-कमलेश भारतीय

कुरूक्षेत्र में भावमंजरी साहित्यिक मंच और समाजसेवी संस्था संकल्पित फाउंडेशन की संस्थापक गायत्री कौशल एक मोटीवेशन स्पीकर और जीवन कौशल प्रशिक्षक हैं।विशेष तौर पर पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं को जागरूक करने और स्वावलम्बी होने में बतौर प्रशिक्षक अपनी भूमिका निभाने की इच्छा रखती हैं । महिलाओं में असुरक्षा की भावना को दूर करना चाहती हैं । मूल रूप से अम्बाला के निकट गांव मलकपुर में जन्मीं और ग्रामीण परिवेश में पली बढ़ी गायत्री की प्राइमरी शिक्षा गांव के राजकीय प्राइमरी स्कूल में हुई और छठी कक्षा से लेकर इंजीनियरिंग तक की सारी शिक्षा कुरूक्षेत्र में ही प्राप्त की । शिक्षाकाल के दौरान हर गतिविधि में हिस्सा लेती रहीं । इंजीनियरिंग काॅलेज में मैगजीन की छात्र संपादक रही ।

-जाॅब की आपने ?
-जी । सोनीपत के हिन्दू पोलीटेक्निक काॅलेज में एक वर्ष लेक्चर और कुरूक्षेत्र के दो स्कूलों में एक एक वर्ष प्रिंसिपल । पारिवारिक स्थितियों के चलते फिर जाॅब नहीं की ।

-साहित्य की प्रेरणा किससे मिली ?
-घर में विवेकानंद और स्वामी दयानंद को पढ़ा । पारिवारिक परिवेश जीवन मूल्यों व संस्कारों पर आधारित था । फिर थोड़ी रूमानी अमृता प्रीतम को पढ़ा और खूब पसंद करने लगी । वैसे दिमाग को खुला रखा । काफी लेखकों को पढ़ा । जीवन की उपयोगिता समझने की कोशिश की ।

-साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ी हैं ?
-बिल्कुल । कुरूक्षेत्र की सभी साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ी हूं लेकिन यह देख कर दुख हुआ कि महिला रचनाकार को दर्शनीय मात्र माना जाता है । इसलिए महिलाओं के लिए ही भावमंजरी मंच तीन वर्ष पूर्व बनाया ।

-सिर्फ साहित्य या आगे कुछ और भी ?
-एनजीओ चलाती हूं जिसमें लाॅकडाउन से पहले तक झुग्गी झोंपड़ी के अस्सी बच्चे पढ़ने आते थे । बहुत अच्छा लगता । लाॅकडाउन खुलने का इंतज़ार है । फिर से इस जिम्मेदारी का निर्वहन करने को तैयार हूं।

-कोई और क्षेत्र जिसमें कदम रखा हो ?
-अभिनय । काफी रूचि है। अभी कुछ प्रोजेक्ट कर रही हूँ।

-लक्ष्य ? महिलाओं को जागरूक करने के लिए कृतसंकल्प हूँ। शेष भविष्य के गर्भ में ना जाने क्या है।
हमारी शुभकामनाएं गायत्री कौशल को ।

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