उमेश जोशी 

 दाढ़ी पर अब सिर्फ लेखकों, कवियों, विचारकों, संतों और राजा-महाराजों का ही कॉपीराइट नहीं रहा। राज नेता भी अब दाढ़ी के दम पर दबदबा बनाने लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दाढ़ी उनके कुर्तों और जैकेट के साथ अलग ही असर पैदा करती है। ऐसा अनुमान था कि बीजेपी के नेता प्रधानमंत्री से प्रेरणा लेते हुए दाढ़ी रखना शुरू कर देंगे लेकिन उनकी नकल कुर्तों और जैकेट तक ही सीमित रह गई।   

हरियाणा में बीजेपी के तीन नेताओं का नाम दाढ़ी से जुड़ा है। इनमें दो वर्तमान काल में भी दाढ़ीवान हैं और एक भूतकाल में दाढ़ीवान थे। तीनों ही स्वभाव, कार्यशैली और वाकपटुता में एकदम भिन्न हैं। समानता का आधार सिर्फ दाढ़ी है; उनमें भी एक ‘दाढ़ीवान थे’ की श्रेणी में आ गए हैं।  

पहले चर्चा रामबिलास शर्मा की। शरीर का  आकार देखते हुए पहला हक़ उनका ही है। वे देखने में नेता कम, पहलवान ज़्यादा लगते हैं। उनका कुर्ता और दाढ़ी ही उनके नेता होने का एहसास कराते हैं। बहुत छोटी दाढ़ी रखते हैं जो उनकी कद-काठी के अनुरूप नहीं है। हरियाणा की जनता ने उन्हें हमेशा दाढ़ी के साथ देखा है। उनकी दाढ़ी वही है, सिर्फ रंग बदला है, काली से सफेद हो गई है।  हरियाणा में तीन बार शिक्षा मंत्री, एक बार पब्लिक हेल्थ मिनिस्टर और दो बार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रहे रामबिलास शर्मा ने जुलाई 1999 में समर्थन वापस लेकर बंसीलाल की सरकार गिरा दी थी। शर्मा उस वक़्त बीजेपी विधायक दल के नेता थे। तब बंसीलाल के समर्थक कहा करते थे कि दाढ़ी वाला भरोसे के काबिल नहीं है; इस पर कभी भरोसा मत करना।              

 ठकुरसुहाती बातों के मास्टर रामबिलास शर्मा ने खुद बताया था कि इमरजेंसी के दौरान जेल में उन्हें सिगरेट से दागा जाता था। चेहरे के निशान छुपाने के लिए उन्होंने दाढ़ी रखी थी।  

  हरियाणा बीजेपी में दूसरे दाढ़ीवान हैं गृहमंत्री अनिल विज। छह बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। अब दूसरी बार मंत्री बने हैं, वो भी गृह मंत्री। चिरकुंवरे अनिल विज भले ही खुद गृहस्थी नहीं हैं लेकिन गृह मंत्रालय का काम मुस्तैदी से करते हैं। बीजेपी की पहली पारी में स्वास्थ्य मंत्री थे। जनता का स्वास्थ्य सुधारने की कवायद में कई लापरवाह अधिकारियों और डॉक्टरों के स्वास्थ्य का ‘विशेष’  खयाल रखा था। स्वभाव से फक्कड़, बरगद की तरह छितराई दाढ़ी वाले अनिल विज नेता कम, संत ज़्यादा लगते हैं। उन्होंने खुद एक किस्सा सुनाया था। कोई संत अंदर कमरे में थे और वे खुद बाहर कुर्सी पर बैठे थे। एक महिला आई और उनके पैरों में गिर गई और बोली- बाबा! बेटा नहीं हो रहा। इस पर उन्होंने हंसते हुए कहा- बेटा देने वाला बाबा अंदर बैठा है।

  अनिल विज का ठहाका बड़ा बिंदास है। उनकी बेतरतीब खिचड़ी दाढ़ी में निकलता हंसी का मासूम ठहाका उनके फक्कड़पन के हलफनामे जैसा लगता है। ईमानदार छवि वाले अनिल विज पर आलोचनाओं के छींटे भी खूब पड़े हैं इसलिए उनकी सियासती चादर बेदाग नहीं है। अनिल विज की दाढ़ी का आकार-प्रकार देख कर ऐसा लगता है कि  उनके पास दाढ़ी संवारने के लिए वक्त ही नहीं है।

 तीसरे दाढ़ीवान बहुत महत्त्वपूर्ण व्यक्ति हैं जो कभी दाढ़ी रखते थे, अब नहीं रखते इसलिए दाढ़ीवानों की सूची में ‘थे’ की श्रेणी में आ गए। उनकी दाढ़ी की भी एक समय बहुत चर्चा हुई थी। होती भी क्यों नहीं, उन्होंने एक खास अवसर पर अपनी दाढ़ी का मुंडन करवाया था। ऐसी चर्चाएं रही हैं कि 23 जुलाई 1999 को उन्होंने अपनी दाढ़ी कटवाई थी। उसी दिन उनकी पार्टी की साझा सरकार गिरी थी। तब बीजेपी चौधरी बंसीलाल के साथ सरकार में साझीदार थी। अपनी सरकार के गिरने पर दाढ़ी कटवाने का रहस्य किसी को समझ नहीं आया। चर्चाएं यह भी थीं कि उन्होंने सरकार गिरने पर ही दाढ़ी बनवाने का संकल्प लिया हुआ था। आप अभी तक नहीं समझे, वे कौन हैं। वे हैं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर।

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