पूछा- युवा मांगें रोज़गार, चुप क्यों है सरकार?

· देश में बेरोज़ागारी बढ़ाने में खट्टर सरकार की कु’नीतियों’ की भी अहम भूमिका- सांसद दीपेंद्र .       बार-बार चेतावनी देने के बावजूद नहीं जागी खट्टर सरकार, उसी का नतीजा है रिकॉर्ड बेरोज़गारी- सांसद दीपेंद्र ·        रोज़गार देने की बजाए, रोज़गार छीनने की नीति पर काम कर रही है खट्टर सरकार- सांसद दीपेंद्र

20 अगस्त, चंडीगढ़: CWC सदस्य और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने बेरोज़गारी को लेकर सामने आए अलग-अलग संस्थाओं के आंकड़ों पर गहरी चिंता ज़ाहिर की है। CMIE (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी) के आंकड़े बताते हैं कि देश में अप्रैल से जुलाई तक 1.89 करोड़ वेतनभोगी अपनी नौकरी गंवा चुके हैं। देश में नौकरी ढूंढने वालों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। प्रोफेशनल नेटवर्किंग सोशल मीडिया साइट लिंक्डइन (LinkedIn) ने बताया है कि पिछले 6 महीने के दौरान भारत में हर सेक्टर की जॉब सर्च करने वालों की संख्या दोगुनी से अधिक बढ़ी है, चाहे वो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की जॉब हो या सर्विस सेक्टर की। कंपनी ने कहा कि उसके प्लेटफॉर्म पर पोस्ट की गई हरेक job opening के लिए इस साल जनवरी में अप्लाई करने वाले लोगों की औसत संख्या 90 से कम थी। लेकिन जून में औसतन 180 लोगों ने एक job opening के लिए आवेदन किया। स्कॉच ग्रुप समेत 4 संस्थाओं ने तो और भी डराने वाले आंकड़े पेश किए हैं। स्कॉच ग्रुप के चेयरमैन समीर कोचर ने बताया है कि अब तक 3 करोड़ लोग कोरोना काल के दौरान अपना रोज़गार गवा चुके हैं। आने वाले दिनों में आंकड़ा 4 करोड़ तक पहुंचने वाला है। 4 करोड़ नौकरी जाने का मतलब है कि करीब 20 करोड़ लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट है।

राज्यसभा सांसद का कहना है कि पूरे देश के मुक़ाबले हरियाणा में हालात और बदतर हैं। बार-बार चेतावनी के बावजूद खट्टर सरकार जागने का नाम नहीं ले रही है। CMIE के आंकड़े बताते हैं कि हरियाणा लगातार कई महीने से बेरोज़गारी में टॉप कर रहा है। यूपी, बिहार, जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य भी आज हरियाणा से बेहतर स्थिति में हैं। कोरोना काल से पहले और लॉकडाउन ख़त्म होने के बाद भी हालात जस के तस बने हुए हैं। देश में बेरोज़गारी के आंकड़े बढ़ाने में भी खट्टर सरकार का अहम योगदान है। क्योंकि खट्टर सरकार पिछले 6 साल से रोज़गार देने की बजाए रोज़गार छीनने की नीति पर काम कर रही है। जो हरियाणा हुड्डा कार्यकाल के दौरान अपने युवाओं के साथ दूसरे राज्य के युवाओं को भी रोज़गार देता था, वो आज ख़ुद रिकॉर्ड बेरोज़गारी की मार झेल रहा है। क्योंकि पिछले 6 साल के दौरान प्राइवेट सेक्टर में किसी तरह का निवेश नहीं हो पाया। कोई बड़ी परियोजना, संस्थान या इंफ्रास्ट्रक्चर 6 साल के दौरान हरियाणा में नहीं आया। इसके उलट पहले से प्रस्तावित रेल कोच और एयरपोर्ट जैसी परियोजनाएं हरियाणा से छिन गईं। क़ानून व्यवस्था बद से बदतर हो गई। इसके चलते उद्योगपतियों ने हरियाणा से मुंह फेर लिया। यानी खट्टर सरकार की कु’नीतियों’ का ख़ामियाजा आख़िरकार हरियाणा के युवाओं को भुगतना पड़ा।

दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्राइवेट ही नहीं सरकारी क्षेत्र में भी प्रदेश की खट्टर सरकार रोज़गार ख़त्म करने की नीति पर काम कर रही है। 6 साल में सरकारी क्षेत्र में जितनी नौकरियां दी गईं, उससे ज़्यादा कर्मचारी तो रिटायर हो गए। उतने ही कर्मचारियों को नौकरी से बाहर कर दिया गया। आज लाखों युवा भर्तियां निकलने या उनके पूरा होने का इंतज़ार कर रहे हैं। लेकिन खट्टर सरकार कह रही है कि सरकारी महकमों में कर्मचारी सरप्लस हैं। हुड्डा सरकार के दौरान सिर्फ सरकारी क्षेत्र में करीब 3 लाख नौकरियां दी गईं। प्राइवेट सेक्टर में रिकॉर्ड निवेश हुआ था, लाखों रोज़गार पैदा हुए थे। लेकिन खट्टर कार्यकाल में हुड्डा सरकार के दौरान रोज़गार पाने वालों को भी नौकरी से निकाला जा रहा है। ये सरकार कभी शिक्षा प्रेरकों, कभी कंप्यूटर टीचर्स, कभी सफाई कर्मी तो कभी पीटीआई को सरकार नौकरी से हटा रही है। इतना ही नहीं खट्टर सरकार ख़ुद के कार्यकाल में भर्ती हुए ग्रुप-डी व अन्य कच्चे कर्मचारियों को भी नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा रही है। एक साज़िश के तरह सरकारी महकमों को ठप करके उन्हें प्राइवेट हाथों में सौंपा जा रहा है। इसके चलते प्रदेश के युवाओं में रोष लगातार बढ़ रहा है।

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