उमेश जोशी हरियाणा के किसान राजनीति का प्रपंच कभी नहीं समझ पाएंगे। नेताओं के झूठे वायदों और दिखावटी सहानुभूति के चक्रव्यूह में प्रदेश का किसान हमेशा फंसा रहा है और कोई गारंटी नहीं है कि भविष्य में भी नहीं फंसेगा। लेकिन हरियाणा का इतिहास साक्षी है कि किसान को नाराज करने वाली सरकार कभी टिक नहीं पाई। किसान सही वक्त आने पर माकूल जवाब भी दे देता है। पिपली कांड के बाद तीन दिन तक उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला खामोश रहे। किसानों को सबसे बड़ी टीस यह है कि सरकार में उपमुख्यमंत्री होने के नाते दुष्यंत चौटाला को अपने छोटे भाई दिग्विजय चौटाला की तरह तुरंत बयान देना चाहिए था। किसान तीन दिन तक दुष्यंत चौटाला के खिलाफ आग उगलते रहे फिर भी माननीय उपमुख्यमंत्री सरकार की लाज बचाने के लिए खामोश रहे। उन्हें एक पल को भी नहीं लगा कि किसानों के साथ ज्यादती हुई है और उनकी चोटों पर सहानुभूति की मरहम लगानी चाहिए। किसानों के हितैषी होने को डंका बजाने वाले उपमुख्यमंत्री को उस वक्त भी किसानों पर पुलिसिया कहर का एहसास नहीं हुआ जब सत्तारूढ़ बीजेपी के दो सांसद धर्मवीर और बृजेंद्र सिंह घटना पर दुख जता रहे थे। किसानों का गुस्सा और भविष्य में राजनीतिक नुकसान की आशंका देखते हुए सलाहकारों ने दुष्यंत चौटाला को पूरा गणित समझाया होगा। तभी उन्होंने तीन दिन बाद 13 सितंबर रविवार को अपनी खामोशी तोड़ी। उन्होंने कहा कि पिपली में किसानों खासतौर से बुजुर्ग किसानों पर लाठीचार्ज की घटना निंदनीय है। इस घटना की जांच होनी चाहिए। खोमोशी टूटने से पहले किसानों के आक्रोश की ज्वालामुखी से बड़ी लपटें उठ रह थीं। किसान ठगे-से महसूस कर रहे थे और दुष्यंत चौटाला को कोस रहे थे। एक किसान ने तो यहां तक कह दिया कि दुष्यंत अपने परदादा जननायक चौधरी देवीलाल के नाम पर कलंक हैं। दुष्यंत चौटाला ने चौधरी देवीलाल की जननायक की छवि और विरासत को आगे बढ़ाने का उद्देश्य लेकर अपनी पार्टी के नाम के साथ ‘जननायक’ शब्द जोड़ा था। लेकिन पिपली घटना के तुरंत बाद बयान ना आने के कारण किसानों को पार्टी की नीतियों में और ना ही पार्टी के संस्थापक दुष्यंत चौटाला के व्यवहार में ‘जननायक’ जैसा भाव नहीं दिख रहा था। उधर, गृहमंत्री अनिल विज के बयान ने आग में घी का काम किया। अनिल विज तो लाठीचार्ज होने से साफ मुकर गए। इस पर किसानों को लगा कि शायद दुष्यंत चौटाला भी ऐसा ही सोच रहे हैं इसलिए खामोश हैं। इसी वजह से किसानों का गुस्सा बढ़ रहा था। एक पत्रकार ने तीन दिन तक खामोशी का कारण जानना चाहा तो दुष्यंत चौटाला के ऑफिस सेक्रेटरी रणधीर सिंह ने कहा कि गले में इनफेक्शन होने की वजह से बोल नहीं पा रहे थे। गला खराब होने की दलील किसी के गले नहीं उतर रही है। गला इतना भी खराब नहीं होगा कि ऐसी गंभीर घटना पर दो लाइन का बयान भी ना दे सकें। ऐसा भी नहीं है कि वे उन तीन दिनों में मौन व्रत पर थे और एक भी शब्द नहीं बोले। गृहमंत्री अनिल विज ने अपने उपमुख्यमंत्री पर हमेशा की तरह फिर पलटवार किया है। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि पिपली घटना की जांच होनी चाहिए। अनिल विज कहते हैं कि किसानों पर लाठीचार्ज हुआ ही नहीं तो जांच कैसी। यदि घटना की जांच नहीं होती है तो इसका अर्थ है कि दुष्यंत चौटाला घटना की जांच करवाने में नाकाम रहे और वे अपनी इस नाकामी पर किसानों को क्या जवाब देंगे। Post navigation हरियाणा सरकार की परीक्षा है ? कोरोना संक्रमित दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ अस्पताल से जारी किया संदेश