कमलेश भारतीय सुशांत सिंह राजपूत के पक्ष में कंगना रानौत ने आवाज़ क्या उठाई कि महाभारत मच गया । शिवसेना के सांसद व मुखपत्र सामना के संपादक संजय राउत ने पहले तो कहा कि यदि मुम्बई इतनी खराब जगह है तो कंगना यहां मत आओ । फिर विवाद बढ़ा जब कंगना ने कहा कि महाराष्ट्र कोई पी ओ के है ? मैं तो नौ सितम्बर को आ रही हूं । आपमें हिम्मत है तो मुझे रोक कर दिखाओ । फिर संजय राउत आपा ही खो बैठे और कंगना रानौत को हरामखोर तक कह बैठे । कंगना ने कहा कि संजय राउत आपने देश की बेटियों का अपमान किया है । माफी मांगो । संजय राउत अभिमान से भरे कह रहे हैं कि मैंने कई तूफानों के रुख मोड़े हैं यानी साफ कि कंगना क्या चीज़ है । किसी ने सोशल मीडिया पर कंगना के बारे में लिखा कि वह झांसी की रानी का किरदार निभाने वाली शेरनी है और शेरनी कभी कभी गुस्से में आदमखोर भी बन जाती है । खैर । शोभनीय यह भी नहीं । महाराष्ट्र सरकार और मुम्बई पुलिस का ऐसा रवैया देखते हुए हिमाचल सरकार ने कंगना रानौत की सुरक्षा बढ़ाने का फैसला किया है और यह भी विचार किया जा रहा है कि मुम्बई में कैसे सुरक्षा उपलब्ध करवाई जा सकती है । राज्य दर राज्य क्या सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाने की नयी परिपाटी शुरू होगी ? हद है । पहले मुम्बई पुलिस के उदासीन रवैये को देखते हुए सुशांत के पिता को बिहार पुलिस को एफआईआर दर्ज करवाने पड़ी और बिहार पुलिस के मुखिया गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि सुशांत बिहार का बेटा है और परिवार के सदस्य की तरह हमने संविधान सम्मत यह कदम उठाया । अब हिमाचल सरकार संविधान में कोई ऐसा प्रावधान खोज रही है । धीरे धीरे राजनीति बढ़ती जा रही है सुशांत केस में । पहले शिवसेना , फिर भाजपा और फिर सभी पार्टियां इस पर कुछ न कुछ टिप्पणियां करने लगीं । बिहार में इसे आगामी विधानसभा चुनावों से जोड़ चर देखा गया । महाराष्ट्र में तीन दलों की अगाड़ी सरकार को अस्थिर करने के षडयंत्र के रूप में देखा जा रहा है । अस्थिर न भी हुई तो छवि तो धूमिल करने में सफलता मिल ही रही है । सोनिया ब्रिगेड कह कर कांग्रेस कई भी लपेटा जा रहा है । इधर शौविक चक्रवर्ती की गिरफ्तारी के बाद उसके पिता इंद्र ने एक मीडिया चैनल को बधाई देते कहा कि आपने एक मिडल क्लास फैमिली को बर्बाद करके रख दिया । मेरा बेटा शौविक गिरफ्तार हो गया और बेटी रिया भी हो जायेगी । इस तरह मीडिया ट्रायल की ओर उंगली उठाई । मीडिया रिपोर्टिंग और मीडिया ट्रायल दोनों हो रहे हैं । देखा जाये रिपोर्टिंग तो कम और मीडिया ट्रायल ज्यादा हो रही है । जब रिया घर से निकलती है सीबीआई या एनसीबी के सवालों का जवाब देने कै लिए तब वह मीडिया के रिपोर्टर्ज के सवालों के जवाब क्यों दे ? मीडिया रिपोर्टर्ज हैं कि एक से बढ़कर एक कार के शीशों को संबोधित करते दिखते हैं । यह कैसी रिपोर्टिंग ? मीडिया ट्रायल क्यों बना रहे हो ? सीबीआई या एनसीबी का रोल आप क्यों निभा रहे हो ? जिसका काम उसी को साजे । आखिर आप रिया के घर के बाहर क्या दिखाने की कोशिश कर रहे हो ? मीडिया की ही एक रिपोर्टर अपनी फेसबुक वाॅल पर लिखती हैं कि रिया कोई भगवान् है ? अरे । बिल्कुल भगवान् नहीं पर मीडिया का उसके घर से बाहर कितना काम है और इतना जमावड़ा क्यों ? जहां जिस एजेंसी में पूछताछ होने जा रही हो , वहां तैनात रहिए । क्या दिखा रहे हो पीछा करके ? गाड़ियां जा रही हैं और समय तक बताया जा रहा है कि कितने मिनट में एजेंसी ऑफिस तक पहुंच जायेगी रिया । हद है यार । यह तो मीडिया ट्रायल भी नहीं । ट्रैफिक पुलिस का काम भी ले लिया अपने जिम्मे । यारो , कुछ तो गरिमा बनाओ अपने पावन कर्म की । इस मामले में लिया के इंटरव्यू में कहा शब्द जरूर सही लगने लगे हैं कि हमारे परिवार की ऐसी हालत कर दी है कि हम आत्महत्या तक कर लें तो कौन जिम्मेदार होगा ? रिया ने एक प्रेमिका की छवि तोड़ी । खलनायिका बनकर सामने आई । छोटे भाई से प्रेमी के लिए ड्रग मंगवाता रही । घर के नौकरों से प्याला तैयार करवा चोरी चोरी पिलाती गयी । किसलिए ? यह किस मिडल फैमिली की लड़की करती है इंद्र चक्रवर्ती जी ? आपको अपनी बेटी की हरकतों पर अंकुश लगाना चाहिए था लेकिन आप भी सुशांत के घर होने वाली पार्टियों को रोकने आगे नहीं आए । क्यों? बहुत सारे सवाल । मीडिया ट्रायल पर जरूर रोक लगनी चाहिए । रिपोर्टिंग का कोई स्तर तो रखिए दोस्तो । Post navigation रावलवास खुर्द में कुम्हार समाज की नई पहल, मृत्यु भोज को किया बंद कंगना रानौत : वाई प्लस सिक्योरिटी और महाराष्ट्र के कर्ज ,,,,?