भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

आज भाजपा के नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने फतेहाबाद, सिरसा, भिवानी, जींद व हिसार जिले के मंडल प्रधानों की बैठक ली। इस बैठक में धनखड़ जी ने घोषणा की कि एक सप्ताह में नए जिला अध्यक्षों की घोषणा हो जाएगी। इस बात के समाचार सारे प्रदेश में पहुंचते ही पद पाने के लिए लालायित भाजपाई बड़ी तेजी से अपने संपर्क बढ़ाकर अपनी राह हमवार करने की चेष्टा में लग गए।

इस समय भाजपा कुछ बिखरी-बिखरी नजर आ रही है। भाजपाइयों ने पहले सुभाष बराला और मुख्यमंत्री मनोहर लाल से लॉबिंग कर अपनी राह बनाने को लगे थे और बहुतों का विश्वास था कि हमारा पद तो पक्का है। परंतु जबसे नए अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ बने हैं और उनकी कार्यशैली देखी है, तब से उन लोगों का विश्वास डगमगाने लगा, क्योंकि धनखड़ जी की शैली मुख्यमंत्री की शैली से भिन्न नजर आती है।

भाजपाइयों से चर्चा में सुना कि ओमप्रकाश धनखड़ अब पार्टी की छवि सुधारने के प्रयास में लगे हुए हैं। उनका लक्ष्य है कि भाजपा को फिर चाल, चरित्र और चेहरे वाली पार्टी के रूप में जाना जाए। अत: उन लोगों का सोचना है कि जिस प्रकार खट्टर और बराला के राज में चरित्र का ध्यान नहीं दिया जाता था, पद पाने के लिए संबंध और धनवान होना ही योग्यता मानी जाती थी और ऐसे ही लोग पदों पर आसीन भी थे और अभी हैं भी।

वर्तमान में चर्चा यह चल रही है कि जिस प्रकार बरोदा विधानसभा में कृषि मंत्री जेपी दलाल को प्रभारी बनाया गया तो क्या उस चुनाव के लिए अब जिला अध्यक्षों में भी जाति का ख्याल रखा जाएगा? दूसरी चर्चा यह भी चल रही है कि यह भी देखा जाएगा कि पिछले समय में किसी पदाधिकारी या कार्यकर्ता पर चारित्रिक दोष तो नहीं लगे हैं और यदि किसी पर लगे हैं तो उन्हें संगठन में स्थान नहीं मिलेगा। साथ ही यह भी चर्चा है कि वह यह जांच करा रहे हैं कि जो नाम उनके पास आए हैं, वे लगातार पिछले समय में भाजपा से जुड़े रहे हैं या बीच-बीच में मलाई खाने के लिए दूसरे दलों में चले गए हैं या फिर कोई पार्षद, या विधायक का चुनाव निर्दलीय लड़ा हो और अब भाजपा में पद पाने के लिए लालायित हो तो उन्हें पहले कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर अपनी निष्ठा सिद्ध करनी होगी।

अब असलियत क्या है, यह तो ओमप्रकाश धनखड़ ही जानें लेकिन चर्चाओं का बाजार जरूर गर्म है। इसके साथ-साथ भाजपा के पद पाने के इच्छुक लोग एक सप्ताह की घोषणा के बाद से बहुत तेजी से अपनी लॉबिंग करने के लिए लग गए हैं। जहां तक गुरुग्राम की बात करें तो गुरुग्राम में तो जिला अध्यक्ष के उम्मीदवारों की फेहरिस्त बहुत लंबी है। यादवों की बात करें तो 4-5 यादव में भी प्रयास कर रहे हैं। इसी प्रकार जाटों में भी 2-3 व्यक्ति प्रयासरत हैं। उनका सोचना है कि शायद हमारा नंबर आ जाएगा और जाट होने से हमारी पुरानी प्रोफाइल की ओर ध्यान नहीं दिया जाएगा। अब गुरुग्राम की बात हो और पंजाबियों का जिक्र न हो, तो पंजाबी भी कई मैदान में हैं। इसी प्रकार ब्राह्मणों में भी कई उम्मीदवार हैं। दलित श्रेणी में भी उम्मीदवार हैं।इन उम्मीदवारों में कई ऐसे हैं, जो चाल, चरित्र और चेहरे के सिद्धांत पूरे नहीं उतरते, उन लोगों में चिंता व्याप्त अवश्य है।

अब यह गुरुग्राम है साइबर सिटी, हरियाणा की आर्थिक राजधानी। अत: यह के पद लोलुप्त अपनी पहुंच भाजपा के केंद्रीय हाइकमान तक भी पहुंचने का दावा कर पद पाने में विश्वास रखते हैं और चंडीगढ़, रोहतक, करनाल तो अपना वर्चस्व मानते ही हैं। ऐसी स्थिति में गुरुग्राम का जिला अध्यक्ष पद पाने का उत्सुकता से भरा व मनोरंजक मुकाबला होगा। चर्चा आगे जारी रहेगी।

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