हरियाणा के युवाओं ने काले कपडे पहन मोदी जी के जन्मदिन को बेरोजगारी दिवस के रूप में सोशल मीडिया पर दिन भर सेलिब्रेट किया और मांग कि पिछले दस सालों से पेंडिंग हरियाणा की सभी भर्तियों के परिणाम जारी कर योग्य युवाओं को नौकरी दी जाये, गौर से देखे तो हरियाणा से उठा बेरोजगार युवाओं का इतना बड़ा आंदोलन आज तक के इतिहास में सबसे बड़ा आंदोलन रहा जो किसी भी पार्टी लाइन से ऊपर उठकर था. ये आंदोलन था ही नहीं अभी और गति पकड़ेगा. देश के नंबर वन हरियाणा ने बेरोजगारी में पहला स्थान हासिल कर लिया है तो हरियाणा के युवाओं के पास सड़कों पर उतरने और इस तरह बेरोजगारी दिवस मनाने के अलावा कोई रास्ता भी नहीं है. –——प्रियंका सौरभरिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, मोदी जी के जन्म दिन पर जब पूरा देश खुशियां मना रहा है तो हरियाणा के पढ़े लिखे बेरोजगार युवा विश्व नेता के रूप में उभरे हमारे प्रधानम्नत्री जी की खूबियों का बखान करने की बजाय दिन भर सोशल मीडिया पर पूरा दिन काले कपड़ों में आंदोलन करते नज़र आये. काले कपडे पहन हरियाणा के युवाओं ने फेसबुक और ट्विटर पर लाखों वीडियो देश के प्रधानम्नत्री एवं हरियाणा के मुख्यम्नत्री के नाम शेयर किये. ट्विटर के ट्रेंड्स में दिन भर खट्टर रोजगार दो, नंबर वन पर रहा. पूरी सोशल मीडिया अमावस्या की तरह काली हो गई. देखें वही हरियाणा सरकार को जगाने की बात स्टेटस पर थी कि हरियाणा व् केंद्र सरकार बेरोज़गारी एवं बेरोज़गारों पर संज्ञान लें, भर्ती प्रक्रिया में सुधार करें ,युवाओं की सुध लें. गौर से देखे तो हरियाणा से उठा बेरोजगार युवाओं का इतना बड़ा आंदोलन आज तक के इतिहास में सबसे बड़ा आंदोलन रहा जो किसी भी पार्टी लाइन से ऊपर उठकर है. ये आंदोलन है ही नहीं अभी और गति पकड़ेगा. देश के नंबर वन हरियाणा ने बेरोजगारी में पहला स्थान हासिल कर लिया है तो हरियाणा के युवाओं के पास सड़कों पर उतरने और इस तरह बेरोजगारी दिवस मनाने के अलावा कोई रास्ता भी नहीं है. आंदोलनरत युवाओं का सबसे बड़ा गुस्सा सालों से पेंडिंग भर्ती परीक्षाओं के परिणाम और वर्तमान सर्कार द्वारा ग्रुप सी एवं डी भर्ती में लगाए गए सोसिओ इकनोमिक क्राइटेरिया पर फूटा. देखे तो हरियाणा में साल २०१५ में निकली सैंकड़ों भर्तियों के अंतिम परिणाम बाकी है जिनमे से अधिकांश की लिखित परीक्षा हो चुकी है और डॉक्यूमेंटेशन रहती है. सोसिओ इकॉनमिक को लेकर भी युवा आंदोलन में जुड़ते नज़र आये. वर्तमान सरकार ने सरकारी नौकरी में जिन घरों में सरकारी नहीं है मतलब जिस आवेदक के माता-पिता या भाई -बहन या पति -पत्नी में से कोई सरकारी नौकरी में नहीं कोई एक्स्ट्रा पांच मार्क्स देने के प्रावधान किया है . इन अंको से आज की गला-काट प्रतियोगिता मीन जहां बिना नौकरी वाले घरों के आवेदक की नौकरी पक्की हो जाती है तो बाकी केवल फॉर्म भरने वाले बनकर रह जाते है. इन एक्स्ट्रा पांच मार्क्स की वजह से हर भर्ती के रिटेन टोपर तक बाहर हो जाते तो बाकी की क्या मजाल? भर्ती परीक्षा में रिटेन टेस्ट के बाद किसी को एक्स्ट्रा पांच मार्क्स का प्रावधान मेहनती बच्चों पर जुल्म है. जहां आधे -आधे नंबर की प्रतियोगिता हो वहां पांच मार्क्स बहुत बड़ा अंतर पैदा कर देते है. आरक्षण के ऊपर आरक्षण संवैधानिक और नैतिक नहीं है. युवाओं ने मांग की कि सोसिओ के मार्क्स आरक्षण वाले युवाओं के लिए ख़त्म किये जाये और जो सामान्य वर्ग में ले रहें है उनके लिए एक या दो किये जाये ताकि मेहनती उम्मीदवारों के साथ इंसाफ हो. हरियाणा में सालों से में पेंडिंग भर्तियों वाले 2015 की भर्तियां, एस.बी.सी., इ.बी.पी.जी.सी.की पेंडिंग भर्तियां, आई.टी .आई. अनुदेशकों की दस साल से पेंडिंग सात बार पुनः विज्ञापित भर्ती ,आठ सालों से इंतज़ार में हरियाणा शिक्षक पात्रता पास जे.बी.टी . की भर्ती ,ग्राम सचिव, पी.टी.आई., स्टेनो, आरोही, टीचर्स, एवं पी.जी.टी एवं टी.जी.टी. भर्ती के लाखों युवा सब साथ रहें..और सब एक सुर में अपनी बात कहते हुए सॉइल मीडिया पर आये l युवाओं का नेतृत्व कर रही श्वेता ढुल ने ने युवाओं की बात को संक्षेप में कहा कि हमें भर्तियों संबंधित हर मुद्दे का समाधान चाहिए. इसके साथ में जो हरियाँ में वर्तमान में ये डी .सी. रेट, डेपुटेशन पर भर्तियां करने की कवायद शुरू हुई है इसकी खिलाफत करते हैं l हमें बुनियादी सुधार जैसे कि केलिन्डर ऑफ़ एग्जाम, डिफाइंड सिलेबस, त्रुटिहीन प्रश्नपत्र और कोर्ट केसेस में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग जानबूझकर लटकाने की बजाये जवाब देकर युवाओं की मुश्किलें दूर करे. मौन समर्थन एवं काले कपड़े पहनकर हरियाणा का युवा बेरोज़गारी की गंभीर समस्या से गुज़र रहा है व समाधान चाहता है आश्वासन नहीं, बेरोज़गारी एक समस्या “है” इसपर संज्ञान ले सरकार l माननीय प्रधानमंत्री जी के जन्म दिवस पर लाखों युवाओं का इस तरह बेरोजगारी दिवस मनाना वास्तव में उस देश के प्रधान सेवक पर प्रश्न चिन्ह और राज्यों सरकारों की नाकामी है .अगर नाकामी न होती तो पूर्व घोषित इस आंदोलन पर सरकार संज्ञान लेती और अपना पक्ष रखती. क्या सरकार को इस बात का अंदाजा नहीं था कि सारा देश इसे इस तरह #राष्ट्रीयबेरोज़गारीदिवस के रूप में मनाएगा? आंदोलन के आग पकड़ने से पहले केंद्र एवं राज्य सरकारों को समझना होगा कि देश में बेरोज़गारी एक गंभीर समस्या है इससे सरकार को तुरंत काबू में करना चाहिए और लगातार भर्ती होती रहनी चाहिए ताकि पढ़े-लिखे युवा अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं,अगर देश के भावी युवा काले रंग के कपड़े पहनेंगे और आंदोलन करेंगे तो देश कौन संभालेंगा. “सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मक़सद नहीं,मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए !” को अपना प्रेरणास्त्रोत बताने वाले आंदोलनरत युवाओं ने कहा कि उनका आंदोलन सरकार का बेवजह विरोध नहीं है. हमारी समस्यांए जायज है उनको पूरा किया जाये. सरकार को विपक्ष का मुद्दा बनने से पहले युवाओं के हित में प्रयास करने से अब गुरेज नहीं करना चाहिए अन्यथा पासा पलटने में किसी भी सत्ता के लिए अहम इक्का साबित हो सकते है. Post navigation हरियाणा ओलंपिक संघ (एचओए) के चुनाव को हाईकोर्ट में चुनौती बेरोजगारी दिवस और किसान अध्यादेश ने मोदी के जन्मदिन का जश्न किया फीका