-कमलेश भारतीय

सियासत , ग्लैमर, घर और घमंड । कितना कुछ एक साथ । और कहां ? सब यहां । इसी मीडिया चैनलों पर । अपनी मुम्बई में । मंडी से मुम्बई तक एक ही मुद्दा रह गया । सुशांत , रिया , कंगना , ड्रग और सियासत । चुनौती दर चुनौती । शब्द से अपशब्द तक । हरामखोर से नाॅटी गर्ल । कितना कुछ नया सीखने को मिल रहा है । नया शफ्दकोष । जो कुछ हुआ उसकी उम्मीद की जा सकती है क्योंकि शिवसेना इन्हीं तेवरों के लिए जानी जाती है । कंगना ने कहा कि मैं नौ सितम्बर को मुम्बई आ रही हूं । रोक सको तो रोक लो । सीएमसी आगे आई और ऑफिस को तहस नहस कर दिया । लो । देख लो ।

वैसे ऐसी बातें भी आ रही हैं कि कुछ साल से अनियमितताएं सामने आ रही थीं लेकिन तब देवेंद्र फडणबीस की भाजपा की सरकार थी । इसलिए कंगना बेफिक्र रही । फिर भी यह समय उचित नहीं था यानी टाइमिंग गलत हो गयी ऑफिस पर बुलडोजर चलाने की । क्रिकेट खिलाड़ी की तरह बाउंड्री पर लपक लिया गया कैच मुम्बई कोर्ट द्वारा । इधर शरद पवार भी नाराज हो गये कि शिवसेना यानी संजय राउत को इस तरह की बयानबाज़ी की जरूरत क्या थी ? इतना तूल देने को जरूरत क्या थी ? मामला गर्म था । कुछ तो शांति रखते । नहीं रखी । अब सरकार बैकफुट पर । मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे , राज्यसभा सांसद संजय राउत , गृह मंत्री अनिल देशमुख, हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज, हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सबके पास कंगना के लिए समय ही समय । बाकी समस्याएं गयीं भाड़ में ।

कंगना ने खूब फिल्मी डायलाॅग की तरह डायलाॅग मारा – उद्धव , तूने मेरा घर तोड़ा, तेरा घमंड भी टूटेगा । सलीम जावेद तक नहीं लिख सकते समय का पहिया घूमता है । समय सदा एक जैसा नहीं रहता । जय हिंद । जय महाराष्ट्र । बताइए किसने लिखा यह डायलाॅग? दिल ने । कंगना के दिल से निकला । अभी कह रही है कि कश्मीरी पंडितों के घर खोने का दर्द अब समझ आया और एक फिल्म कशमीर पर भी बनाऊंगी । एक घर अयोध्या में तो एक कश्मीर में बनाऊंगी । जय महाराष्ट्र और जय हिंद जैसे राजनीतिक नारे यह संदेश दे रहे हैं कि कंगना राजनीति में जल्द पदार्पण करने वाली हों जैसे । वैसे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे चाल समझने में नाकाम रहे । बल्कि जाल में फंसते चले गये । अब सांझी सरकार में कांग्रेस और शरद पवार दोनों के ताने सहने पड़ रहे हैं ।

रिया के बाद कंगना ने मीडिया को पूरा पूरा मसाला दे दिया । शाम को मीडिया चैनलों को रिया की याद सताई और उसके जेल जाने और खाने की जानकारी दी । कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी को बंगाली रिया की चिंता सताने लगी है ।

खैर । अभी पिक्चर तो नहीं इस धारावाहिक में बहुत कुछ बाकी है । देखते रहिएगा । कहीं मत जाइएगा । सब ने पक्की और सबसे पहली न्यूज हम ही देते हैं । टीआरपी का खेल है । खेलते चलो ।

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