गुरुग्राम, 28 सितम्बर 2020 : केंद्र व राज्य सरकार एक पर एक मजदूर कर्मचारी विरोधी नीतियां और निर्णय लेती ही जा रही हैं। सार्वजनिक या सरकारी उद्यमों, उपक्रमों व सेवाओं का निजीकरण-निगमीकरण कर रही हैं। रेलवे, बैंक, बीमा, कोयला, बिजली, प्रतिरक्षा, पेट्रोलियम, बीएसएनएल (दूरसंचार), स्वास्थ्य, शिक्षा आदि क्षेत्रों को देसी-विदेशी पूंजीपतियों के लिए खोल दिया है। बड़े कष्टों और संघर्षों से हासिल किए जनवादी अधिकारों व ट्रेड यूनियन अधिकारों को छीन कर सरकार श्रमिकों को निहत्थे कर रही है। यह मजदूरों का निर्मम शोषण और छंटनी करने यानी हायर एण्ड फायर की मनमानी करने का अधिकार मालिकों को दे रही है। कार्य दिवस 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर रही है। कई श्रम कानूनों को खत्म करके बराए नाम के 4 लेबर कोड ला रही है। कोरोना महामारी की आड़ में लगभग सभी श्रम कानूनों को अगले 1000 दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया है। हर तरह के प्रतिवाद और विरोधी आवाज को दबा रही है। मोदी सरकार की तरफ से ये घोर मजदूर-विरोधी कदम इनके आका पूंजीपतियों व कारपोरेट घरानों को खुश करने के लिए उठाये गए हैं।

बीजेपी सरकार मजदूर वर्ग की आवाज को दबाने के लिए एक पर एक फासीवादी हमले करने पर आमादा है। लेकिन सरकार जनता पर चाहे जितना भी जुल्म ढहा ले, इतिहास गवाह है अंततः जीत जनशक्ति की ही होती है। सरकार की मजदूर-विरोधी नीतियों, रोजगार पर हमलों और श्रम अधिकारों के हनन के खिलाफ एआईयूटीयूसी ने अपने खुद के बलबूते पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ दिया है। एआईयूटीयूसी ने 1 अक्तूबर से 7 अक्तूबर 2020 तक लगातार एक सप्ताह तक प्रतिवादी आंदोलन चलाने का ऐलान किया है। इसके तहत 1 अक्टूबर को रेलवे व अन्य सरकारी क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ, 2 अक्टूबर को भवन निर्माण, मनरेगा सहित असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की मांगों पर, 3 अक्टूबर को स्कीम वर्करों की मांगों पर, 4 अक्टूबर को प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं के समाधान के लिए, 5 अक्टूबर को बैंक व अन्य वित्तीय संस्थानों के निजीकरण के विरोध में, 6 अक्टूबर को बिजली, कोयला, पेट्रोलियम, स्टील व अन्य सार्वजनिक उद्यमों, उपक्रमों व सेवाओं के निजीकरण के खिलाफ और 7 अक्टूबर को श्रम कानूनों में मालिक-परस्त संशोधन कर चार लेबर कोड लाने के खिलाफ व काम के अधिकार के लिए आवाज बुलंद की जाएगी।

इस दौरान प्रदेश में एआईयूटीयूसी से जुड़ी तमाम यूनियनें जिनमें मिड-डे-मील, आशा, आंगनवाड़ी, आदि स्कीम वर्कर, औद्योगिक श्रमिक, दिहाङीदार, असंगठित क्षेत्र के श्रमिक, निर्माण मजदूर, कच्चे व ठेका के कर्मचारी, मनरेगा मजदूर अपनी ज्वलंत मांगों को लेकर जिला स्तर पर धरना-प्रदर्शनों के माध्यम से सरकार को ज्ञापन देंगे। वे सरकार की मजदूर-विरोधी नीतियों और निर्णयों के खिलाफ अपना प्रतिवाद दर्ज कराएंगे।

error: Content is protected !!