चंडीगढ़,20 सितंबर। देश के मजदूरों पर गुलामी थोपने वाले कानूनों के खिलाफ 23 सितम्बर को मजदूर-कर्मचारी संगठन देशव्यापी प्रतिरोध कार्यवाही करेंगे। यह जानकारी देते हुए सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष लांबा व महासचिव सतीश सेठी और सीटू हरियाणा की प्रदेश अध्यक्ष सुरेखा व महासचिव जय भगवान ने बताया कि केन्द्र सरकार ने मजदूरों को पूंजीपतियों का गुलाम बनाने के लिए 3 लेबर कोड बिल 19 सितम्बर को लोकसभा में केंद्रीय श्रम मंत्री ने पेश किए हैं।

उन्होंने बताया कि इंडस्ट्रियल रिलेशन बिल-2020, कोड आॅन सोशल क्योरिटी-2020, ओकुपेशनल सेफ्Þटी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन-2020 के रूप में ये बिल अभी तक मजदूरों को मिले अधिकारों को ख़त्म करने का मामला है। इन बिलो में जिस संस्थान में 300 मजदूर/कर्मचारी काम करते है उन्हें संस्थान मालिक बिना सरकार की इजाजत के किसी भी वकÞ्त  संस्थान को बन्द कर सकता है और उनकी छंटनी कर सकता है, जो अभी तक 100 की संख्या है। यह पूंजीपतियों के लिए हायर-फायर की नीति है।

इसी प्रकार हड़ताल के लिए नोटिस का समय 15 दिन से बढ़ाकर 2 महीने करने का प्रावधान किया जा रहा है। यही नहीं यदि श्रम विभाग द्वारा वार्ता जारी है तो बेशक कितने महीने गुजर जाए मजदूरों को हड़ताल पर जाने का अधिकार नहीं होगा। यह एक प्रकार से देश की मजदूर जमात को पूंजीपतियों को गुलाम बनाने का काम भाजपा सरकार द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सोशल सिक्योरिटी कोड  बिल में निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड समेत  मजदूरों के लिए बने तमाम बोर्ड्स को केंद्र सरकार अपने अधीन करके उसके पैसे को हड़पने की तैयारी की जा रही है।

उक्त संगठनों के नेताओं ने कहा कि सरकार ने किसानों व खेती के बारे बिल पारित करके किसानों के साथ विश्वासघात किया है। हम सरकार के इस कृत्य की निंदा करते हैं। हम रा’य व देश में जारी किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हैं और मांग करते हैं कि सरकार इन कानूनों को निरस्त करे। उन्होंने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण की प्रक्रिया तुरंत वापस ले।