राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने रविवार को तीन कृषि विधेयकों को मंजूरी दी, जिनके चलते इस समय एक राजनीतिक विवाद खड़ा हुआ है और खासतौर से पंजाब और हरियाणा के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। गजट अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रपति ने तीन विधेयकों को मंजूरी दी।

हरियाणा में यह समाचार आने के पश्चात प्रतिक्रियाएं नजर आ रही है किसान और विपक्षी दल आपस में संपर्क करते नजर आ रहे हैं, ऐसा लगता है की किसान जो बार-बार कह रहे थे की राष्ट्रपति से प्रार्थना की जाएगी कि वह इन इन विधेयकों पर हस्ताक्षर ना करें और इसी प्रकार कांग्रेश की ओर से भी ज्ञापन दिए जा रहे थे राष्ट्रपति के नाम कि वह इन विधेयकों को पास ना करें.

यह समाचार आते ही वह सब बातें समाप्त हो गई अब नए सिरे से नीति बनाने की चेष्टा की जाएगी देखना होगा कि अब कानून करने के पश्चात भारतीय किसान यूनियन की क्या प्रतिक्रिया रहेगी वैसे गुरनाम सिंह चठुन्नी कह चुके हैं किया तो यह बिल विधायक वापस लो या हमें गोली मार दो देखना होगा कि आने वाले समय में इन दिनों के पास होने से हरियाणा में क्या असर पड़ेगा

ये विधेयक हैं- 1) किसान उपज व् यापार एवं वाणिज् य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, 2) किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल् य आश् वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और 3) आवश् यक वस् तु (संशोधन) विधेयक, 2020. किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 का उद्देश्य विभिन्न राज्य विधानसभाओं द्वारा गठित कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) द्वारा विनियमित मंडियों के बाहर कृषि उपज की बिक्री की अनुमति देना है। किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल् य आश् वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक का उद्देश्य अनुबंध खेती की इजाजत देना है। आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक अनाज, दालों, आलू, प्याज और खाद्य तिलहन जैसे खाद्य पदार्थों के उत्पादन, आपूर्ति, वितरण को विनियमित करता है।

इन विधेयकों को संसद में पारित किए जाने के तरीके को लेकर विपक्ष की आलोचना के बीच राष्ट्रपति ने उन्हें मंजूरी दी है। इन विधेयकों का विरोध राजग के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने भी किया है और उसने खुद को राजग से अलग कर लिया।