सिर्फ चुनाव नहीं बीजेपी-जेजेपी सरकार को सबक सिखाने का मौक़ा है बरोदा उपचुनाव- सांसद दीपेंद्र. किसान, मजदूर, कर्मचारी, दुकानदार और छोटा कारोबारी सरकार को मारेगा वोट की चोट- सांसद दीपेंद्र. सिर्फ विधायक चुनने के लिए नहीं, हरियाणा को कुशासन से छुटकारा दिलवाने के लिए वोट करेगी बरोदा की जनता- सांसद दीपेंद्र. माहौल को भांपते हुए चुनाव प्रचार बीच में ही छोड़कर भागे सरकार के नेता और मंत्री- सांसद दीपेंद्र

29 सितंबर, चंडीगढ़ः बरोदा उपचुनाव किसानों, कर्मचारियों, मजदूरों, दुकानदारों और छोटे कारोबारियों के लिए एक मौक़ा है। ये मौक़ा है सत्ता के घमंड में चूर लगातार जनविरोधी फ़ैसले ले रही सरकार को सबक सिखाने का। बरोदा की जनता ये मौक़ा नहीं चूकेगी और वोट की चोट से बीजेपी-जेजेपी सरकार से उसकी कारगुज़ारियों का बदला लेगी। ये कहना है राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का। सांसद दीपेंद्र का कहना है कि बरोदा के नतीजों के साथ ही गठबंधन सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी। आने वाले दिनों में बरोदा में कांग्रेस की जीत और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनना तय है। इसीलिए वोटिंग करते हुए जनता ना सिर्फ़ भूतकाल में खट्टर सरकार द्वारा की गई अनदेखी को ध्यान में रखेगी, बल्कि प्रदेश की राजनीति के भविष्य को भी तय करेगी।

राजनीतिक गलियारों और जनता के बीच में ये चर्चा आम है कि गठबंधन सरकार पूरी तरह लड़खड़ा चुकी है और कभी भी गिर सकती है। ख़ुद बीजेपी के नेता और सरकार के सहयोगी विधायक बग़ावती तेवर अपनाए हुए हैं। उन्हें मालूम है कि इस सरकार के साथ खड़े होने का मतलब अपने राजनीतिक भविष्य को ख़तरे में डालना है। जैसे ही बरोदा में कांग्रेस जीत का परचम लहराएगी तो सरकार की बैसाखी बने इन विधायकों की बग़ावत भी खुलकर सामने आएगी। सरकार के सहयोगी विधायकों के दिल में असंतोष की जो आग सुलग रही है वो उपचुनाव के बाद ज्वाला का रूप धारण कर लेगी और ये सरकार अपनों के अंसंतोष के बोझ से गिर जाएगी।

दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि जिस तरह से सरकार ने किसानों पर काले क़ानून थोपे हैं, उससे गठबंधन के नेताओं और मंत्रियों का जनता के बीच में जाना मुश्किल हो गया है। हर जगह उन्हें विरोध का सामना करना पड़ता है। माहौल को भांपते हुए सरकार के ज़्यादातर नेता तो बरोदा में चुनाव प्रचार बीच में ही छोड़कर भाग गए हैं। जो नेता या मंत्री बरोदा पहुंच रहे हैं, उन्हें पुलिसिया सुरक्षा के भारी तामझाम के बीच प्रचार करना पड़ रहा है। क्योंकि सिर्फ किसान ही नहीं प्रदेश के हर तबके में इस सरकार के ख़िलाफ़ भारी रोष है और वो सत्ताधारियों के सामने खुलकर अपना रोष प्रकट कर रहे हैं।

किसानों के साथ कर्मचारी वर्ग भी सरकार से ख़ासा नाराज़ है। उनके भत्तों में सरकार ने भारी कटौती कर दी है। सरकार उन्हें वक्त पर वेतन तक नहीं दे पा रही है। नए कर्मचारी भर्ती करने की बजाए सरकार पुराने और कच्चे कर्मचारियों की छटनी करने में लगी है। 1 लाख एचटेट पास जेबीटी भर्ती के इंतज़ार में ओवरेज होते जा रहे हैं। ना कोई सरकारी भर्ती निकल रही है और ना ही प्राइवेट रोज़गार उत्पन्न हो रहे हैं। क्योंकि प्रदेश में किसी तरह का नया निवेश नहीं हो रहा है। यही वजह है कि हरियाणा में बेरोज़गारी अपने चरम पर है। हरियाणा का युवा देश में सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी दर झेल रहा है। ये बेरोज़गार युवा बरोदा में वोट के ज़रिए अपनी नाराज़गी का इज़हार करेगा।

छोटे दुकानदार और कारोबारी भी सरकारी कुनीतियों के चलते चौपट हुए अपने काम धंधे का बदला इस उपचुनाव में सरकार से लेंगे। पिछले 6 साल में और ख़ासतौर पर कोरोना काल में हुए करोड़ों के घोटाले का हिसाब भी जनता बरोदा उपचुनाव में मांगेगी। घोटालों के ज़रिए जनता का पैसा चंद घोटालेबाज़ों की जेब में डाल दिया गया और आम जनता ज़रूरी सुविधा व सेवाओं से वंचित रही। मौजूदा सरकार में सरकारी राजस्व घोटालेबाज़ लूटते रहे, प्रदेश पर कर्ज़ और जनता पर महंगाई का बोझ बढ़ता रहा। इसलिए बरोदा की जनता सिर्फ एक विधायक चुनने के लिए नहीं, बल्कि पूरे हरियाणा को मौजूदा सरकार के कुशासन से छुटकारा दिलवाने के लिए वोट करेगी।

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