मुख्य सचिव के आदेशानुसार एक महीने के भीतर सौंपी गई रिपोर्ट. यूनिवर्सिटी की वेरिफिकेशन रिपोर्ट के आधार पर है यह रिपोर्ट. सौंपे गए सभी प्रकार के दस्तावेजों में नहीं मिली है कोई खामी फतह सिंह उजाला पटौदी। जुलाई माह में हरियाणा के विभिन्न जिलों से कुछ संदिग्ध लोगों ने बिना ही किसी जांच एवं पड़ताल के लगभग 18 विश्वविद्यालयों की डिग्रीयों को फर्जी करार दे दिया था। इस पर संज्ञान लेते हुये हरियाणा के उच्चतर शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव ने हरियाणा राज्य में स्थित सभी राजकीय महाविद्यालयों के प्रिन्सिपल को दिनांक 28 जुलाई को आदेश दिये थे कि वे हरियाणा के राजकीय महाविद्यालयों में कार्यरत एक्सटैन्शन लेक्चरर की पी. एच. डी. डिग्री की जांच करके एक माह के अंदर रिपोर्ट शिक्षा विभाग को सौंपे। पटौदी हलके के राजकीय महविद्यालय जाटौली-हैलीमंडी की एक्सटैन्शन लेक्चरर एशोसिएशन के प्रधान तथा एंटी करप्शन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के गुरुग्राम के जिला सलाहकार डा. त्रिलोक सिंह ने बताया कि मुख्य सचिव के आदेशो की अनुपालना करते हुये एक महीने के भीतर संबन्धित यूनिवर्सिटी से वेरिफिकेशन रिपोर्ट लेकर उच्चतर शिक्षा विभाग को भेज दी गई है । यूनिवर्सिटीसे प्राप्त वेरिफिकेशन रिपोर्ट तथा एक्सटैन्शन लेक्चरर से प्राप्त किये गये पी. एच. डी. डिग्री के दस्तावेज के आधार पर रिपोर्ट भेजी गई है। जिसमें किसी तरह की कोई खामी नहीं पाई गई है । डा. त्रिलोक सिंह ने बताया कि कुछ लोग है , जो डिग्रीयों को फर्जी बता रहे है । उनका मानसिक संतुलन ठीक नहीं है , क्योंकि उनको न तो किसी भी सरकारी आदेश पर भी भरोसा है और न ही सिस्टम पर है। पहले इन्होनें बिना किसी आधार के डिग्रीयों को फर्जी बता दिया , उसके उसके बाद इन्होनें जांच की मांग की, जांच के आदेश दिये जाने पर इन्होनें जांच पर भी सवाल उठा दिये कि जांच निष्पक्ष नहीं हो रही है । जबकि एक्सटैन्शन लेक्चरर ने मुख्य सचिव के आदेश का पूरा सम्मान करते हुये जांच में पूरा सहयोग किया है । डा. त्रिलोक सिंह का कहना है कि दुर्भाग्य की बात तो यह है कि जो लोग डिग्रीयों के फर्जी होने का आरोप लगा रहे है उनको खुद पी. एच. डी. की, ए बी सी डी तक नहीं पता है । साथ ही ये लोग सरकार को गुमराह कर अपने आपको असिस्टेंट प्रोफेसर बताते है । जबकि ये लोग अपनी नाकामी की वजह से बेरोजगार बैठे है और अब दूसरे लोगो की टांग खिचने का रोजगार कर रहे है । डा. त्रिलोक ने बताया कि इनको पहले भी चेतावनी दी गई थी और बताया गया था कि बिना किसी जांच पड़ताल के परिणाम के बिना किसी भी प्राध्यापक की डिग्री को फर्जी बताना किसी के आत्मसम्मान को ठेस पहुचाना तथा भारतीय दंड संहिता के अनुछेद 499 के तहत गंभीर कानूनन अपराध है। अब जांच पूरी हो चुकी है तथा किसी तरह की कोई खामी नहीं है । इसलिये अब इनके खिलाफ एफ. आई. आर. दर्ज करवाई जायेगी तथा मानहानि का मुकदमा भी किया जाएगा । Post navigation हरियाणा की राजनीति में बोहड़ाकला हुआ महत्वपूर्ण भाई दुष्यंत और सरकार के हर भरोसे पर खरा उतरूंगा : महेश चौहान