मुनीम है जबकि करीब 20 लाख किसान परिवार हैं। मंडी सिस्टम से करीब 4 लाख मजदूर परिवार भी इससे जुड़े हैं तो हरियाणा सरकार काले बिलों को लाकर इन लाखों लोगों का मुहं का निवाला क्यों छीन रही है ?

मंडी व्यवस्था को समाप्त करने का मतलब न्यूनतम समर्थन मूल्य का समाप्त होना है। अगर अनाज मण्डी ही समाप्त हो आएंगी तो छोटे किसानों को एमएसपी कौन देगा और कैसे देगा।

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