हरियाणा में खट्टर सरकार पर किसान संकट

ऋतुराज. प्रदेश प्रवक्ता
शिवसेना हरियाणा

बीजेपी ने 2012 से ही मार्केटिंग शुरू कर दी थी पहले गुजरात मॉडल बेचा फिर अच्छे दिन किन्तु 2020 के आते आते जनता को समझ आ गया कि बीजेपी की मार्केटिंग मात्र टीवी पर दिखाए जाने वाले भ्रामक प्रचार से ज्यादा कुछ नही जहां कोई क्रीम काले लोगो को भी गोरा कर देती है। वेसे ही बीजेपी के अच्छे दिन साबित हुए। सरकार न लॉकडाउन में मरने वालों का आंकड़ा रखती है न ही बेरोजगारों का।

एक समय था जब देश मे किसानों की आत्महत्या पर बीजेपी खुद बवाल करती थी किन्तु आज किसानों से 4 गुना ज्यादा व्यापारी ओर बेरोजगार युवा आत्महत्या कर रहे है। मोदी सरकार द्वारा दिखाए गए अच्छे दिन बिलकुल वेसे ही साबित हुए हुए जैसे मुंगेरी लाल के हसीन सपने। आज व्यापार खत्म हो चुका है आधा देश बेरोजगार हो चुका है। 7 साल में इतना कर्ज ले लिया गया जितना आज़ादी से आजतक नही लिया गया था। देश के बच्चे बच्चे को कर्जदार बना देने वाली मोदी सरकार शायद इन्हें ही अच्छे दिन कह रही थी। उप्पर से किसान विरोधी 3 बिल ला कर बीजेपी ने अपने ताबूत पर आखिरी कील ठोक ली है। किसानों को पूंजीपतियों के हवाले कर दिया गया है। बिल में लिखित MSP के कोई प्रवधान नही है। मतलब साफ है। हरियाणा में मुख्यमंत्री के शहर में किसान सड़को पर है क्योंकि जीरी की खरीद नही हो रही जो फसल 10 सितम्बर तक कट कर मार्किट में आ जाती है उसे 28 तारीख तक खरीदा नही जा रहा आज फिर 1 हफ्ते का समय दे दिया गया।

किसानों को 4% फसल खरीदने का वादा किया जा रहा है जबकि वो अपनी 94% फसल कहा ले जाएंगे क्या दाम मिलेगा। इधर उत्तर8 के किसान हरियाणा के बॉर्डर पर खड़े है क्योंकि उत्तरप्रदेश में अभी खरीद का पता नही बिल के अनुसार किसान कही की फसल बेच सकता है किन्तु उन्हें हरियाणा में घुसने ही नही दिया जाएगा तो बेचेगा कैसे? मेहन्द्रगढ़ के डोगरा अहीर में एक माँ अपनी बेटी के इंसाफ के लिए सचिवालय में खुद को आग लगाने का प्रयास करती है इधर हरियाणा के गृहमंत्री कंगना के प्यार में पागल हुए बैठे है किंतु उन्हें प्रदेश की बेटियो की कोई चिंता नही

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