धर्मपाल वर्मा

धर्मपाल वर्मा

चंडीगढ़ 1967 में अस्तित्व में आए हरियाणा के खास विधानसभा क्षेत्र बरोदा में पहली बार हो रहे उपचुनाव मैं यूं तो आम आदमी पार्टी सहित सारे राजनीतिक दल जोर आजमाइश करेंगे परंतु विवाह तो बना बनी का ही होगा मतलब अंत में मुकाबला कांग्रेस और भाजपा जेजेपी गठबंधन में ही देखने को मिलेगा और यहां गजब का मुकाबला हो सकता है l

एक तरफ यह पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा का हैट्रिक गढ़ है दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी और जेजेपी को सत्ता में होने का इस तरह का गुमान है कि इस बार तो वह यहां का राजनीतिक संघर्ष जीत ही लेंगे l

बड़ी बात यह है कि दोनों तरफ अंतर्द्वंद धड़े बाजी कुछ कुछ गतिरोध स्पष्ट नजर आ रहा है l इसीलिए कहा जा सकता है कि चुनाव वही जीतेगा जो अंत में अधिक एकजुटता का परिचय देगा l

कांग्रेस के मामले में यह साफ है कि यहां मुख्य योद्धा चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद पुत्र दीपेंद्र हुड्डा उर्फ दीपू ही हैं lशेष बड़े कांग्रेसी नेता अभी उनसे पूरी तरह से कटे हुए से नजर आ रहे हैं l भाजपा जेजेपी की तरफ से लगभग सारे बड़े नेता आगे पीछे कम ज्यादा हल्के में जाकर जनता के बीच यूं कहिए कि मतदाताओं के बीच हाजिरी लगा चुके हैं परंतु कांग्रेस की स्थिति पर नजर दौड़ाई जाए तो पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष तक ने औपचारिक तौर पर भी हल्के में जा कर यह संदेश नहीं दिया है कि वह भूपेंद्र सिंह हुड्डा या कांग्रेस के लिए कोई प्रोग्राम लेकर आई है l न तो अभी तक रणदीप सिंह सुरजेवाला नजर आए न किरण चौधरी न कुलदीप बिश्नोई न ही कैप्टन अजय यादव l

ऐसा लगता है की शुरू से लेकर अंत तक चुनाव का सारा बोझ हुड्डा पिता-पुत्र और उनकी टीम और समर्थकों पर ही रहेगा lयह चुनाव चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए बहुत महत्व रखता है lआम राय है कि टिकट भी उनकी मर्जी से दी जाएगी l इस मामले में भूपेंद्र सिंह हुड्डा उपयुक्त फैसला लेने वाले हैं lभारतीय जनता पार्टी की टिकट के दिल्ली में उनके बड़े नेताओं द्वारा ही तय करने के आसार नजर आ रहे हैं l
यह बता दें कि आज भी पिछले चुनाव के उम्मीदवार अंतरराष्ट्रीय पहलवान योगेश्वर दत्त टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं lइस चुनाव की एक खास बात पर हम विशेष तौर पर फोकस करके चल रहे हैं lवह यह कि दो विभिन्न दलों के जाट समुदाय संबंधित दो युवा नेताओं की उपयोगिता लोकप्रियता जनता की कसौटी पर इस तरह से कसी जा सकती हैं कि उनकी हार जीत से ही हरियाणा की नई राजनीति का आगाज हो l

सीधे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि यह चुनाव कांग्रेस के युवा नेता दीपेंद्र हुड्डा और जेजेपी के दुष्यंत चौटाला का अगला भविष्य भी तय करने जा रहा है l

आप मान कर चलें कि अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राजनीति के अपने इस दौर की लगाम अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी और सांसद दीपेंद्र हुड्डा के हाथ में दे दी है और एक बात दावे से कही जा सकती है दीपेंद्र सिंह हुड्डा के पास जितनी बढ़िया टीम सोनीपत जिले में है उतनी रोहतक झज्जर में भी शायद हो परंतु चाहे रोहतक हो झज्जर हो या अब सोनीपत, दीपेंद्र हुड्डा की कार्यशैली में जहां शराफत साफ झलकती है वहीं उन पर एक आरोप भी लगता है जो उनकी कमजोरी कहीं जा रही है l वह यह है कि उन्हें ऐसे लोग बहुत जल्दी घेर लेते हैं जिनका कांग्रेस विचारधारा संघर्ष स्थायित्व और मौलिकता से कोई लेना देना नहीं होता स्वार्थी और योजना बनाकर काम निकालने वाले बहुत लोग जिन्हें ग्रामीण लोग फड़दुल्ला कहते हैं,l वह लोग उन्हें आज भी भ्रमित कर अपने हित साधने में लगे हुए हैं l

राजनीतिक लोगों पर जो आरोप आमतौर पर लगते हैं उनमें कानो का कच्चा होना और सलाह नहीं मानना प्रमुख हैं lकुछ व्यावहारिक चीजें हर व्यक्ति महसूस कर सकता है lयदि समर्पित और आत्मा से जुड़े कार्यकर्ता को यह महसूस होने लगे कि उसकी अहमियत कम और स्वार्थी लोगों की ज्यादा होने लगी है तो वह इधर उधर से नेता को संदेश देने की, एहसास कराने की कोशिश करता है परंतु जब उसकी बात पर गौर नहीं होता तो फिर नुकसान होना शुरू हो जाता है l इस मामले में ,मतलब जानकारियां हासिल करने और सूचना तंत्र को अपडेट करने , बातें बनाने योजनाएं बनाने, मतदाताओं की येन केन प्रकारेण अपने पक्ष में करने की व्यवस्था में जेजेपी के लोग दीपेंद्र सिंह हुड्डा के सिस्टम से अव्वल नजर आ रहे हैं l

ऐसे में दीपेंद्र अपनी कार्यशैली में अपने सिस्टम में अपनी टीम पर पैनी नजर नहीं रखेंगे इसकी समीक्षा नहीं करेंगे ,हल्के में पूरी तरह से रुके नहीं रहेंगे तो उनके विरोधी उन पर हावी हो जाएंगे l कांग्रेस के शीर्ष नेता बरोदा में बहुत अधिक हस्तक्षेप करने की स्थिति में नहीं है परंतु उनसे सावधान भी रहना पड़ेगा l

सबसे महत्वपूर्ण चीज यह है कि सूचनाएं प्राप्त करने अर्थात फीडबैक का असली अनुमान लगाने में जो पक्ष सबसे प्रभावी होगा, उसे चुनाव में सीधा लाभ होगा l

राजनेताओं को यह मानकर चलना चाहिए कि बरोदा एक बोधा बोदा विधानसभा क्षेत्र नहीं है lयहां के लोग बहुत जागरूक और राजनीति को समझने वाले हैं l यह उन्होंने दो बार साबित कर दिया है lएक बार चौधरी देवी लाल के परिवार को स्थापित करके और दूसरी बार भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ताकत देकर l लेकिन कांग्रेस को यह बात अपने जहन में रखनी होगी कि बरोदा में ही नई पीढ़ी के लोग खासतौर पर युवा अब यह सोचने लगे हैं कि शासन में उनकी हिस्सेदारी जरूरी है और मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इसी विचार को पकड़कर पहले दौरे में ही लोगों को एक संदेश देने की कोशिश की कि आप को मैं राज्य में सिधारी देने आया हूं l