7 सितम्बर 2020.- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से सार्वजनिक सवाल किया कि मनेठी-माजरा के ग्रामीणों द्वारा मनेठी एम्स के लिए सरकार की मांग के अनुसार लगभग 573 एकड. जमीन सरकारी पोर्टल पर देने का वचन देने के बाद भी भाजपा-जजपा सरकार यह क्यों नही बता रही है कि एम्स निर्माण कब होगा?

विद्रोही ने कहा कि विगत दो सालों से मनेठी एम्स का मुद्दा जमीन को लेकर अटका पडा है। भाजपा खट्टर सरकार ने भी एम्स के लिए भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत जमीन अधिग्रहण करने की बजाय सरकारी पोर्टल पर किसानों से जमीन देने की शर्त रखी। जब ग्रामीणों ने इस शर्त को भी पूरा करके लगभग 573 एकड़ जमीन वचन दे दिया, फिर भी सरकार की इस मामले में उदासीनता भाजपा-जजपा सरकार की नियत पर सवाल खड़ा रकती है कि आखिर सरकार की मंशा मनेठी में एम्स बनाने की है भी या नही?

 विद्रोही ने कहा कि लोकसभा चुनावों में दक्षिणी हरियणा के तीन लोकसभा क्षेत्रों के लोगों की वोट हडपने 28 फरवरी 2019 को मोदी सरकार केबिनेट ने मनेठी एम्स को 1299 करोड़ रूपये के बजट के साथ स्वीकृति तो दी, पर चुनावों में वोट हडपने के बाद इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार ने ऐसी उदासीनता अपना ली कि मानो उसने कभी मनेठी एम्स के निर्माण की स्वीकृति ही न दी हो। एम्स के लिए प्रस्तावित जमीन का मामला हरियाणा सरकार के पाले में डालकर मोदी सरकार ने तो अपना पल्ला झाड़ लिया। वहीं हरियाणा सरकार जमीन अधिग्रहण मामले में पेचिदा रास्ता अपनाकर एम्स निर्माण को जितना हो सके, टालने की रणनीति पर काम कर रही है।

विद्रोही ने कहा कि किसानों ने जरूरत से दुगनी जमीन एम्स के लिए देने का वचन दे दिया है तो फिर इस प्रक्रिया में तेजी लाने की बजाय लटकाया क्यों जा रहा है? ग्रामीण बार-बार सरकार से एम्स निर्माण की गुहार कर रहे है। स्थानीय सांसद व विधायक एम्स बनाने का लालीपोप तो दे रहे है, पर जमीन मुद्दे को शीघ्रता से तय करवाने पर ताकत नही लगा रहे है। विद्रोही ने सवाल किया कि भाजपा-जजपा खट्टर सरकार कब तक मनेठी एम्स निर्माण के नाम पर दक्षिणी हरियाणा का भावनात्मक शोषण करती रहेगी? सरकार दावों, वादों का झुनझुना थमाकर एम्स निर्माण के मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाने की बजाय निर्माण की तारीख बताये। 

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