–कमलेश भारतीय सुशांत सिह राजपूत की रहस्यमयी मृत्यु के बाद फिल्मी दुनिया का वह घिनौना चेहरा सामने आया जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी । ड्रग माफिया का ऐसा घिनौना चेहरा जो कितने सितारों के चेहरे सामने ला रहा है कि सहज ही विश्वास नहीं होता कि ये हमारी युवा पीढ़ी के आईकाॅन यानी आदर्श हैं ? क्या दीपिका पादुकोण का फिर से पूछो एनजीओ फेक था ? क्या वह खुद अपनी डिप्रेशन का इलाज ड्रग्स में खोज रही थी ? इसीलिए करणी सेना फिर इसके पीछे हाथ धोकर पड़ गयी है कि ऐसी पद्मावती नहीं चाहिए जो नशेड़ी हो । यह अलग बात है कि झांसी की रानी बनी कंगना रानौत ने भी अपनी बात में स्वीकार किया कि वह भी इन ड्रग्स का शिकार हो गयी थी । उसे तो कोई कुछ नहीं कहता । हां , ड्रग्स माफिया के खिलाफ आवाज़ उठाने की पहल उसकी जरूर है । सुशांत का मामला सामने आने के बाद सबसे पहले कंगना ने नेपोटिज्म और फिर ड्रग माफिया का मुद्दा उठाया जिसके चलते उसे महाराष्ट्र सरकार की कोप भाजन बनना पड़ा । बड़ी मेहनत से बनाया ऑफिस बीएमसी ने तोड़ दिया और संभवतः घर भी निशाने पर था । इसलिए वह मनाली अपने घर लौट आई और वहीं से ट्वीटर पर हमले करती है । चाहे पायल घोष का मामला हो या फिर उर्मिला मातोंडकर या फिर अनुराग कश्यप ही नहीं जया भादुड़ी हो सबको वहीं से जवाब मिलता है । मनाली उसकी सुरक्षित जगह है । अपना घर । अपनी मां की गोद और मुख्यमंत्री द्वारा हिमाचल की बेटी की चिंता । बहुत कारण हैं । इधर मामला गोवा तक पहुंच गया और दीपिका पादुकोण वहां शूटिंग पर गयी भी बैचैन हैं । संभवतः वापस आना पड़े क्योंकि फोन पर माल है जैसा सवाल इनकी जान का जंजाल बन गया है । जया साहा ने इनकी मैनेजर करिश्मा का नाम सामने ला दिया । क्या रिया चक्रवर्ती ड्रग्स माफिया से जुड़ी थी ? क्या सुशांत के फाॅर्म हाउस का उपयोग इन ड्रग्स पार्टियों के लिए ही होता था ? कितने चेहरे सामने आएंगे ? कितनी पार्टियां सामने आएंगी ? करण जौहर की पार्टी के वीडियो में कितने सितारे मदहोश नज़र आते हैं । क्या अब कार्रवाई होगी ? जहां तक दीया मिर्जा की बात है वह एकदम सामने आई और इन्कार किया ड्रग्स लेने ता खरीदने से । फिर दीपिका पादुकोण सामने क्यों नहीं आती ? एक बड़े खिलाड़ी की बेटी और एक बराबर के सितारे की पत्नी किस खेल में लगी ? क्या ड्रग्स का इस्तेमाल डिप्रेशन को कम कर सकता है ? नयी पीढ़ी को क्या उदाहरण दे रहे हैं ये फिल्मी सितारे ? सुशांत की क्या इमेज बनती जा रही है ? फाॅर्म हाउस क्या था और किसलिए था ? रिया ने कैसे कैसे खेल खेले और सब सुशांत के पैसे पर ,,,क्या सबक हैं हैं इस सारे केस से ? क्या युवा पीढ़ी पर अभिभावकों का शिकंजा और नहीं कसेगा कि फिल्मी दुनिया हमारे काम की नहीं । पहले भी मध्यवर्गीय परिवार इस दुनिया को अच्छी नज़र से नहीं देखते थे । अब इस केस की नयी खुलती जा रही परतों के बाद तो और भी धारणा बदल जायेगी । रवि किशन स्वच्छता अभियान को चलाये रखने की मांग कर रहे हैं तो रूपा गांगुली पायल घोष के लिए बैनर उठा चुकी है । जया भादुड़ी की थाली की बात पर इसे थाली गैंग कहा जाने लगा है । कितने नाम और कितने गैंग सामने आएंगे ? Post navigation आखिर क्यों हो रही है किसानों के नाम पर राजनीति? ड्रग माफिया और क्रिकेट का बुखार