कुमारी शैलजा व रणदीप सिंह सुरजेवाला का बयान

शराब माफिया व खट्टर सरकार का गठजोड़ एसईटी रिपोर्ट से हुआ ‘उजागर’. हाई कोर्ट जज की मॉनिटरिंग में जाँच से ही पकड़े जाएंगे शराब घोटाले के ‘असली किंगपिन’. आधी अधूरी ‘जाँच’ में छोटी मुर्गियों पर दोष डाल रसूखदारों-गुनाहगारों का हो रहा बचाव खट्टर सरकार ‘असली अपराधियों’ को बचाने की कर रही साजिश

कोरोना महामारी में लॉकडाऊन के दौरान हरियाणा प्रदेश में खुलेआम ‘शराब घोटाला’ हुआ और चोर दरवाजे से औने-पौने दाम पर शराब की बेहिसाब बिक्री व तस्करी हुई। शराब माफिया के तार सीधे सीधे उच्च पदों पर बैठे राजनीतिज्ञों तथा आला अधिकारियों से जुड़े थे।

कांग्रेस पार्टी तथा जागरुक पत्रकारों-नागरिकों द्वारा शराब माफिया व खट्टर सरकार के गठजोड़ बारे सवाल उठाने पर स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन हुआ, पर मुख्यमंत्री खट्टर जी ने आनन फानन में 11 मई, 2020 को SIT को खारिज कर ‘स्पेशल इंक्वायरी टीम’ (SET) का गठन कर दिया। कमाल की बात यह है कि इस SET को ‘इन्वेस्टिगेशन’ यानि तफ्तीश का अधिकार ही नहीं था और न ही कानूनी वैधता थी। अब SET ने 30 जुलाई, 2020 को ‘आधी-अधूरी’ जाँच रिपोर्ट दी, पर इसमें भी घोटाला उजागर हो गया।

एक बात साफ है – ‘ऑपरेशन कवरअप’ के तहत अब SET की जाँच के ऊपर एक और ‘विजिलैंस जाँच’ बिठाई जाएगी। यानि जाँच पर जाँच पर जाँच, और नतीजा वही ‘ढाक के तीन पात’। मतलब किसी तरह, किसी प्रकार से व किसी भी हालत में सरकार में बैठे बड़े बड़े रसूखदारों-गुनाहगारों तक आँच न आए और शराब माफिया तथा उच्च पदों पर बैठे राजनीतिज्ञों व आला अफसरों के गठजोड़ पर पर्दा डाल दिया जाय।

फिर भी ‘स्पेशल इंक्वायरी टीम’ (SET) की रिपोर्ट से 10 चौंकानेवाले तथ्य सामने आए हैं, जो इस प्रकार हैंः-

1.      एसईटी ने अपनी रिपोर्ट के शुरू में ही स्वीकारा (पेज 3-चैप्टर 2, SET रिपोर्ट) कि उसे ‘इन्वेस्टिगेशन’ यानि तफ्तीश का कोई अधिकार नहीं दिया गया। यानि न वो रिकॉर्ड खंगाल सकते थे, न गोदाम और डिस्टलरीज़ की जाँच कर सकते थे, न कागजात जब्त कर सकते थे, न मुकदमा दर्ज कर सकते थे और न ही क्रिमिनल प्रोसीज़र कोड, 1973 की धारा 2 (H) व 2 (O) में अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते थे। 

2.      SET ने यह निष्कर्ष निकाला है कि 01 अप्रैल, 2019 से 10 मई, 2020 के बीच हरियाणा में जमकर नाजायज शराब की बिक्री हुई (चैप्टर 5, प्वाईंट 1, पेज 24, SET रिपोर्ट) । 

3.      SET ने स्वीकारा कि लॉकडाऊन की अवधि में पुराने सालों का शराब का स्टॉक भी बेच डाला गया (चैप्टर 5, प्वाईंट 1, पेज 24, SET रिपोर्ट)।  

4.      SET ने स्वीकारा कि लॉकडाऊन की अवधि में शराब के ठेकों के नज़दीक शराब के स्टोर से निकालकर खुलेआम शराब बेची गई (चैप्टर 5, प्वाईंट 1, पेज 24, SET रिपोर्ट)।

5.      SET ने स्वीकारा कि लॉकडाऊन की अवधि में शराब की बिक्री पर रोक लगाने तथा शराब के ठेके बंद होने के बावजूद भी एक्साईज़ टैक्सेशन विभाग ने खुलकर शराब की ट्रांसपोर्टेशन के परमिट व पास जारी किए (चैप्टर 5, पैरा 8, पेज 31, SET रिपोर्ट)। साफ है कि शराब माफिया द्वारा सरकार की मिलीभगत से शराब की तस्करी और बिक्री का खुला खेल खेला गया।

6.      SET ने स्वीकारा कि लॉकडाऊन की अवधि में भी 01 अप्रैल, 2020 से 05 मई, 2020 के बीच हरियाणा स्थित शराब की तीन फैक्ट्रियां शराब बनाती रहीं, पर न जाने किन कारणों से SET ने इन फैक्ट्रियों की जाँच करने से लिखित तौर से इंकार कर दिया (चैप्टर 5, प्वाईंट 8, पेज 33-34, SET रिपोर्ट)।

7.      SET ने स्वीकारा कि हरियाणा की एक और शराब फैक्ट्री ‘NV डिस्टलरी’ शराब तस्करी में संलिप्त पाई गई, परंतु एक्साईज़ टैक्सेशन विभाग ने न खुद इसकी जाँच की और न ही SET को NV डिस्टलरी में जाकर जाँच करने की इजाजत दी (चैप्टर 5, पैरा 9, पेज 37-38, SET रिपोर्ट)।

8.      SET ने स्वीकारा कि लॉकडाऊन की अवधि में नाजायज शराब की बिक्री बारे ‘प्रांत में हजारों एफआईआर दर्ज हुईं’ (चैप्टर 5, पैरा 9, पेज 35, SET रिपोर्ट)। 

9.      SET ने स्वीकारा कि लॉकडाऊन की अवधि में एक्साईज़ एंड टैक्सेशन विभाग तथा डिप्टी कमिश्नर्स की टीम की जाँच के बाद कुल कितनी शराब की बोतलें स्टॉक में कम पाई गईं या फिर कितनी ‘दो नंबर की शराब’ अतिरिक्त पाई गई, बारे पूरी जानकारी एसईटी को उपलब्ध ही नहीं कराई गई (चैप्टर 5, प्वाईंट 9, पेज 32-33, SET रिपोर्ट)। जबकि डिप्टी कमिश्नर व एक्साईज़ टैक्सेशन विभाग की जाँच में यह सामने आया कि लॉकडाऊन में 1 करोड़ बोतलों की ‘शॉर्टेज’ यानि तस्करी पाई गई व 19 लाख बोतलें ‘एक्सेस’ अर्थात् दो नंबर की शराब पाई गई। फिर यह जानकारी एसईटी को क्यों नहीं दी गई।

10.  एसईटी ने स्वीकारा कि खरखौदा, सोनिपत की शराब तस्करी के केस में तथाकथित शराब तस्कर भूपेंद्र को हरियाणा पुलिस द्वारा गनमैन व आर्म्स लाईसेंस दिए गए थे (चैप्टर 3A, प्वाईंट 3, vi एवं viii, पेज 18-19, SET रिपोर्ट)।

एसईटी की रिपोर्ट के इन 10 बिंदुओं से शराब माफिया और खट्टर सरकार का गठजोड़ साफ है। इसीलिए अब एसईटी की जाँच के ऊपर एक और विजिलैंस जाँच बिठा सारे मामले को दबाने की साजिश की जा रही है।

साफ है कि बिल्ली को दूध की रखवाली नहीं बनाया जा सकता। जब भाजपा-जजपा सरकार ही शराब घोटाले में संलिप्त है, तो फिर जाँच होगी कैसे? कांग्रेस पार्टी व हरियाणा की जनता की स्पष्ट मांग है कि हाई कोर्ट के सिटिंग जज की देखरेख में जाँच हो ताकि खट्टर सरकार में बैठे बड़े बड़े रसूखदारों तथा गुनाहगारों के चेहरे बेनकाब हो सकें।

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