पंजाब की तरह हरियाणा सरकार भी किसान विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ प्रस्ताव पास कर केंद्र को भेजे. किसान, मजदूर और कमेरे वर्ग को धोखा देने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष मांगे सार्वजनिक रूप से माफी।. कुंडू बोले-विपक्ष के नेताओं का रिमोट कंट्रोल है सीएम मनोहर लाल खट्टर के हाथ, इसीलिए किसानों के मुद्दों विधानसभा में चुप्पी साधे बैठा रहा तमाम विपक्ष।

अम्बाला / शाहाबाद, 1 सितंबर : पंजाब विधानसभा जब किसान विरोधी 3 कृषि अध्यादेशों के खिलाफ प्रस्ताव पास कर सकती है तो हरियाणा सरकार और यहां का विपक्ष क्यों गरीब किसान, मजदूर और कमेरे वर्ग के हितों का दुश्मन बना हुआ है ? यह गंभीर सवाल उठाया है महम के निर्दलीय विधायक एवं किसान नेता बलराज कुंडू ने। चंडीगढ़ से महम जाते वक्त वे आज शाहबाद अम्बाला में मीडियाकर्मियों से अनोपचारिक बातचीत कर रहे थे। कुंडू ने कहा कि किसान को बर्बाद करने वाले इन तीन अध्यादेशों को किसी भी सूरत में लागू नहीं होने दिया जा सकता।

कुंडू ने पंजाब द्वारा इन तीन किसान विरोधी अध्यादेशों के लिए खिलाफ जो प्रस्ताव पास किया गया है उसके लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह को शुभकामनाएं भी दी और कहा कि अन्नदाता के दर्द समझकर पंजाब ने जो प्रस्ताव पास किया है वह सराहनीय है।

कुंडू ने मांग उठाते हुए कहा कि वे आज एक बार फिर से हरियाणा सरकार के साथ-साथ तमाम विपक्ष के नेताओं को भी कहना चाहते हैं कि इन तीन किसान विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ प्रस्ताव पास करके केंद्र सरकार को भेजें ताकि कृषि और उससे जुड़े कमेरे वर्ग को बर्बाद होने से बचाया जा सके।

महम के विधायक बलराज कुंडू ने हरियाणा सरकार और विपक्षी दलों के नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए उनसे किसानों के साथ किये गए धोखे और विश्वासघात के लिए माफी मांगने को कहा। उन्होंने कहा कि कृषि आधारित प्रदेश में खुद को सबसे बड़ा किसान हितैषी बताने वाले सत्ता पक्ष के साथ-साथ नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अन्य नेताओं ने विधानसभा सत्र के दौरान किसानों के मुद्दे पर चुप्पी साधकर जो पाप किया है उसे अन्नदाता कभी माफ नहीं कर पायेगा क्योंकि सब जानते हैं कि ये अध्यादेश किसान और कृषि समुदाय को पूरी तरह बर्बाद करके रख देंगे लेकिन फिर भी खुद को किसानों का हितैषी बताने वाले हरियाणा के तमाम बड़े नेता मोनी बाबा बने क्यों हैं ? विपक्ष का हाल देखकर ऐसा लगता है कि उनका रिमोट कंट्रोल पूरी तरह से किसान विरोधी मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के हाथों में है और वे लोग सिर्फ उतना ही बोलते हैं जितना बोलने को उन्हें खट्टर साहब इजाजत देते हैं।

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