हरियाणा में 54 वर्ष के सियासी सफर में बरोदा में होगा 35वां उपचुनाव

बंटी शर्मा सुनारिया

हरियाणा के बरोदा में उपचुनाव होना प्रस्तावित है। हरियाणा के अब तक के 54 साल के सियासी इतिहास में 34 बार उपचुनाव हुए हैं। इनमें से 19 बार सत्ता पक्ष ने तो 15 बार विपक्ष ने उपचुनाव में जीत हासिल की है। हरियाणा के 54 वर्ष के इतिहास में निकट भविष्य में होने वाला बरोदा उपचुनाव 35वां उपचुनाव होगा

गौरतलब है कि 1966 में हरियाणा का गठन होने के बाद पहले आम चुनाव 1967 में हुए। इस साल हुए चुनाव में बहादुरगढ़ सीट से हरद्वारी लाल कांग्रेस से विधायक निर्वाचित हुए। रोचक पहलू यह है कि हरद्वारी लाल ने अपना त्यागपत्र दे दिया और 1967 में यहां पर उपचुनाव हुआ। इस उपचुनाव में बतौर आजाद उम्मीदवार हरद्वारी लाल ने ही फिर से जीत दर्ज करते हुए कांग्रेस के हरिसिंह को पराजित किया। इस प्रकार हरियाणा में उपचुनाव की शुरूआत 1967 में बहादुरगढ़ से हुई थी और 34वां उपचुनाव पिछले वर्ष जींद में हुआ था

19 बार विजयी हुआ सत्ता पक्ष

अब तक हुए उपचुनावों में 1978 में बादली से जनता पार्टी के उदय सिंह ने जीत हासिल की थी। उस समय जनता पार्टी की सरकार थी और चौ. देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री थे। 1989 में कांग्रेस की सरकार में भट्टू कलां व अटेली में कांग्रेस ने जीत हासिल की। 1985 में रोहतक में कांग्रेस के किशनदास, उचाना कलां से कांग्रेस के सूबे सिंह, नूंह से कांग्रेस के ए.खान व टोहाना से कांग्रेस के हरपाल सिंह जीते थे। 1986 के उपचुनाव में बंसीलाल ने तोशाम से जीत हासिल की थी। 1988 में लोकदल के तैय्यब हुसैन ने जीत दर्ज की। इसी प्रकार से 1990 में ओमप्रकाश चौटाला ने दड़बा कलां से जबकि जनता दल से ही थानेसर से अशोक अरोड़ा ने जीत हासिल की

1993 में कांग्रेस के शासनकाल में चंद्रमोहन बिश्रोई ने कालका से, जबकि साल 2000 में अभय चौटाला ने रोड़ी से जीत हासिल की। 2005 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने किलोई से तो साल 2008 में कांग्रेस सरकार में गोहाना से कांग्रेस के जगबीर मलिक व इंद्री से कांग्रेस के भीम मेहता ने जीत हासिल की। 2008 में ही भजनलाल ने आदमपुर उपचुनाव में जीत प्राप्त की। 2011 में कांग्रेस के शासनकाल में कांग्रेस के जरनैल सिंह को रतिया से जीत मिली। इसी प्रकार से साल 2019 में जींद से भाजपा के कृष्ण मिढ़ा को जीत मिली

15 बार विपक्ष ने भी दिखाया दम

हरियाणा में अब तक हुए उपचुनावों में विपक्ष ने भी अपना दमखम दिखाया है। 3 आजाद उम्मीदवार विजयी हुए तो कई बार विपक्षी दलों ने भी जीत का स्वाद चखा। 1967 में बहादुरगढ़ से हरद्वारी लाल, 1979 में नारनौल से पी.राम व 1989 में नूंह से हसन मोहम्मद को आजाद उम्मीदवारों के रूप में जीत मिली। 1970 में जुलाना से एन.सी.एन. के उम्मीदवार दल सिंह ने जीत हासिल की। 1970 में ही एन.सी.जे. ओमप्रकाश चौटाला ने ऐलनाबाद से, बाढड़ा से एल. रानी जबकि पलवल से कल्याण सिंह ने जीत हासिल की

इसी तरह से 1970 में बहादुरगढ़ से एन.सी.एन. के हरद्वारी लाल, 1980 में जनता पार्टी के ए. सिंह, 1984 में तावडू से इंडियन नेशनल कांग्रेस के तैय्यब हुसैन, 1985 में महम से देवीलाल, 1993 में नरवाना से लोकदल के ओमप्रकाश चौटाला, 2008 में आदमपुर से हरियाणा जनहित कांग्रेस के भजनलाल, 2010 में ऐलनाबाद से इनैलो के अभय चौटाला व 2011 में आदमपुर से हरियाणा जनहित कांग्रेस से रेणुका बिश्रोई को जीत मिली

5 पूर्व मुख्यमंत्री भी उपचुनाव में कर चुके हैं जीत दर्ज

रोचक तथ्य यह है कि राज्य के 5 पूर्व मुख्यमंत्री भी उपचुनाव के रण में विजय प्राप्त कर चुके हैं। 1985 में देवीलाल ने महम से उपचुनाव जीत हासिल की। जबकि वे इससे पहले वे मुख्यमंत्री बन चुके थे। 1986 में बंसीलाल ने तोशाम उपचुनाव में जीत हासिल की और उस समय में वे केंद्र में मंत्री थे और उन्हें कांग्रेस हाईकमान द्वारा भजनलाल की जगह हरियाणा का मुख्यमंत्री बना दिया गया था। जिस पर उन्होंने तोशाम से उपचुनाव लड़कर विजय प्राप्त की

वर्ष 1993 में ओमप्रकाश चौटाला ने नरवाना से जीत दर्ज की और वे भी इससे पहले मुख्यमंत्री बन चुके थे। वर्ष 2005 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने किलोई से जीत हासिल की थी और तब वे भी मुख्यमंत्री बन गए थे और रोहतक से सांसद थे। बाद में वे किलोई से उपचुनाव जीतकर विधायक बने। साल 2008 में भजनलाल ने आदमपुर से उपचुनाव जीता था और इससे पहले वे भी दो बार मुख्यमंत्री बन चुके थे

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