मंडन मिश्रा

भिवानी, 30 सितम्बर। कोरोना वायरस प्रकोप के कारण 60 लाख करोड़ सालाना का खुदरा व्यापार खतरे में है और खुदरा व्यापार को इस संकट से उबारने के लिए राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठनअशोक बुवानीवालासे विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा करने की मांग करता है।

संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने कहा कि कोविड-19 और लॉकडाउन के कारण देशभर के व्यापारी भारी वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक पैकेज घोषित नहीं किए जाने पर देश में करीब 1.75 करोड़ दुकानों पर ताला लग जाएगा।

बुवानीवाला ने कहा कि व्यापार के तौर-तरीके में बदलाव हो रहे है जिसे देखते हुए कई सुधार करने की जरूरत हैं ताकि खुदरा व्यापार चलता रहे। उन्होंने कहा कि देशभर में लगभग 7 करोड़ व्यापारी करीब 40 करोड़ लोगों को रोजग़ार देते हैं। ये व्यापारी करीब 60 लाख करोड़ रुपये सालाना का बिजनेस करते हैं, अगर खुदरा व्यापार की अनदेखी होती रही तो इन सब पर संकट आ जाएगा।

बुवानीवाला ने कहा कि ये निराशाजनक बात है कि कोरोना से प्रभावित हर सेक्टर को सरकार ने वित्तीय पैकेज दिया, लेकिन 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज में व्यापारियों के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया। व्यापारी नेता ने कहा कि आजादी के पहले से चले आ रहे कई गैर-जरूरी दबाव बनाने वाले कानूनों को समाप्त किया जाना चाहिए। इन कानूनों की समीक्षा के लिए उच्चस्तरीय समिति का गठन किए जाए। बिजनेस पर लागू 28 तरह के लाइसेंस के बजाय एक लाइसेंस की व्यवस्था की जानी चाहिए। खुदरा व्यापार में काम कर रहे कारोबारियों का सही आंकड़ा जानने के लिए शॉप एंड एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत सभी व्यापारियों का पंजीकरण अनिवार्य किया जाना चाहिए। हर व्यापारी को यूनिक नंबर दिया जाना चाहिए। बैंकों के रवैये की वजह से कारोबारियों को मुद्रा लोन लेने में दिक्कत होती है इसलिए सरकार बैंक, एनबीएफसी और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की लोन देने की क्षमता बढ़ाए।

बुवानीवाला ने कहा कि देश के हर जिले में विशेष जोन बनाया जाय, जहां सामान बनाने वाले व्यापारियों को रियायती दरों पर जमीन मुहैया कराई जाए। इन निर्माण इकाइयों के लिए मंजूरी दिलाने की जिम्मेदारी किसी एक विभाग को दी जाए। हर जिले में जिला मजिस्ट्रेट या कलेक्टर की अध्यक्षता में व्यापारियों व अधिकारियों की संयुक्त समिति बनाई जाए ताकि व्यापारियों की समस्याओं का हल हो सके। कॉरपोरेट सेक्टर के लिए आयकर स्लैब 22 फीसदी है, जबकि व्यापारियों को 30 फीसदी टैक्स देना पड़ता है जिसमें सुधार किए जाने की आवश्यकता है। बुवानीवाला ने कहा कि डिजिटल भुगतान पर लगने वाला बैंक चार्ज खत्म होना चाहिए तथा ई कॉमर्स पॉलिसी के नियमों का उल्लंघन करने वाली ई-कॉमर्स कंपनियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।

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