भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

बरोदा उपचुनाव सिर पर हैं। भाजपा नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ अपनी छवि सुधारने के प्रयास में लगी हुई है। लेकिन विधि की विडंबना तो कुछ और ही नजर आ रही है। जब गृह मंत्री अनिल विज ने शराब घोटाले की रिपोर्ट को चैक कर उसकी जांच सीआइडी से करानी की मांग की, तब से हरियाणा की राजनीति में उबाल आ गया।

इस पर कांग्रेस और इनेलो बहुत जोरों से भाजपा पर हमलावर हो गई। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री ने जान-बूझकर दंतविहीन एसआइटी निर्मित की, जिसका लक्ष्य शायद यही रहा होगा कि भ्रष्टाचार सामने न आए और इस बात का प्रमाण यह भी है कि उनकी अपनी सरकार के गृह मंत्री भी इस जांच से संतुष्ट नहीं हैं और उन्होंने सीआइडी जांच की मांग की है।

इधर शाम को उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला प्रेस वार्ता कर अपनी सफाई देते हैं और कारण गिनवाते हैं कि इन-इन कारणों से जांच नहीं हो पाई। कुछ नियम ऐसे हैं कि हमें पंजाब जाकर जांच करनी थी, वह हमारी सरकार कर नहीं सकती थी। उप मुख्यमंत्री जी सरकार का काम भ्रष्टाचार को पूर्ण रूप से समाप्त करने का है और नियम-कायदे बनाना, जहां परेशानियां हैं उनका हल निकालना सरकार का ही काम होता है। जब चिंगारियां होंगी तो आग तो लगेगी ही, लगी है।

जिस प्रकार मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री के अलग-अलग दिखाई दे रहे हैं, उससे लगता है कि आने वाले समय में विपक्ष को इनका अलग होना ही फायदेमंद साबित होगा। दूसरी ओर घोटाला तो शराब का है, यह माना भी है सरकार ने और इसके पश्चात रजिस्ट्री घोटाला मुंह बाये सामने खड़ा है। इसमें भी यदि पूर्ण रूप से जांच की जाए तो राजस्व विभाग के अतिरिक्त अन्य विभाग के अधिकारी भी नप सकते हैं और राजनेता भी लपेटे में आ सकते हैं।

इस प्रकार जीरो टोलरेंस का दावा करने वाली सरकार चहुंओर से भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी नजर आ रही है।

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